November 24, 2024

यूपी में संपत्ति का रजिस्ट्रेशन हुआ महंगा, प्रॉपर्टी मार्केट पर असर

0

गाजियाबाद

उत्तर प्रदेश में रजिस्ट्री कराना 13 फरवरी से महंगा हो चुका है. सरकार ने रजिस्ट्रेशन फीस में बढ़ोतरी कर दी है. पहले ये फीस 20 हजार रुपये थी, लेकिन 13 फरवरी को जारी शासनादेश के बाद इसे प्रॉपर्टी की कीमत का एक फीसदी कर दिया गया है. मंदी से जूझ रहे दिल्ली-एनसीआर के प्रॉपर्टी मार्केट के लिए इसे बड़ा झटका माना जा रहा है. 14 फरवरी को संपत्तियों की रजिस्ट्रियों में नए रजिस्ट्रेशन शुल्क लागू हो गए हैं.

ऐसे समझें गणित

रजिस्ट्री में वकील के खर्च के अलावा आपको दो जगह पैसा देना होता है, एक- स्टांप ड्यूटी यानी स्टांप पेपर और दूसरा रजिस्ट्री ऑफिस में रजिस्ट्रेशन शुल्क. अभी उत्तर प्रदेश में 10 लाख रुपये कीमत तक की संपत्ति पर 6 फीसदी की दर से स्टांप ड्यूटी लगती है जबकि 10 लाख से महंगी संपत्ति पर ये दर 7 फीसदी है. रजिस्ट्री का गणित ऐसे समझिए कि अगर एक संपत्ति 40 लाख रुपये की है तो उस पर आपको 7 फीसदी स्टांप ड्यूटी (स्टांप पेपर खरीदना पड़ेगा) और रजिस्ट्रेशन फीस के रूप में संपत्ति का 1 फीसदी यानी 40 हजार रुपये देने पड़ेंगे. ये 40 हजार रुपये शुल्क 14 फरवरी से पहले 20 हजार रुपये था. इसी तरह 50 लाख के मकान पर आपको 30 हजार रुपये बतौर रजिस्ट्रेशन शुल्क ज्यादा देने पड़ेंगे यानी कुल रजिस्ट्रेशन शुल्क 1 फीसदी (50 हजार रुपये) लगेगा जो कि 13 फरवरी से पहले 20 हजार रुपये ही देना पड़ता था.

गाजियाबाद तहसील ऑफिस बार एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष और वकील रामानंद गोयल ने बताया कि सरकार मनमानी पर आमादा है. आम आदमी संपत्ति खरीदने से पहले सौ बार सोचने लगेगा. सरकार ने 1 फीसदी का चार्ज लगाकर बहुत अन्याय किया है. पहले 10 लाख तक की संपत्ति पर 2 फीसदी या 20 हजार रुपये का रजिस्ट्रेशन चार्ज था. नए शासनादेश से 10 लाख तक की संपत्ति खरीदने वालों को तो थोड़ा फायदा है. लेकिन ऐसे मकानों और प्लॉटों की संख्या काफी कम है. 10 लाख रुपये तक की संपत्ति की रजिस्ट्री कराने वालों की संख्या 10 फीसदी से भी कम है. सरकार के नए आदेशों से गाजियाबाद, मेरठ और नोएडा में प्रॉपर्टी मार्केट पर प्रतिकूल असर पड़ेगा. पश्चिमी यूपी के 22 जिलों पर इसका काफी असर दिखेगा.

प्रॉपर्टी मार्केट पर पड़ेगा असर

दरअसल, सरकार के फैसले लगातार प्रॉपर्टी मार्केट पर प्रतिकूल असर डालने वाले रहे हैं. प्रदेश में प्रॉपर्टी मार्केट पहले ही मंदी की मार झेल रहा है. दिल्ली एनसीआर में मकानों की इन्वेंट्री पहले से बढ़ी हुई है. नोटबंदी ने देश के पूरे प्रॉपर्टी मार्केट की कमर तोड़ दी थी. नोटबंदी के सदमे से प्रॉपर्टी बाजार उबरा भी नहीं था कि सरकार ने रियल एस्टेट नियमाक कानून (रेरा) लागू कर दिया. इससे हालांकि फर्जी बिल्डर मार्केट से बाहर हो गए लेकिन प्रॉपर्टी बाजार को और धक्का पहुंचा. इसके बाद रही सही कसर जीएसटी ने पूरी कर दी.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *