November 23, 2024

सुप्रीम कोर्ट ने निर्भया के दो दोषियों की क्यूरेटिव पिटिशन खारिज की, अब बस दया याचिका बाकी

0

नई दिल्ली

निर्भया के दोषियों के लिए फांसी से बचने का कोर्ट का रास्ता अब बंद हो गया है। विनय शर्मा और मुकेश सिंह की क्यूरेटिव पिटिशन सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को खारिज कर दिया। पटियाला हाउस कोर्ट द्वारा 22 जनवरी को फांसी देने का डेथ वॉरंट जारी होने के बाद दोनों दोषियों ने शीर्ष अदालत का दरवाजा खटखटाया था।5 जजों की पीठ ने खारिज की याचिका जस्टिस एनवी रमन्ना, जस्टिस अरुण मिश्रा, जस्टिस आरएफ नरीमन, जस्टिस आर भानुमती और जस्टिस अशोक भूषण की बेंच दोनों दोषियों की क्यूरेटिव पिटिशन खारिज कर दिया।

 

विनय ने याचिका में दी थीं ये दलीलें

निर्भया के गुनहगार विनय ने अपनी क्यूरेटिव पिटिशन में अपनी युवावस्था का हवाला देते हुए कहा था कि कोर्ट ने इस पहलू को त्रुटिवश अस्वीकार कर दिया है। याचिका में कहा गया था कि याचिकाकर्ता की सामाजिक-आर्थिक परिस्थितयों, उसके बीमार माता-पिता सहित परिवार के आश्रितों और जेल में उसके अच्छे आचरण और उसमें सुधार की गुंजाइश के बिंदुओं पर पर्याप्त विचार नहीं किया गया है और जिसकी वजह से उसके साथ न्याय नहीं हुआ।

 

अब दोषियों के पास केवल एक रास्ता

क्यूरेटिव पिटिशन खारिज होने के बाद राष्ट्रपति के सामने दया याचिका दायर किए जाने का प्रावधान है। राष्ट्रपति संविधान के अनुच्छेद-72 एवं राज्यपाल अनुच्छेद-161 के तहत दया याचिका पर सुनवाई करते हैं। इस दौरान राष्ट्रपति गृह मंत्रालय से रिपोर्ट मांगते हैं। मंत्रालय अपनी सिफारिश राष्ट्रपति को भेजता है और फिर राष्ट्रपति दया याचिका का निपटारा करते हैं। अगर राष्ट्रपति दया याचिका खारिज कर दें उसके बाद मुजरिम को फांसी पर लटकाने का रास्ता साफ होता है। दया याचिका के निपटारे में गैर वाजिब देरी के आधार पर मुजरिम चाहे तो दोबारा सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दाखिल कर सकता है।

 

अभी दो दोषियों ने नहीं दाखिल की है क्यूरेटिव पिटिशन

इस मामले में अभी तक अक्षय और पवन की ओर से क्यूरेटिव पिटिशन दाखिल नहीं की गई है। कानूनी जानकार बताते हैं कि क्यूरेटिव पिटिशन खारिज होने के बाद मुजरिमों के पास राष्ट्रपति के सामने दया याचिका दायर करने का भी विकल्प है।

 

 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *