तकनीकः ट्रेनों के कोच अलग होने पर अब तुरंत मिल जाएगा अलर्ट
कानपुर
शताब्दी-राजधानी हो या मालगाड़ी और पैसेंजर, अब चलती ट्रेन की कपलिंग खुलते ही गार्ड को पता चल जाएगा। वह वॉकी-टॉकी से ड्राइवर को सूचना देकर तत्काल ट्रेन रोक लेगा। इसके लिए रेलवे हर ट्रेन के कपलिंग प्वाइंट पर कोच अलर्ट डिवाइस लगाएगा। इसकी कनेक्टिविटी गार्ड रूम में लगे अलर्ट बॉक्स से होगी।
रेलवे अफसरों ने बताया कि कपलिंग टूटने या खुलने पर कई बार इंजन से जुड़े कोच काफी आगे चले जाते थे। इसकी जानकारी गार्ड को तब होती थी, जब उसके कोच में प्रेशर न्यूनतम स्तर पर आता था। कोच अलर्ट डिवाइस से जैसे ही कपलिंग और कोच मत्था से अलग होगा, तत्काल गार्ड केबिन में रेड लाइट जल जाएगी। इससे पता चल जाएगा कि किसी कोच की कपलिंग टूट गई है या फिर खुल गई है। गार्ड बिना देर किए ट्रेन ड्राइवर को सूचना देगा। हालांकि, ड्राइवर ट्रेन को गति के हिसाब से रोकेगा क्योंकि कपलिंग खुलने पर पीछे छूटे कोचों की गति शुरुआत में कुछ अधिक हो जाती है।
सूचना देने का समय का भी होगा ब्योराः सरक्षा के लिहाज से कपलिंग खुलने और गार्ड व चालक के बीच वॉकी-टॉकी पर हुई बात का भी समय रिकॉर्ड में अंकित होगा। इसका मतलब यह है कि गार्ड की भी जिम्मेदारी होगी कि वह कपलिंग खुलने या टूटने पर तत्काल चालक से बात करके ट्रेन को रुकवाए।
मालगाड़ी की कपलिंग खुलने की घटना अधिकः कपलिंग टूटने या फिर खुलने की 70 फीसदी घटनाएं मालगाड़ी में होती हैं। उदाहरण के तौर पर उत्तर मध्य रेलवे में 100 घटनाएं कपलिंग खुलने या टूटने की होती हैं तो इसमें से 70 घटनाएं मालगाड़ी की होती हैं। इसकी वजह यह है कि लोड वैगन जब ट्रैक पर 50 किमी प्रति घंटे से अधिक गति से दौड़ता है तो कई बार ट्रैक पर उछाल होने से कोच हिलते-डुलते हैं और कपलिंग खुलने या टूटने की घटनाएं होती हैं।
ट्रेनों में यह होती है कपलिंगः दो कोचों को जब जोड़ा जाता है तो कपलर नामक उपकरण से उसे बाद में लॉक कर दिया जाता है। इस उपकरण को ही कपलिंग या कपलर कहते हैं। इसके बिना कोच आपस में कनेक्ट ही नहीं हो सकते हैं।