समर्थन मूल्य पर वनोपज क्रय से लगभग 4 लाख संग्राहक होंगे लाभान्वित
रायपुर
मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल की मंशा के अनुरूप प्रदेश में लघु वनोपजों के संग्रहण, प्रसंस्करण और विपणन के माध्यम से ग्रामीणों को आजीविका से जोड?े के लिए विस्तृत कार्ययोजना तैयार की गई है। राज्य सरकार द्वारा 22 लघु वनोपजों को न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीदने का निर्णय लिया गया है। परियोजना के माध्यम से वनोपजों के न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीदी से लगभग 4 लाख संग्राहक लाभान्वित होंगे। वनोपज के व्यापार से महिला स्व-सहायता समूहों को भी जोड़ा जाएगा। महिला स्व-सहायता समूह की महिलाएं हाट बाजारों में लघु वनोपजों का क्रय करेंगी और वन-धन विकास केन्द्रों पर लघु वनोपजों के प्राथमिक प्रसंस्करण के काम में भी जुटेंगी। इसके माध्यम से लगभग 5500 महिला स्व-सहायता समूहों की 50 हजार से अधिक महिलाएं लाभान्वित होंगी।
परियोजना तैयार करने के पहले लघु वनोपज बाजार का सर्वेक्षण वन क्षेत्रों के आसपास के 1082 हाट बाजारों में 480 प्रशिक्षित दल के सदस्यों द्वारा कराया गया। सर्वेक्षण से स्पष्ट हुआ कि 839 हाटबाजारों में 3000 से अधिक गांवों के ग्रामीणों द्वारा लघु वनोपज का संग्रहण कर विक्रय के लिए लाया जाता है। यह जानकारी भी मिली कि व्यापारिक महत्व की 80 प्रजाति की 1200 करोड़ रुपए मूल्य की वनोपजों का विक्रय ग्रामीणों द्वारा हाट बाजारों में किया जाता है। लघु वनोपज संग्रहण और प्राथमिक प्रसंस्करण- बाजार सर्वेक्षण से प्राप्त जानकारी के आधार पर लघु वनोपज के उत्पादन की जानकारी तैयार की गयी, जिला यूनियनों को न्यूनतम समर्थन मूल्य के अंतर्गत 200 करोड़ रूपए से अधिक मूल्य की वनोपजों के संग्रहण का लक्ष्य निर्धारण किया गया है। वर्तमान वर्ष में शासन द्वारा पूर्व वर्ष के 15 प्रजाति के स्थान पर 22 लघु वनोपज का न्यूनतम समर्थन मूल्य योजनांतर्गत क्रय किए जाने का लक्ष्य है। बस्तर संभाग अंतर्गत 75 करोड़ रूपए की वनोपज क्रय का लक्ष्य रखा गया है।
राज्य में लघु वनोपज संग्रहण एवं प्रसंस्करण की व्यवस्था को सुदृढ़ करने के लिए सर्वेक्षण से प्राप्त जानकारी के आधार पर 839 हाट बाजारों पर संग्रहण केन्द्र एवं 139 हाट बाजारों पर वन धन विकास केन्द्र की स्थापना की गई है, इसमें से बस्तर संभाग के अंतर्गत 317 संग्रहण केन्द्र एवं 47 वन धन विकास केन्द्र की स्थापना की जा रही है। वन धन विकास केन्द्र की स्थापना हेतु भारतीय जनजातीय विपणन संस्थान ट्रायफेड द्वारा 20.85 करोड़ रूपए के परियोजना की स्वीकृति संघ को प्रदान की गयी है, इसी योजना के तहत वन धन विकास केन्द्रों की स्थापना की जा रही है। इन केन्द्रों में लघु वनोपज के प्राथमिक प्रसंस्करण का कार्य किया जाएगा। हाट बाजार स्तर पर महिला स्व-सहायता समूहों द्वारा लघु वनोपज का प्राथमिक प्रसंस्करण कार्य किया जाएगा। एक वन धन विकास केन्द्र में कम से कम 300 हितग्राही कार्य करेंगे। प्रदेश में लघु वनोपज आधारित विकास हेतु तैयार कार्य योजना के क्रियान्वयन का कार्य युद्ध स्तर पर चल रहा है। इससे एक ओर जहां संग्राहकों को उनकी वनोपज का उचित मूल्य प्राप्त होगा, वहीं स्व-सहायता समूहों को रोजगार के अच्छे अवसर मिलेंगे।