रायपुर,के निजी चिकित्सा संस्थानों में भर्ती मरीज के परिजनों से जमकर हो रही वसूली, जिम्मेदार नहीं दे रहे ध्यान
रायपुर, जनवरी । छत्तीसगढ़ शासन लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग प्रदेश की जनता को स्वास्थ्य के मामले में राहत देने के लिए जहां एक ओर प्रदेश एवं राष्ट्रीय स्तर पर अनेक योजनाओं का अनुबंध कर निजी चिकित्सा संस्थानों के जरिए प्रयास कर रहा है वहीं प्रदेश के निजी चिकित्सा संस्थानों में वहां के चिकित्सक एवं प्रशासनिक स्टॉफ द्वारा भर्ती मरीज के परिजनों के साथ काउंटर पर पैसा जमा कराने को लेकर दुव्र्यवहार किया जा रहा है। हाल ही में एमएमआई हास्पिटल में भिलाई निवासी निर्मल सिंह की मौत होने पर उनके परिजनों ने वहां के प्रशासनिक स्टॉफ द्वारा दुव्र्यवहार एवं चिकित्सकों द्वारा कम अवधि में ही लगातार दो आपरेशन कर मरीज की मौत के लिए उन्हें जिम्मेदार ठहराया है। एमएमआई सहित शहर के अनेक चिकित्सा संस्थानों में भर्ती मरीज के परिजनों को चिकित्सा कराने के दौरान चिकित्सकों द्वारा बीमारी ठीक करने में कितना पैसा लगेगा नहीं बताया जाता जानकारी के अभाव में कई बार मरीज के परिजन केश काउंटर में बैठे स्टाफ को मांगी गई राशि नहीं दे पाते। कुछ समय बाद राशि उपलब्ध कराने की बात कहने पर भी मरीज के परिजनों से ऐसा दुव्यर्वहार किया जाता है जैसा उन्होंने वहां आकर इलाज कराकर गुनाह किया हो इसी तरह शंकर नगर क्षेत्र, राजेंद्र नगर क्षेत्र एवं समता कालोनी क्षेत्र से भी निजी चिकित्सा संस्थानों द्वारा बेदर्दीपूर्वक मरीज के रिश्तेदारों से खुलेआम वसूली करने की शिकायतें मिली है। आरटीआई कार्यकर्ता डॉ. चंद्रमणी तिवारी, डॉ. योगेश चंद्र मिश्रा, डॉ. संगीता तिवारी एवं समाज सेविका श्रद्धा साहू ने निजी चिकित्सा संस्थानों द्वारा नियमों को ताक में रखकर वसूली किये जाने पर कड़ी आपत्ति व्यक्त करते हुए स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव से दोषी चिकित्सा संस्थानों का नर्सिंग होम एक्ट के तहत पंजीयन रद्द करने की मांग की है। ज्ञातव्य है कि पं. जेएन एम मेडिकल कॉलेज रायपुर के मेडिसीन विभाग के एक सेवानिवृत वरिष्ठ चिकित्सक द्वारा ओपीडी फीस एक हजार रुपये प्रति मरीज से वसूली जा रही है। वहीं सुपर स्पेशलिस्ट चिकित्सकों की ओपीडी फीस 500 रुपये से 9 सौ रुपये प्रति मरीज वसूली जा रही है। उक्त मामले में अनेक वरिष्ठ नागरिकों ने प्रदेश शासन से डॉक्टरों के प्रति वर्ष आयकर रिटर्न की जांच के लिए केंद्र सरकार को तत्काल कदम उठाने के लिए आग्रह किया है। चिकित्सकों की आयकर रिटर्न की जानकारी आम लोगों को नहीं होती। जानकार सूत्रों के अनुसार वरिष्ठ चिकित्सकों की मासिक आय लाखों रुपये में हैं जबकि आयकर रिटर्न कितने का भरा जाता है इसकी जानकारी प्रशासनिक जिम्मेदारों को भी नहीं है। सेवानिवृत्त जिला न्यायाधीश केएल कोरी, एनके शर्मा, सेवानिवृत्त प्रशासनिक अधिकारी डॉ. बीएल तिवारी, दिनेश सोनी ने मुख्यमंत्री भूपेश बघेल से डॉक्टरों द्वारा निजी चिकित्सा संस्थानों में मरीज के परिजनों से खुलेआम वसूली किये जाने पर सख्त कार्रवाई किये जाने की मांग की है।