वनाधिकार अधिनियम में निरस्त दावों का गहन परीक्षण नियत समय पर हो
भोपाल
प्रमुख सचिव आदिम-जाति कल्याण श्रीमती दीपाली रस्तोगी ने प्रशासन अकादमी में एम.पी. वनमित्र पोर्टल पर केन्द्रित प्रशिक्षण-सह-कार्यशाला में मास्टर ट्रेनर्स से कहा है कि वनाधिकार अधिनियम में लंबित प्रकरणों का गहन परीक्षण कर पोर्टल पर अपलोड की कार्यवाही नियत समय पर की जाये। कार्यशाला में प्रदेश के समस्त जिलों के तीन-तीन कम्प्यूटर के जानकार अधिकारियों को मास्टर ट्रेनर के रूप में पोर्टल की प्रक्रिया के संबध में सैद्धांतिक एवं टेबलेट्स पर विस्तृत प्रशिक्षण दिया गया। श्री योगेश बिचकोले महाराष्ट्र नॉलेज कार्पोरेशन ने वन अधिकार अधिनियम की प्रक्रिया की जानकारी दी।
प्रशिक्षण में वनाधिकार समितियों के दायित्वों, दावों के परीक्षण, वन-भूमि का नक्शा बनाने तथा दावों का सत्यापन करने के संबध में जानकारी दी गई। दावों का परीक्षण करने के संबध में उपखण्ड स्तरीय समिति एवं जिला स्तरीय समिति के दायित्वों एवं कार्य-प्रणाली के संबध में भी जिलों से आये डिस्ट्रिक्ट ई-गवर्नेंस की बारीकियों से मास्टर ट्रेनर्स को अवगत कराया गया।
कार्यशाला में जानकारी दी गई कि प्रदेश में अब तक पोर्टल के माध्यम से 3 लाख 25 हजार से अधिक दावे दर्ज किये जा चुके हैं। ग्राम वनाधिकार समितियों ने 9000 से अधिक दावों का सत्यापन कर उपखण्ड स्तरीय समितियों को भेजा है। कार्यशाला में बताया गया कि दावों के निराकरण के लिए 31 मार्च 2020 की अंतिम तिथि निर्धारित की गई है। प्रदेश में वनाधिकार अधिनियम के अंतर्गत करीब 3 लाख 60 हजार निरस्त दावों का पुनः परीक्षण कर पोर्टल के माध्यम से निराकरण किया जाना है।
उल्लेखनीय है कि प्रदेश में वनवासियों को उनकी भूमि का मालिकाना हक दिलाने के लिये एम.पी. वनमित्र पोर्टल का पिछले वर्ष गाँधी जयंती 02 अक्टूबर को मुख्यमंत्री
श्री कमल नाथ और आदिम-जाति कल्याण मंत्री श्री ओमकार सिंह मरकाम ने लोकार्पण किया था। प्रशिक्षण में संचालक क्षेत्रीय आदिवासी परियोजना की सुश्री शैल बाला मार्टिन भी मौजूद थीं।