राज्यसभा के लिए कांग्रेस दिग्विजय-सिंधिया को छोड़ किसी और नाम पर कर रही है विचार
भोपाल
राज्यसभा चुनाव की तारीख घोषित होते ही कांग्रेस में दावेदारों ने दावा पेश करना शुरू कर दिया है। वहीं, दूसरी तरफ संगठन में यह मांग उठने लगी है कि एक सीट पर अनुसूचित जाति और जनजाति के नेता को राज्यसभा भेजा जाए। चुनाव को लेकर तीन मार्च को प्रदेश प्रभारी दीपक बावरिया और मुख्यमंत्री कमलनाथ के बीच बैठक होगी।
सीनियर लीडर हैं दावेदार
पूर्व सीएम दिग्विजय सिंह और पूर्व केन्द्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया राज्यसभा के लिए प्रबल दावेदार हैं। एक सीट दिग्विजय सिंह की भी खाली हो रही है। विधायकों की संख्या के आधार पर राज्यसभा की तीन सीटों में से दो सीटें कांग्रेस के खाते में जा सकती हैं।
क्या कहा नेताओं ने?
प्रदेश महासचिव राजीव सिंह ने कहा- राज्यसभा चुनाव के लिए उम्मीदवारों का फैसला सभी समीकरणों को ध्यान में रखकर किया जाएगा। प्रदेश से बाहर के नेता को उम्मीदवार बनाने की कोई संभावना नहीं है। इस बारे में अंतिम फैसला पार्टी अध्यक्ष, प्रदेश प्रभारी और मुख्यमंत्री करेंगे। वहीं, प्रदेश कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष रामनिवास रावत ने कहा कि संगठन को उम्मीदवार चयन में जातिगत और क्षेत्रीय समीकरणों को ध्यान में रखना चाहिए।
क्या चौकाने वाला होगा नाम?
राज्यसभा के दावेदारों में ज्योतिरादित्य सिंधिया और दिग्विजय सिंह के अलावा कई नाम है। पूर्व प्रदेश अध्यक्ष अरुण यादव, पूर्व नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह, रामनिवास रावत, राजेन्द्र सिंह समेत कई दावेदार हैं। माना जा रहा है कि इन दावेदारों के अलावा कोई चौकाने वाला नाम भी राज्यसभा के लिए हो सकता है। मीनाक्षी नटराजन का नाम भी रेस में शामिल है। मीनाक्षी नटराजन को राहुल गांधी का करीबी माना जाता है।बता दें कि इससे पहले कांग्रेस ने राजमणि पटेल को राज्यसभा भेजा था। राजमणि पटेल का नाम प्रदेश के लिए चौकाने वाला नाम था।
क्या जातिगत से होगा फायदा
कांग्रेस ने मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव से पहले विंध्य की सियासत में सक्रिय रहने वाले राजमणि पटेल को राज्यसभा भेजा था। राजमणि पटेल 2018 में राज्यसभा पहुंचे थे जबकि नबंवर-दिसंबर में विधानसभा चुनाव हुए थे। विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को जीत तो मिली थी लेकिन रीवा जिले की किसी भी सीट पर कांग्रेस को जीत नहीं मिली थी। ऐसे में सवाल उठता है कि क्या जातिगत समीकरण से कांग्रेस को फायदा होगा। जानकारों का कहना है कि सीएम कमलनाथ आदिवासी नेताओं के लिए बड़ा पद चाहते हैं क्योंकि विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की जीत में आदिवासी वोटरों ने अहम भूमिका निभाई थी। जबकि लोकसभा चुनाव में कांग्रेस की करारी हार हुई थी।
जातिगत समीकरण के कारण कट सकता है दिग्गी-सिंधिया का पत्ता?
राजनीतिक जानकारों का कहना है कि अगर मध्यप्रदेश से कांग्रेस किसी अनुसूचित जाति और जनजाति के नेता को राज्यसभा भेजती है तो ज्योतिरादित्य सिंधिया या दिग्विजय सिंह में से किसी एक नेता के राज्यसभा जाने का सपना टूट सकता है। एक सीट में जहां अनुसूचित जाति और जनजाति के नेता की मांग उठ रही है वहीं, दूसरी सीट के लिए कौन सा नेता दावेदार होगा इसको लेकर अभी तक स्थिति साफ नहीं है। लेकिन ये कहा जा रहा है कि अगर इस सीट अनुसूचित जाति और जनजाति के नेता के खाते पर गई तो दिग्विजय और सिंधिया को झटका लग सकता है।