November 23, 2024

2020-21 से मिलेगी इकॉनमी पर गुड न्यूज

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नई दिल्ली
आर्थिक सुस्ती से जूझ रही देश की अर्थव्यवस्था को चालू वित्त वर्ष में कोई राहत मिलने की उम्मीद नहीं दिख रही, लेकिन अगले वित्त वर्ष के बेहतर रहने की उम्मीद जताई जा रही है। फिच समूह की एजेंसी इंडिया रेटिंग्स ऐंड रिसर्च ने बुधवार को कहा कि वित्त वर्ष 2020-21 में देश की आर्थिक विकास दर मामूली सुधार के साथ 5.5% रह सकती है, लेकिन इसके नीचे जाने का जोखिम बना रहेगा। वहीं, पिछले दिनों अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष (IMF) ने अगले वित्त वर्ष से अर्थव्यवस्था की रफ्तार बढ़ने का अनुमान लगाया था।

बजट पर निर्भर करेगी आर्थिक रफ्तार
इंडिया रेटिंग्स ने कहा, ‘सरकार को वित्त वर्ष 2020-21 का बजट इस तरह से बनाना चाहिए कि उसमें खर्च युक्तिसंगत हो। इसके लिए प्राथमिकता तय करनी होगी। खर्च इस रूप से हो, जिससे प्रत्यक्ष रोजगार सृजित हो और समाज के निचले तबकों की जेब में पैसा पहुंचे। इससे खपत बढ़ाने में मदद मिलेगी। साथ ही, राजस्व सृजित करने के सभी उपायों पर गौर करना होगा।’ इंडिया रेटिंग के निदेशक (पब्लिक फाइनैंस) और प्रधान अर्थशास्त्री सुनील कुमार सिन्हा ने यहां संवाददाताओं से कहा, ‘भारत की आर्थिक वृद्धि दर अगले वित्त वर्ष 2020-21 में कुछ सुधरकर 5.5 प्रतिशत रह सकती है।’

सुस्ती का असर इकॉनमी की रफ्तार पर
इससे पहले, अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष (IMF) ने सोमवार को चालू वित्त वर्ष में भारत समेत वैश्विक अर्थव्यवस्था के लिए अनुमानित आर्थिक वृद्धि दर में कटौती करते हुए अगले वित्त वर्ष से अर्थव्यवस्था की रफ्तार बढ़ने का अनुमान लगाया गया है। IMF ने भारत के आर्थिक वृद्धि दर के अनुमान को कम कर 2019 के लिए 4.8 प्रतिशत कर दिया है। इसी संस्था ने अक्टूबर में विकास दर 6 पर्सेंट रहने का अनुमान लगाया था। बताया गया है कि भारत में सुस्ती की वजह से वैश्विक अनुमान में भी कटौती की गई है।

उपायों का मध्यम अवधि में ही राहत
सिन्हा ने कहा कि वृद्धि में कमी की प्रमुख वजहों में बैंक कर्ज में नरमी के साथ गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (NBFC) के कर्ज में उल्लेखनीय रूप से कमी, परिवार आय में कमी के साथ बचत में गिरावट तथा अटकी पड़ी पूंजी के उपयोग का त्वरित विवाद समाधान नहीं हो पाना शामिल हैं। उन्होंने कहा कि इन जोखिमों की वजह से भारतीय अर्थव्यवस्था कम खपत के साथ-साथ कम निवेश मांग के चरण में फंसी हुई है। रेटिंग एजेंसी के अनुसार, सरकार ने हाल में जो कदम उठाए हैं, उससे मध्यम अवधि में ही राहत मिलने की उम्मीद है।

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