नगर विकास योजना को रोकना नहीं होगा आसान, नगर एवं ग्राम निवेश अधिनियम में संशोधन
भोपाल
प्रदेश में सरकारी जमीनों को विकसित करने वाले विकास प्राधिकरणों और सरकारी एजेंसियों को आवंटित जमीन के लिए तैयार होने वाली नगर विकास योजना किसी जमीन पर विवाद के लिए अब रोकी नहीं जाएगी बल्कि उस विवादास्पद टुकड़े के संबंध में कानूनी निर्णय के अनुसार उसे अन्यत्र स्थान पर जमीन दी जाएगी। इसके लिए राज्य शासन ने मध्यप्रदेश नगर एवं ग्राम निवेश अधिनियम में संशोधन कर दिया है।
इस अधिनियम में संशोधन को राज्यपाल की अनुमति मिलने के बाद लागू कर दिया गया है। इसके तहत अब किसी योजना बनाने के लिए घोषित क्षेत्र में यदि कोई विवादित भूखंड आता है जिसके स्वामित्व के लिए विवाद हो, ऐसे विवादित दावे के अधिकार अथवा नामांतरण के अभिलेख में की गई प्रविष्टि गलत या अनिश्चयात्मक या अनिर्णयात्मक होने की स्थिति मे योजना रोकी नहीं जाएगी। न्यायालय के निर्णय के अनुसार उस भूखंड के बराबर भूखंड अन्य स्थान पर आवंटित किया जा सकेगा।
इसी तरह यदि किसी विकास योजना में दस प्रतिशत तक राशि खर्च किए जाने के बाद योजना पूरी नहीं हो पाती या रोक दी जाती है तो इस खर्च को सभी अधिग्रहित भूखंडधारियों में बराबर-बराबर बांट कर उन्हें उनसे लिए गए भूखंड वापस कर दिये जाएंगे। इन पर वे अनुमतियां लेकर विकास कर सकेंगे। वहीं योजना के प्रस्ताव के छह माह के भीतर यदि दस प्रतिशत से अधिक खर्च होने पर यदि कार्य प्रगति पर है तो भूखंड वापस नहीं दिया जाएगा।
सरकार योजना के स्वरूप को बदलना चाहे तो प्रस्ताव की तारीख से तीन माह के भीतर इसका अनुमोदन कर सकेगी। इसके लिए भी तीन माह का अतिरिक्त समय दिया जा सकेगा।
राजस्व एवं गैर राजस्व संग्रहण के लिए प्रक्रिया के सरलीकरण एवं नवाचार के संबंध में प्राप्त सुझावों का परीक्षण करने तथा क्रियान्वयन के उपाय सुझाने के लिए एक परामर्श समिति भी गठित की गई है। इस समिति में संयुक्त संचालक राजीव निगम, संयुक्त संचालक सोमनाथ झारिया, उप संचालक नीलेश दुबे और प्रभारी अधिकारी शाखा दो संयोजक को शामिल किया गया है। यह समिति सप्ताह में कम से कम दो बार बैठक कर सुझाव प्रस्तुत करेगी।