मोदी जी आपदा के समय तो गम्भीर हो जाइए : सुशील आनंद शुक्ला
मोदी जी ने डॉक्टरों के लिए ताली पिटवाया ,थाली पिटवाया लोगो ने पीटा ।अब वे दिया जलवाना चाह रहे ,मोमबत्ती ,जलवाना चाह रहे , मोबाइल की लाइट जलवाना चाह रहे । ऐसा करवा कर मोदी यह संदेश देना चाह रहे कि देश की 135 करोड़ जन संख्या कोरोना से लड़ाई में एक साथ है ।राष्ट्रीय एक जुटता प्रदर्शित करने के लिए लोगो से लाईट बुझा कर यह सब करने की अपील मोदी जी कर रहे ।सवाल यह उठता है मोदी जी को देश की एक जुटता पर भरोसा क्यो नही हो रहा ?,कोरोना के खिलाफ यह राष्ट्रीय एक जुटता ही तो है सारा देश एक साथ घरों में दुबका पड़ा है ।इस ऐतिहासिक लॉकडाउन में मोदी को राष्ट्रीय एकजुटता नजर क्यो नही आ रही।एक जुटता दिखाने की जरूरत है उन करोड़ो लोगो के लिए जो इस लॉक डाउन के दौर में दो वक्त की रोटी के लिए जद्दोजहद भी नही कर पा रहे अपने हालात पर निरीह और बेबस बने पड़े हुए है ।मोदी जी आपके पास उनके लिए शब्द क्यो नही है ?,क्यो नही इन करोड़ो लोगो के भूख के खिलाफ अपेक्षा कृत सक्षम लोगो से एक जुटता की भावनात्मक अपील करते ।
आपके समर्थक आपकी अपील को धार्मिकता और आध्यत्मिकता और कुछ तो सनातन परंपरा का वाहक बता कर कोरोना से लड़ाई का अचूक हथियार बता देंगे ।यह उनकी आपके प्रति श्रद्धा है ।दिया कि आध्यात्मिकता और वैज्ञानिकता पर कोई सवाल नही उठा रहा ।
लेकिन आपकी इस अपील की सार्थकता पर सवाल तो उठेंगे ।क्या हकीकत से मुंह मोड़ने और समस्या के शुतुरमुर्गी हल का प्रयास नही है यह।
मोदी जी सन्कट के समय जब देश का प्रधानमंत्री राष्ट्र को सम्बोधित करने आता है तब देश की जनता को उससे बड़ी अपेक्षाएं रहती है ।ताली बजवा कर बत्तियां बुझवा कर मोमबत्तियां जलवा कर आप महौल तो बनवा लेंगे आपके समर्थक सोशल मीडिया मे आपकी खूब वाहवाही भी करेंगे लेकिन इससे आप देश की परेशान बेबस जनता के घाव पर मलहम नही लगा रहे ।मोदी जी किसानो की फसल लगभग पक कर तैयार है कैसे खेत से खलिहान में आएगी इसकी चिंता में ही कुछ बोल देते।
देश ख्वाहिशमंद था अपने प्रधानमंत्री से ठोस अस्वासन और मजबूत कार्ययोजना सुनने का ।
मोदी जी लोग जानना चाहते है हमारे देश मे अधिक से अधिक लोगो का कोरोना टेस्ट कब तक शुरू हो पायेगा ?हम अपनी जांच क्षमता और प्रणाली को कब तक बढ़ा लेंगे ?
लोग जानना चाहते है भगवान न करे हमारे यहाँ संक्रमित लोगो की संख्या बढ़ेगी तो हमारे पास कितने संसाधन मौजूद है ?
लोग जानना चाहते है हमारे देश मे कितने वेंटिलेटर मौजूद है ?
हमारी सरकार कितने दिनों में वेन्टीलेटरो की संख्या बढ़ा लेगी ?
उसके लिए सरकार की क्या कार्ययोजना है ?
देश के डॉक्टर जानना चाहते है उनके लिए ppe की व्यवस्था पूरी तरह कब तक उपलब्ध होगी ?
लोग जानना चाहते है कब तक देश मे अभी तक किन राज्यो में कितने बेड के कुल अस्पताल सुरक्षित कर लिए गए है ?
लोग जानना चाहते है उनके राज्यो की स्वास्थ्य सुविधाओँ में आपातकालीन बढ़ोतरी के लिए केंद्र के द्वारा क्या उपाय किये गये ?
लोग जानना चाहते है जरूरी वस्तूओं की पूर्ति के लिए केंद्र सरकार ने क्या कार्ययोजना और नीति बनाई है ?
लॉक डाउन को दस दिन से ज्यादा होने को है हर राज्य में दूसरे राज्यो से ही अनाज सब्जी सहित तमाम दीगर वस्तुएं आती है ट्रकों की आवाजाही बंद होने के कारण वस्तुओं के दाम बढ़ रहे ?मोदी जी अन्तर्राज्यीय परिवहन की केंद्र ने क्या आपातकालीन नीति बनाई है ?
मोदी जी अभी तक तो दिहाड़ी मजदूर वर्ग परेशान है अब तो वह समय आ गया दिहाड़ी मजदूर से थोड़ा ऊपर मासिक मजदूरी पाने वाले तथा निम्न मध्यम वर्ग के परेशान होने का ।लोगो के पैसे खत्म हो चुके है घरों के राशन भी खत्म होने को है तनख्वाह मिलने की सम्भाबना लगभग शून्य है कैसे आगे चलेगा उनका घर ?मोदी जी वे कम्पनियां जो ईएसआई,पीएफ आदि काटती है जो श्रम एक्ट में पंजीकृत है जो जीएसटी आदि देती है जिनके आंकड़े सरकार के पास उपलब्ध है उनके यहाँ कार्यरत कर्मियों के लिए योजना तो बनाया जा सकता है ।
मोदी जी शब्दो की बाजीगरी चुनाव में अच्छी लगती है।लच्छेदार भाषण जन सभाओं में मजा देते है ।आपदा और सन्कट के समय देश का मुखिया ही इस लड़ाई में अपनी गम्भीरता का प्रदर्शन न कर पाए तो यह देश के लिए दुर्भाग्यपूर्ण है।यह चुनाव नही मतदान और जीत हार के बाद आपके भाषण मायनें खो दें ।यह जीवन मरण का प्रश्न है ।भगवान न करे आपकी कोताही देश पर भारी पड़े ।जिस हल्के ढंग से आप इस वैश्विक आपदा को ले रहे आने वाला कल आपको माफ नही करेगा।