December 6, 2025

गणेश हाथी के उत्पात से वनांचल के निवासियों एवं किसानों को मिलेगी राहत

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रायगढ़
विगत दिनों में गणेश हाथी द्वारा जनधन की क्षति को देखते हुए अपर प्रधान मुख्य वन संरक्षक वन्य प्राणी श्री एस.के.सिंह की अध्यक्षता में आज यहां कलेक्टोरेट के सृजन सभाकक्ष में गणेश लोनर टस्कर वन्य हाथी के वनक्षेत्र में उचित रहवास के चयन हेतु समिति की बैठक हुई। इस अवसर पर मुख्य वन संरक्षक बिलासपुर श्री अनिल कुमार सोनी एवं जिला पंचायत सीईओ सुश्री ऋचा प्रकाश चौधरी उपस्थित थी।

अपर प्रधान मुख्य वन संरक्षक वन्य प्राणी श्री एस.के.सिंह ने कहा कि धरमजयगढ़ एवं आसपास के सघन वनों में हाथी विचरण करते है और कई बार ओडिसा एवं अन्य राज्यों से यहां आकर यहां के बाशिंदे के समान बन जाते है। भोजन, पानी एवं सुरक्षा मिलने पर ये उसी के अनुरूप अपना विचरण क्षेत्र (कॉरिडोर)बनाते है। कई बार यह क्षेत्र 1000 कि.मी.भी हो सकता है। उन्होंने कहा कि ओड़िसा से आने वाले हाथी यहां से वापस नहीं जा रहे हैं और यहां निवास करने लगे हैं, जिससे जटिल समस्याएं आयी है। जिसके समाधान के लिए हमें प्रयास करना है। उन्होंने कहा कि वहीं मध्यप्रदेश एवं महाराष्ट्र के गढ़चिरौली से भी हाथियों का यहां आवागमन बढ़ा है। उन्होंने कहा कि हाथी रहवास क्षेत्र विकास करते समय जल स्त्रोतों का विशेष ध्यान रखा जायेगा।

अपर प्रधान मुख्य वन संरक्षक श्री एस.के.सिंह ने कहा कि उन्होंने कहा कि गणेश हाथी के आक्रामक होने से जनधन की हानि हुई हैं। गणेश हाथी कोरबा, कटघोरा, धरमजयगढ़ एवं रायगढ़ वनमंडल के वन क्षेत्र में विचरण करता है, मुख्यतरू गणेश हाथी धरमजयगढ़ वनमंडल में ज्यादा विचरण करता है। गणेश हाथी के द्वारा रायगढ़ वनमंडल अंतर्गत घरघोड़ा, तमनार एवं रायगढ़ परिक्षेत्र के अंतर्गत विचरण किया गया। उन्होंने कहा कि गणेश हाथी के लोकेशन को ट्रैक करने के लिए श्कॉलर आईडी्य लगाया गया है। जिससे जमीनी स्तर में वन अधिकारियों एवं कर्मचारियों को हाथियों के विचरण की पूरी खबर मिलते रहती है। उन्होंने हाथियों के विचरण क्षेत्र जहां लोगों का भी आवागमन हो ऐसे क्षेत्रों को चिन्हांकित करते हुए वहां बेरियर लगवाने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि प्रचार-प्रसार के लिए कला जत्था एवं मीडिया का भी सहयोग लेना चाहिए। इन क्षेत्रों में जनधन हानि को कम करने के प्रयास कारगर होगी, जिससे हाथी प्रभावित क्षेत्रों में लोगों को तत्काल राहत मिलेगी। उन्होंने कहा कि इन प्रभावित क्षेत्रों में एहतियात रखना बहुत जरूरी है। उन्होंने कहा कि जनहानि होने पर प्रभावित क्षेत्रों में तत्काल राहत के लिए सुरक्षित स्थानों एवं अन्य महत्वपूर्ण जानकारियां एवं फोन नंबर, प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र, सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र के फोन नंबर उपलब्ध होना चाहिए। इसके लिए सभी वनमंडलाधिकारी सक्रिय भूमिका निभा सकते है। आपसी चर्चा एवं सुझावों के बेहतर परिणाम सामने आयेंगे।

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