November 23, 2024

एचआरडी ने VC से कहा- जेएनयू में जल्द सामान्य स्थिति बहाल करें

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नई दिल्ली 
मानव संसाधन विकास मंत्रालय (एचआरडी) के अधिकारियों ने बुधवार को जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) के कुलपति से मुलाकात की और छात्रों से अधिक संवाद करने एवं जेएनयू परिसर में जल्द से जल्द सामान्य स्थिति बहाल करने का सुझाव दिया। अधिकारियों ने बताया कि मंत्रालय ने जेएनयू परिसर में जल्द से जल्द सामान्य स्थिति बहाल करने को कहा है। 

मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने कुलपति से कहा है कि जेएनयू अग्रणी विश्वविद्यालय है और उसे वैसे ही बनाए रखा जाना चाहिए। मंत्रालय ने विश्वविद्यालय प्रशासन से छात्रों के साथ अधिक संवाद बनाने, संकाय को विश्वास में लेने की बात कही। इससे पहले, मानव संसाधन विकास मंत्रालय के अधिकारियों ने बुधवार को जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) के कुलपति से मुलाकात की और विश्वविद्यालय परिसर में हालात सामान्य बनाने की दिशा में उठाए गए कदमों का जायजा लिया।

जेएनयू के कुलपति एम जगदीश कुमार और रेक्टर प्रोफेसर सतीश चंद्रा गरकोटी ने बुधवार सुबह मानव संसाधन विकास मंत्रालय के अधिकारियों से मुलाकात की और परिसर की स्थिति की जानकारी दी। जेएनयू के कुलपति एम जगदीश कुमार ने अपने ट्वीट में कहा, 'आज सुबह अमित खरे (सचिव एचआरडी) तथा जी सी होसूर (संयुक्त सचिव उच्च शिक्षा) से मुलाकात की और उन्हें जेएनयू में सामान्य स्थिति बहाल करने के बारे में उठाये जा रहे कदमों से अवगत कराया।'

कुमार ने कहा कि जो छात्र शीत सेमेस्टर में पंजीकरण कराना चाहते हैं, उन्हें सुविधा मुहैया कराने तथा अकादमिक कार्यो के लिए उपयुक्त माहौल बनाने के लिए सभी कदम उठाए जा रहे हैं। मंत्रालय की विज्ञप्ति के अनुसार, इन्होंने (कुलपति ने) बताया कि विश्वविद्यालय में संचार एवं सूचना व्यवस्था की मरम्मत की गई है और अब वे काम कर रहे हैं। शीत सत्र के लिए छात्रों के पंजीकरण कराने के लिए बिना किसी जुर्माने के तिथि को 20 जनवरी 2020 तक बढ़ा दिया गया है। 

इसमें बताया गया है कि पंजीकरण की प्रक्रिया के तहत आनलाइन पंजीकरण के लिए 3300 छात्रों ने फीस जमा कर दी है । विश्वविद्यालय प्रशासन ने सभी पक्षकारों से अपील की है कि वे परिसर में शांति बनाये रखे और किसी उकसावे में न आएं। गौरतलब है कि जेएनयू परिसर में रविवार कुछ नकाबपोशों ने परिसर में प्रवेश कर छात्रों तथा शिक्षकों पर हमला कर दिया था। बाद में प्रशासन को पुलिस को बुलाना पड़ा था।

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