दूरसंचार विभाग ने 2017-18 के लिए गेल से 7,608 करोड़ रुपये चुकाने को कहा
नयी दिल्ली
दूरसंचार विभाग ने गेल इंडिया से 2017-18 के लिए 7,608 करोड़ रुपये का बकाया चुकाने को कहा है। हालांकि विभाग सार्वजनिक क्षेत्र की गैस इकाई पर पूर्व में आकलन के बाद बनी 1.83 लाख करोड़ रुपये की पुरानी देनदारी को चुकाने के लिए दबाव नहीं डाल रहा है। मामले से जुड़े सूत्रों ने कहा कि उच्चतम न्यायालय में 14 फरवरी को भारती एयरटेल, वोडाफोन आइडिया जैसी कंपनियों पर बकाये को लेकर सुनवाई के बाद दूरसंचार विभाग ने गेल को नोटिस जारी किया था। सूत्रों ने बताया कि गेल से अब जो बकाया चुकाने को कहा गया है कि उसमें विलंब से भुगतान का जुर्माना भी शामिल है। उच्चतम न्यायालय ने पिछले साल अक्टूबर में इस मामले में जो व्यवस्था दी थी उसके हिसाब से भारती एयरटेल और वोडाफोन आइडिया जैसी कंपनियों पर बकाया लाइसेंस शुल्क और स्पेक्ट्रम प्रयोग शुल्क के रूप में 1.47 लाख करोड़ रुपये की देनदारी बनी थी। दूरसंचार विभाग ने यह मांग सकल समायोजित राजस्व (एजीआर) की परिभाषा पर 14 साल पुराने विवाद पर की है।
उच्चतम न्यायालय ने अपने फैसले में कहा है कि एजीआर में दूरसंचार कंपनियों की सभी आय को शामिल किया जाएगा। इसके साथ ही विभाग ने सार्वजनिक क्षेत्र की गैर दूरसंचार कंपनियों मसलन गेल, आयल इंडिया और पावरग्रिड को दूरसंचार लाइसेंसों के लिए तीन लाख करोड़ रुपये चुकाने को कहा था। इन कंपनियों ने आंतरिक संचार के लिए यह लाइसेंस लिया था। गेल के संदर्भ में दूरसंचार विभाग ने आईपी-दो लाइसेंस के सालाना शुल्क के रूप में 1,83,076 करोड़ रुपये का बकाया बनाया था। गेल और अन्य गैर दूरसंचार कंपनियों का मानना था कि उच्चतम न्यायालय का अक्टूबर, 2019 का फैसला उनपर लागू नहीं होता। इस बारे में इन कंपनियों ने स्थिति साफ करने के लिए उच्चतम न्यायालय में अपील की थी। उच्चतम न्यायालय ने 14 फरवरी को दूरसंचार कंपनियों की भुगतान में छूट की याचिका को खारिज कर दिया था। उच्चतम न्यायालय ने गैर दूरसंचार कंपनियों से कहा था कि वे इस बारे में उपयुक्त मंच के पास जाएं। दूरसंचार विभाग की मांग पर टिप्पणी से इनकार करते हुए गेल के चेयरमैन एवं प्रबंध निदेशक मनोज जैन ने कहा कि उच्चतम न्यायालय ने 14 फरवरी को गैर दूससंचार कंपनियों को अपनी याचिका वापस लेने की अनुमति दी है। यह इस बात का संकेत है कि हमारा मामला दूरसंचार कंपनियों से अलग है।