तिमूर या पहाड़ी नीम औषधीय गुणों से भरपूर
भारत में अनेक प्रकार के पेड़ पौधे और जड़ी बूटियां पाई जाती हैं, जिनकी आयुर्वेदिक चिकित्सा में अहम भूमिका होती है। इन पौधों में से एक है पहाड़ी नीम जिसे तिमूर के नाम से भी जाना जाता है। यह खास तौर पर उत्तराखंड में पाई जाती है। इस पौधे का वैज्ञानिक नाम जेनथोजायलम अर्मेटम है। इस पेड़ की पत्तियां, टहनी, बीज और फल सभी फायदेमंद होते हैं। इसके प्रयोग से हाई बीपी से लेकर कई छोड़ी-बड़ी बीमारियों को ठीक किया जा सकता है। आइये जानते हैं इस पहाड़ी नीम के 5 जबरदस्त फायदे।
पायरिया से दिलाए छुटकारा
इस पहाड़ी नीम की छाल का प्रयोग पायरिया को दूर करने के लिये किया जाता है। इसके लिये इसकी लकड़ी को दातुन कि तरह चबाते हैं। पहाड़ों में जब कई साल पहले मंजन आदि नहीं हुआ करता था तब वहां के लोग इसका प्रयोग दांत साफ करने में करते थे।
ब्लड प्रेशर करे कंट्रोल
तिमूर के बीजों में पोटैशियम की मात्रा भरपूर्ण होती है इसलिए इन्हें खाने से बढ़ा हुआ बीपी कंट्रोल रहता है। बता दें कि तिमूर की टहनियां भी कांटेदार होती हैं। इसकी टहनी के कांटों को एक्यूपंक्चर के लिए इस्तेमाल किया जाता है, जिससे बढ़ा हुआ ब्लड प्रेशर तुरंत घट जाता है।
मुंह की बदबू करे दूर
तिमूर के बीज मुंह में डाल कर चबाने से पिपरमिंट जैसा स्वाद आता है। इससे मुंह की गंदी बदबू दूर होती है। रोज रात को खाना खाने के बाद अगर इनके बीजो को चबाया जाए तो मसूड़े भी मजबूत होते हैं।
एंटीसेप्टिक का काम करती है पहाड़ी नीम
इस पेड़ के पत्तों में एक खास तत्व पाया जाता है जो कि एंटीसेप्टिक का काम करता है। शरीर पर कहीं चोट लगने या फिर छिल जाने पर इसकी पत्तियों का लेप लगाने से छोट जल्द ठीक हो जाती है। यहां तक कि उस चोट का निशान भी नहीं पड़ता।
पेट से जुडी बीमारियों को करे इलाज
इस पेड़ के बीजों का प्रयोग मसालों के रूप में किया जाता है। इससे पेट और पाचन से जुड़ी तमाम बीमारियां दूर होती हैं। यदि आपको कब्ज या दस्त की समस्या भी है तो तिमूर के बीज लाभ पहुंचाएंगे।
मसालों की तरह करें इस्तेमाल
पहाड़ी लोग खाने बनाने के लिये तिमूर के बीजों का इस्तेमाल मसाले के रूप में करते हैं। यही नहीं इसकी चटनी भी बनाई जाती है जो खाने में बेहद स्वादिष्ट लगती है।