नोएडा रंग महोत्सव में नीरा आर्य पुरस्कार से सम्मानित किए जाएंगे अभिनेता अखिलेश पांडे
नई दिल्ली। छत्तीसगढ़ के जाने-माने अभिनेता अखिलेश पांडे को नीरा आर्य पुरस्कार से सम्मानित किया जाएगा। यह पुरस्कार आजाद हिंद की पहली महिला जासूस नीरा आर्य ‘नागिनी’ की स्मृति में स्थापित किया गया है।
14 से 17 फरवरी तक आयोजित तृतीय नोएडा रंग महोत्सव, उत्तर प्रदेश में अभिनेता अखिलेश पांडे को यह पुरस्कार 16 फरवरी 2020 को प्रदान किया जाएगा।
उत्कृष्ट अभिनय और बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओं की विचारधारा के प्रसार—प्रसार में योगदान के लिए उन्हें यह पुरस्कार देने का निर्णय लिया गया है।
ड्रामाटर्जी आर्ट एंड कल्चर सोसायटी, ईशान म्यूजिक कालेज, सेवंथ रूट एंटरटेंमेंट एवं धामा फिल्म्स इंटरेनशलन के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित नोएडा रंग महोत्सव में अभिनेता अखिलेश पांडे एक वैचारिक मंच पर भी अपने विचार साझा करेंगे, जिसका सीधा प्रसारण टीवी चैनल एवं रेडियो से होगा। निर्देशक संजय मलिक, साहित्यकार तेजपाल सिंह धामा, जिनके उपन्यास अग्नि की लपटें पर संजय लीला भंसाली की पद्मावत का निर्माण हुआ है, फिल्म निर्माता रामभाई, प्रख्यात लेखिका मधु धामा, पूर्व नाम फरहाना ताज भी उनके साथ वैचारिक मंच को साझा करेंगे।
बता दें कि नीरा आर्य ‘नागिनी’ जिनके नाम पर स्थापित पुरस्कार अखिलेश पांडे को दिया जाएगा उनका जन्म 5 मार्च 1902 को तत्कालीन संयुक्त प्रांत के खेकड़ा नगर में हुआ था। इनके धर्मपिता सेठ छज्जूमल अपने समय के एक प्रतिष्ठित व्यापारी थे, जिनका व्यापार देशभर में फैला हुआ था। खासकर कलकत्ता में इनके पिताजी के व्यापार का मुख्य केंद्र था, इसलिए इनकी शिक्षा-दीक्षा कलकत्ता में ही हुई। नीरा आर्य हिन्दी, अंग्रेजी, बंगाली के साथ-साथ कई अन्य भाषाओं में भी प्रवीण थीं। इनकी शादी ब्रिटिश भारत में सीआईडी इंस्पेक्टर श्रीकांत जयरंजन दास के संग हुई थी। श्रीकांत जयरंजन दास अंग्रेज भक्त अधिकारी था। जयरंजन दास को नेताजी सुभाष चंद्र बोस की जासूसी करने और उसे मौत के घाट उतारने की जिम्मेदारी दी गई थी। जब सिंगापुर में अवसर पाकर श्रीकांत जयरंजन दास ने नेताजी को मारने के लिए गोलियां दागी तो वे गोलियां नेताजी के ड्राइवर को जा लगी, लेकिन इस दौरान नीरा आर्य ने श्रीकांत जयरंजन दास के पेट में संगीन घोंपकर उसे परलोक पहुंचा दिया था। श्रीकांत जयरंजन दास नीरा आर्य के पति थे, इसलिए पति को मारने के कारण नेताजी ने उन्हें नागिनी कहा था। आजाद हिन्द फौज के समर्पण के बाद जब दिल्ली के लाल किले में मुकदमा चला तो सभी बंदी सैनिकों को छोड़ दिया गया, लेकिन नीरा आर्य को पति की हत्या के आरोप में काले पानी की सजा हुई थी, जहां इन्हें घोर यातनाएं दी गई। आजादी के बाद नीरा आर्य ने फूल बेचकर जीवनयापन किया, लेकिन कोई भी सरकारी सहायता या पेंशन स्वीकार नहीं की। नीरा आर्य के भाई बसंत कुमार भी स्वतंत्रता सेनानी थे, जो आजादी के बाद संन्यासी बन गए थे और फैजाबाद में गुमनामी बाबा के निकट एक मकान में रहते थे।