November 23, 2024

कानपुर में बनेंगे मिसाइल की तरह ‘गाइडेड’ हथियार

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 कानपुर                                                                                                                 
धनुष और सारंग के बाद आर्डिनेंस फैक्टरी कानपुर (ओएफसी) ने एक और बड़े मिशन पर काम किया है। गाइडेड मिसाइल की तरह ओएफसी में गाइडेड हथियार बनेंगे। ‘गाइडेड’ यानी रिमोट कंट्रोल या किसी भी इंटरनेट डिवाइस के जरिए नियंत्रित होने वाले हथियार। गोला दागने के बाद बीच में भी उसकी दिशा और लक्ष्य में बदलाव किया जा सकेगा। ओएफसी ने इस महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट के लिए आईआईटी कानपुर से समझौता किया है। इसी के साथ ओएफसी को बहुप्रतीक्षित फोर्जिंग प्रेस की हरी झंडी भी रक्षा मंत्रालय ने दे दी है। इसके लगने के बाद यहां 75 हजार सालाना हाई एक्सप्लोसिव बारूद के खोल तैयार हो सकेंगे, जिनका इस्तेमाल शारंग और धनुष जैसे टैंक में किया जाएगा। यह जानकारी ओएफसी कानपुर के महाप्रबंधक ए एन श्रीवास्तव ने दी।
अपर महाप्रबंधक एमके शर्मा ने बताया कि सारंग और धनुष जैसी 155 एमएम आर्टिलिरी गन बना रही ओएफसी में इन दिनों गन शॉप में जबर्दस्त काम है। अब तक इनसे दागे जाने वाले ये हथियार गाइडेड नहीं हैं। मिसाइल की तरह इन्हें लक्ष्यभेदी बनाने की दिशा में ओएफसी ने पहल की है। इस संबंध में आईआईटी कानपुर में प्रोजेक्ट रिपोर्ट दाखिल कर दी गई है।
ओएफसी में फोर्जिंग प्रेस को मंजूरी, तोप के गोले बनेंगे
ओएफसी को हाइटेक फोर्जिंग प्रेस मिलने पर रक्षा मंत्रालय ने मुहर लगा दी है। फैक्टरी में वर्तमान फोर्जिंग प्रेस 1984 की है और क्षमता 400 टन की है। काफी पुरानी होने से यहां तोप के गोलों के खोल यानी शेल बनने का काम लंबे समय से बंद है। हालांकि, यहां की क्षमता 3.5 लाख गोले सालाना है। इस समय शेल की आपूर्ति सीमित मात्रा में अंबाझरी से हो रही है। नई फोर्जिंग प्रेस 1000 टन की होगी और कीमत है 100 करोड़ रुपए। ये फोर्जिंग प्रेस लगभग दो साल में फैक्टरी में लग जाएगा, जिसे आस्ट्रिया, चेक रिपब्लिक, रूस या कोरिया से ग्लोबल टेंडर के जरिए खरीदा जाएगा। 
सऊदी अरब से मिले 70 हजार तोप के गोले बनाने के आर्डर
सऊदी अरब 70 हजार तोप के गोलों के ऑर्डर पहले ही ओएफसी को दे चुका है। हाईटेक प्रेस लगने के बाद ओएफसी कानपुर दुनिया की उन चुनिंदा फैक्टरियों में शामिल हो जाएगी, जहां 1000 टन का प्रेस है। आपको बता दें कि तोप के गोले का खोल बनाने की पहली प्रक्रिया फोर्जिंग प्रेस होकर गुजरती है, जिसके लोहे को खोल का आकार दिया जाता है और बेहद घातक बारूद भरने के लिए तैयार किया जाता है। इन्हीं खोल में रोशनी और धुएं वाले बम भी तैयार होते हैं। 
कानपुर में ही होगा सारंग और धनुष तोप का परीक्षण
आर्डिनेंस फैक्टरी सरसौल में देश में अपना पहला प्रूफ रेंज बनाएगी। 25 करोड़ के प्रोजेक्ट पर काम शुरू हो चुका है। नौ लाख वर्गमीटर जमीन में आरसीसी दीवार से लेकर सुरंग तक बनाई जाएगी। इसके बन जाने से बालासोर में परीक्षण की बाध्यता खत्म हो जाएगी। डीएमएसआरडीई और डीजीक्यूए पर निर्भरता भी खत्म होगी। हथियारों के परीक्षण जल्दी होंगे और जल्दी तैयार होंगे। यहीं पर धनुष और सारंग से लेकर अन्य तोपों के बैरल के परीक्षण संभव हो सकेंगे। महाप्रबंधक ने बताया कि ओएफसी को इंडस्ट्री-4 मानकों के अनुरूप तैयार किया जा रहा है। इस सिस्टम में सॉफ्टवेयर,सेंसर और नापजोख टूल एक साथ काम करेंगे जो देखेंगे कि फैक्टरी में तैयार उत्पाद किस गुणवत्ता के हैं।

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