पराए मर्द को छूना नहीं था मंजूर, पहली फिल्म से बाहर हुई थीं शोले की मौसी
नई दिल्ली
सालों में कोई ऐसी फिल्म बनती है जो हमेशा-हमेशा के लिए अमर हो जाती है. ऐसी ही एक फिल्म बनी सलीम-जावेद की लिखी शोले. 1975 में रिलीज हुई इस फिल्म का निर्देशन रमेश सिप्पी ने किया था और इस फिल्म की कहानी, कलाकार, डायलॉग और गाने सब कुछ अमर हो गए. फिल्म का हर छोटा बड़ा किरदार, सीक्वेंस, गाने और डायलॉग आज भी लोग दोहराते हैं. इसी फिल्म में एक किरदार था मौसी का.
इस किरदार को निभाया था एक्ट्रेस लीला मिश्रा ने और जिसने भी फिल्म देखी है उसे मौसीजी और धर्मेंद्र का टंकी पर चढ़कर मौसी को धमकी देने वाला सीन नहीं याद हो ऐसा तो हो नहीं सकता. लीला मिश्रा का मौसीजी वाला किरदार बहुत लोकप्रिय हुआ लेकिन ऐसा नहीं है कि ये उनका इकलौता रोल था. लीला मिश्रा ने अपने करियर में 60 से ज्यादा फिल्में की हैं और उनमें यादगार किरदार निभाए हैं.
लीला की शादी महज 12 साल की उम्र में हो गई थी और बहुत कम लोग ये बात जानते हैं कि वह किस तरह अभिनय के पेशे में आईं. क्योंकि जिस वक्त वह एक्टिंग में आईं उस दिनों अभिनय को एक अच्छी चीज नहीं माना जाता था. दरअसल लीला के पति को एक्टिंग का शौक था और वह कश्मीरी नाटकों में काम किया करते थे. उन्हीं दिनों बोलती फिल्मों का दौर शुरू हुआ था और कलाकारों के लिए नए दरवाजे खुले थे.
लीला के पति राम प्रसाद बनारस से मुंबई आते-जाते रहते थे और मुंबई में एक फिल्म कंपनी में काम मिल गया. कुछ वक्त बाद लीला भी पति के पास मुंबई आ गईं. उन दिनों एक्ट्रेसेस की कमी हुआ करती थी. वजह ये कि एक्टिंग में आने वाली लड़की को उसका परिवार घृणित नजरों से देखना शुरू कर देता था. लीला को एक रोज जब एक फिल्म कंपनी ने सति सुलोचना फिल्म के लिए 500 रुपये का ऑफर दिया तो उनके लिए इनकार करना मुश्किल हो गया.
क्यों हुईं फिल्म से बाहर?
वजह ये भी थी कि उन दिनों उनके पति की तनख्वाह महज 150 रुपये थी. उन्होंने बहुत सोचा और इस ऑफर को हां कह दिया लेकिन जब उन्होंने काम देखा तो उनके पैरों तले से जमीन खिसक गई. उन्होंने देखा कि किस तरह महिलाएं पराए मर्दों से अपने शरीर को स्पर्श करा रही हैं. बनारस की लीला के लिए दूसरे आदमी के गले में बाहें डालकर रोमांस के सीन शूट करना बहुत मुश्किल था इसलिए उन्हें उनकी पहली ही फिल्म से हटा दिया गया.