अब US ने पाक से कहा- भारत से आतंक और बात साथ-साथ नहीं
वॉशिंगटन
अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप के दो दिवसीय भारत दौरे से ठीक पहले वाइट हाउस ने पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद को लेकर बड़ा बयान दिया है। अमेरिका ने भारत के सुर में सुर मिलाते हुए कहा है कि आतंकवाद और बातचीत साथ-साथ नहीं चल सकते हैं। यह भारत का पुराना स्टैंड रहा है, जिसे अब अमेरिका ने भी दोहराया है। वाइट हाउस ने यह भी कहा कि अमेरिकी राष्ट्रपति लगातार भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव कम करने को लेकर कोशिश कर रहे हैं। दोनों देशों के बीच बातचीत तभी सफल होगी जब पाकिस्तान अपने देश में आतंकवादियों और चरमपंथियों पर कार्रवाई करे।
भारत-पाकिस्तान के रिश्तों पर वाइट हाउस ने कही ये बात
ट्रंप की आगामी भारत यात्रा के दौरान कश्मीर मुद्दे पर फिर मध्यस्थता की पेशकश किए जाने के सवाल पर वाइट हाउस के वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी ने कहा, 'मुझे लगता है कि राष्ट्रपति इस दौरे पर जो कुछ भी कहेंगे वह भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव कम करने के लिए काफी प्रेरित करने वाला होगा। उनका संबोधन दोनों देशों को अपने मतभेदों को सुलझाने और एक-दूसरे के साथ द्विपक्षीय वार्ता के लिए बेहद अहम होगा।'
'पाकिस्तान अपने देश में आतंकवादियों पर कार्रवाई करे'
राष्ट्रपति ट्रंप और अमेरिका की प्रथम महिला मेलानिया ट्रंप का 24 और 25 फरवरी को अहमदाबाद और नई दिल्ली जाने का कार्यक्रम है। आगरा जाने का कार्यक्रम भी संभावित है। उनके साथ 12 सदस्यीय अमेरिकी प्रतिनिधिमंडल भी होगा। वाइट हाउस के अधिकारी ने कहा, 'हमारा हमेशा से मानना है कि दोनों देशों (भारत और पाकिस्तान) के बीच किसी भी सफल बातचीत की नींव पाकिस्तान के अपने क्षेत्र में आतंकवादियों और चरमपंथियों पर कार्रवाई पर निर्भर है।' उन्होंने आगे कहा कि मुझे लगता है राष्ट्रपति ट्रंप दोनों देशों से नियंत्रण रेखा पर शांति और स्थिरता बनाए रखने के साथ-साथ ऐसी कार्रवाई या बयानों से बचने का अनुरोध करेंगे जो क्षेत्र में तनाव बढ़ा सकते हैं।
पत्नी मेलानिया संग भारत दौरे पर आ रहे राष्ट्रपति ट्रंप
अफगानिस्तान शांति प्रक्रिया पर अधिकारी ने कहा कि अमेरिका, भारत को प्रेरित करेगा कि वह इस शांति प्रक्रिया का समर्थन करने के लिए जो कर सकता है, वह करे, जिससे यह सफल हो। अधिकारी ने कहा, 'हम सैन्य भागीदारी खत्म कर सकते हैं। हम अपनी कूटनीतिक और आर्थिक भागीदारी जारी रखेंगे, जो वहां पिछले 19 साल से है, लेकिन हम इस शांति प्रक्रिया का समर्थन करने के लिए निश्चित तौर पर भारत की ओर देखेंगे, जो क्षेत्र में महत्वपूर्ण देश है, क्षेत्र की स्थिरता के लिए अहम है। मुझे लगता है अगर यह मुद्दा उठता है तो यह राष्ट्रपति के अनुरोध पर ही होगा।'