डीजल से किनारा, मारुति की सस्ती CNG कारें
मुंबई
मारुति सुजुकी अगले कुछ सालों में अपना वॉल्यूम बढ़ाने और एमिशन में कटौती करने की योजना बना रही है। इसके लिए वह किफायती कंप्रेस्ड नेचुरल गैस (CNG) और हाइब्रिड टेक्नोलॉजी पर चलने वाली गाड़ियों सहित ग्रीन वीइकल्स पर दांव लगाएगी। भारत की यह सबसे बड़ी कार कंपनी अप्रैल 2020 से डीजल कारों की बिक्री बंद कर देगी। सूत्रों ने बताया कि कंपनी मिड-टर्म में 10 लाख ग्रीन वीइकल्स बेचने पर फोकस कर रही है। इसमें लगभग आधा हिस्सा सीएनजी गाड़ियों का होगा।
48 वोल्ट स्मार्ट हाइब्रिड गाड़ियों पर बड़ा दांव
कंपनी 48 वोल्ट वाली स्मार्ट हाइब्रिड गाड़ियों की ढाई से तीन लाख अतिरिक्त यूनिट्स बेचने की उम्मीद कर रही है। यह सेगमेंट डीजल गाड़ियों के विकल्प के रूप में उभरेगा। बाकी वॉल्यूम ज्यादा दमदार हाइब्रिड और इलेक्ट्रिक गाड़ियों से आएगा। मारुति सुजुकी के मैनेजिंग डायरेक्टर केनिची आयुकावा ने कुछ समय पहले इकनॉमिक टाइम्स को बताया था कि इलेक्ट्रिफिकेशन में अभी समय लगेगा। तब तक कंपनी के पास कस्टमर्स को ऑफर करने के लिए ऐसी कई टेक्नोलॉजीज हैं जिनसे तेल के आयात पर निर्भरता और गाड़ियों से होने वाले प्रदूषण को कम किया जा सकता है। आयुकावा ने कहा था, 'हमारे पास सीएनजी है, हमारे पास मजबूत और हल्के हाइब्रिड व्हीकल हैं। प्रॉडक्ट के आधार पर हमें टेक्नोलॉजी का चयन करना होगा।' कंपनी के पास फिलहाल आठ सीएनजी मॉडल हैं। वह पहले से ही भविष्य में बने रहने वाले फ्यूल ऑप्शन वाले पोर्टफोलियो में सभी छोटी कारों की मैन्युफैक्चरिंग का काम शुरू कर चुकी है।
पैरेलल हाइब्रिड टेक्नोलॉजी भी लाने की प्लानिंग
मारुति सुजुकी पैरेलल हाइब्रिड टेक्नोलॉजी को भी मार्केट में लाने की प्लानिंग कर रही है। इसे उसकी पैरेंट कंपनी सुजुकी मोटर कॉरपोरेशन (SMC) ने डिवेलप किया है। कंपनी ने हाल में हैचबैक स्विफ्ट में पैरेलल हाइब्रिड सिस्टम का प्रदर्शन किया था। इस मॉडल की अधिकतम फ्यूल एफिशिएंसी 32 किमी प्रति लीटर है। आयुकावा ने कहा, 'हम पैरेलल हाइब्रिड्स को भारत में लाने की योजना बना रहे हैं। हमारे पास हाइब्रिड सिस्टम तो है लेकिन समस्या लोकलाइजेशन की है।' फिलहाल मारुति सुजुकी के पास स्मार्ट हाइब्रिड टेक्नोलॉजी से लैस पांच गाड़ियां हैं।
एनवायरमेंट फ्रेंडली के साथ किफायती भी
कंपनी जिन मॉडल्स को भारतीय मार्केट में लाने वाली है, वे पर्यावरण के लिहाज से अनुकूल होने के साथ किफायती भी हैं। इससे कंपनी फ्यूल एफिशिएंसी और अफॉर्डेबिलिटी, दोनों के मोर्चे पर बाजार में अपनी बढ़त कायम रख सकेगी। इसके अलावा यह कदम कंपनी को लगभग 10 लाख टन CO2 एमिशन घटाने में भी मदद देगा। देश के बड़े शहरों में हवा की क्वॉलिटी अभी भी बेहद खराब है। कंपनी के इस कदम से वाकिफ एक सीनियर इंडस्ट्री एग्जिक्यूटिव ने कहा, 'जिस टारगेट को कंपनी ने एक दशक में हासिल किया था, वह उसे अब तीन साल में डिलीवर करना चाहती है। वह 10 लाख क्लीनर व्हीकल्स बेचना चाहती है और उसका फोकस अफॉर्डेबिलिटी पर होगा।' कंपनी की ओवरऑल सेल्स में पहले से ही सीएनजी व्हीकल्स का 9 पर्सेंट योगदान है। जिन राज्यों में सीएनजी डिस्ट्रीब्यूशन आउटलेट मौजूद हैं, वहां सीएनजी से चलने वाली मॉडल्स की ओवरऑल सेल्स में 70-75 पर्सेंट हिस्सेदारी है।