November 23, 2024

बच्चों को मिले सही पोषण, हम सबकी जिम्मेदारी

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लेख शशिरत्न पाराशर सहायक संचालक,जनसंपर्क

  नारायणपुर आंगनबाड़ी केन्द्रों और स्कूलों में नन्ने-मुन्ने बच्चों से हंसी-ठिठोली कर स्नेह से बच्चों का दिल जीता जा रहा है। कलेक्टर श्री पी.एस. एल्मा ने ऐसी अभिनव पहल की है, जिससे बच्चें भी खुलकर कलेक्टर से बात कर रहे है। समय-समय पर उनके हाथों से मिले उपहार से तो वे खुशी से फूले नहीं समाते। कई बार ऐसा मौका भी आया है जब उन्होंने बच्चों से कविता सुनी और प्रोत्साहन स्वरूप उन्होंने किताबे और फल दिए।

            जिले में सरकारी कार्यक्रमों के माध्यम से गर्भवती महिलाओं की पूरे विधि-विधान से गोदभराई रस्म की जाती है। इसके बाद छह माह की आयु पूरे कर चुके बच्चों को खीर खिलाकर अन्नप्राषन भी कराया जाता है। इस आत्मीयता से महिलाएं और बच्चें मंत्रगुग्ध है। यह कहने या बताने की बात नहीं, हम सब जानते है कि बच्चें देश का भविष्य होते हैं। उन्हें सही पोषण, स्वास्थ्य और शिक्षा मिले, ये सुनश्चिित करना हम सभी की जिम्मेदारी है। इसके लिए केन्द्र और राज्य सरकार द्वारा अनेक योजनाएं संचालित की जा रही है। इनका भरपूर लाभ महिलाओं और बच्चों को मिल रहा है।

             नारायणपुर जिले में 1333 शिशुवती महिलाएं, 2295 छह माह से 3 वर्ष के कुपोषित बच्चें और 15 से 49 वर्ष के एनीमिया पीडि़त 3215 महिलाएं सहित कुल 6843 हितग्राहियों को गर्म पौष्टिक भोजन मुख्यमंत्री सुपोषण अभियान के अन्तर्गत प्रदाय किया जा रहा है। इसके साथ ही 14471 हितग्राहियों को सप्ताह में दो दिन मंगलवार और शुक्रवार को उबाल कर अंडा दिया जा रहा है। मुख्यमंत्री सुपोषण अभियान की शुरूआत से अब तक लगभग 350 बच्चें कुपोषण से बाहर आ चुके है। कुपोषित बच्चों को समुदाय की सहभागिता से बाल मित्रों द्वारा गोद लेने का कार्य भी किया जा रहा है जो सराहनीय है।

            गर्भवती माताओं और उनके बच्चों को सही पोषण मिले इसके लिए प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना भी संचालित है। इस योजना के तहत गर्भवती महिलाओं और उसके बच्चों के टीकाकरण और बेहतर पोषण के लिए किश्तों में छह हजार रूपए की आर्थिक सहायता प्रदान की जाती है। जिले में मातृ वंदना योजना के तहत 1159 माताओं को इसकी पूरी किश्त मिल चुकी है। ये राशि महिलाओं को सीधे उनके बैंक खातों में प्रदान की जाती है। सभी कि जिम्मेदारी है कि इस राशि का उपयोग माताओं और उसके होने वाले बच्चें के पोषण और स्वास्थ्य पर खर्च हो, तभी हम कुपोषण से मुक्ति पा सकेंगे। माता और बच्चों को सही पोषण मिले, ताकि स्वस्थ राष्ट्र का निर्माण हो सकें।

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