पहली डुबकी संग त्रिवेणी तट पर पूरे माघ का तप शुरू
प्रयागराज
'गंग सकल मुद मंगल मूला। सब सुख करनि हरनि सब सूला' के आवाह्न के साथ संगम तट पर शुक्रवार से श्रद्धालुओं ने एक माह के लिए कल्पवास शुरू कर दिया है। माघ मास के पहले स्नान पर्व पौष पूर्णिमा को समाप्त होगा।
संगम की रेती पर कल्पवासी संचमित जीवन के साथ जप, तप में लीन हो गए हैं। कायाकल्प के निमित्त शिविरों में कल्पवासियों ने भोर में गंगा स्नान, ध्यान करके विधिविधान से कल्पवास का संकल्प लिया। कल्पवास के 21 नियमों को निष्ठा के साथ पालन से ही व्रत संकल्प पूरा करेंगे। त्रिवेणी के पावन तट पर यह तपस्या जीवन-मरण के बंधन से मुक्ति का मार्ग प्रशस्त करेगी।
गंगाजल में लिखी मनौती, लगाई आस्था की डुबकी : धर्म अध्यात्म की नगरी प्रयागराज में लगने वाले माघ मेला का शुभारंभ पौष पूर्णिमा के साथ हो गया है। दूरदराज से आए स्नानार्थियों ने गंगाजल में मनौती लिखकर संगम में आस्था की डुबकी लगाई। अन्न, द्रव्य और वस्त्र दानकर पुण्य कमाया। गंगाजल में उंगली से मनौती लिखने वालों में पुरुष महिलाओं के अलावा युवक युवतियां बड़ी संख्या में शामिल रहे। मध्य प्रदेश के कैलाश राम तिवारी उनकी पत्नी राधिका तिवारी ने पौष पूर्णिमा का स्नान करने के पहले गंगा में उंगली से मनौती लिखी।
इसके बाद गांठ बांधकर एक साथ स्नान किया। कौशाम्बी के महावीर यादव, प्रतापगढ़ की कुमुद मिश्र, इंदौर की उर्मिला शुक्ला, विद्या पटेल आदि ने संगम में डुबकी लगाने से पहले अपनी अपनी मनौती लिखी। सुल्तानपुर की निर्मला ने बताया कि उन्होंने बेटी शादी जल्द और अच्छे परिवार में कराने के लिए मनौती गंगाजल में लिखी है। वहीं राम निहोर पटले ने पुत्र के लिए नौकरी मिलने की मनौती मांगी है। उसके बाद स्नान किया। मां गंगा युमना को दूध, नारियल, चुनरी अर्पित कर आशिर्वाद लिया।
मेले में रोपा तुलसी का बिरवा, जौ बोया
कल्पवासियों ने परंपरा के अनुसार अपने शिविर के सामने तुलसी का बिरवा रोपा और जौ बोया। साथ ही शालिग्राम की स्थापना करके विधिविधान से पूजन-अर्चन किया। कल्पवास के समापन पर जौ और तुलसी का बिरवा प्रसाद स्वरूप श्रद्धालु घर ले जाएंगे।
कई राज्यों से संगम क्षेत्र में आए कल्पवासी
संगम की रेती पर कल्पवास के लिए प्रदेश के फैजाबाद, जौनपुर, भदोही, वाराणसी, मिर्जापुर, फतेहपुर, कौशाम्बी, प्रतापगढ़ के अलावा गंगापार-यमुनापार से बड़ी संख्या में श्रद्धालु आए हैं। साथ ही मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, बिहार और राजस्थान के श्रद्धालु भी कल्पवास के लिए आए हैं।
कल्पवासियों की बदल गई दिनचर्या
कल्पवासियों की पहले दिन से ही दिनचर्या बदल गई। संकल्प पूरा करने के लिए भोर में जागना, दिन में दो बार स्नान, जमीन पर सोना, ब्रह्मचर्य जीवन का पालन करना, झूठ न बोलना, गृहस्थ की चिंता से मुक्त रहना, नियमित भजन, सत्संग व रामायण का पाठ करना, दूसरों की निंदा से दूर रहना शुरू किया गया है। खुद या पत्नी का बनाया भोजन करना शुरू किया गया है।