धान खरीदी के मसले पर सदन से पहले सड़क पर उतरी BJP, बढ़ सकती है कांग्रेस की परेशानी
रायपुर
छत्तीसगढ़ में धान खरीदी (Paddy Purchase) का समय सरकार ने भले ही खत्म कर दिया हो लेकिन धान खरीदी पर सियासत उबाल पर है. विधानसभा चुनाव (Assembly Election) में हार के बाद बुरी तरह सुस्ती में चली गई बीजेपी (BJP) भी एकदम से जागी है. मालूम हो कि पूरे प्रदेश के हर जिले में धान खरीदी का समय 15 दिन और बढ़ाने और केशकाल में किसानों पर हुए लाठीचार्ज के मामले में उपयुक्त कार्रवाई की मांग को लेकर बीजेपी ने शनिवार को एक दिन का धरना प्रदर्शन किया. इस धरना प्रदर्शन (Protest) के लिए बीजेपी के बड़े नेताओं को अलग-अलग जिलों का जिम्मा सौंपा गया था. बीजेपी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह (Dr. Raman Singh) जहां अंबिकापुर में धरना प्रदर्शन में शामिल हुए, तो वहीं बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष विक्रम उसेण्डी बालोद जिले में, सांसद विजय बघेल दुर्ग, तो वहीं बेमेतरा में नेता प्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक इस धरना प्रदर्शन में शामिल हुए.
राजधानी रायपुर में दोपहर के दो बजे से पांच बजे तक धरना प्रदर्शन किया गया. बीजेपी से रायपुर सांसद सुनील सोनी ने राजधानी का मोर्चा संभाला था. सुनाल सोनी का कहना है कि कांग्रेस ने एक-एक दाना धान खरीदी का वादा किया था, हाथ में गंगाजल लेकर कसम भी खाई थी. अब जब धान खरीदने का समय आया तो किसानों पर लाठीचार्ज किया जा रहा. बालोद में बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष विक्रम उसेण्डी ने कहा कि विपक्ष किसानों के साथ है, जब तक मांग नहीं मानी जाएगी तब तक बीजेपी किसानों के साथ लड़ेगी. बेमेतरा में नेता प्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक ने कहा कि यह वादा खिलाफी करने वाली सरकार है. अभी तो सड़क पर उतरे हैं, सदन में भी बीजेपी किसानों की धान खरीदी पूरी नहीं होने और लाठीचार्ज के मुद्दे को जमकर उठाएगी. वैस लंबे समय बाद बीजेपी एक साथ इस तरह से सड़क पर उतरी है. बीजेपी के कई बड़े नेताओं का दावा है कि प्रदेश के किसान आज मुश्किल में हैं. विपक्ष का काम होता है कि वह जनता के मसलों को उठाए. ऐसे में बीजेपी आज प्रदेश भर में सड़क पर उतरी है.
बीजेपी के पूर्व मंत्री बृजमोहन अग्रवाल का कहना है कि यह सरकार गूंगी,अंधी बहरी हो गई है. ऐसे में उन्हें जगाने के लिए जरूरी है कि सड़क पर उतरा जाए. इसके बाद सदन में भी शोर होगा. हालांकि कहीं-कहीं जिलों में अपेक्षा से कम भीड़ उमड़ी. कांकेर में तो बीजेपी के कार्यकर्ता उलझ भी गए थे. हालांकि यह भी सच्चाई है कि बीजेपी के दिग्गजों ने जिस आक्रामक अंदाज में धरने का आगाज किया था कई जिलों में अंजाम उतना आक्रामक नहीं नजर आया. लेकिन यह जरूर है कि किसानों के ऊपर लाठीचार्ज जो हुआ उसने बीजेपी को लंबे समय तक भूनाने के लिए एक बड़ा मुद्दा मिल गया.