सुलेमानी पर हमले के वक्त ही ईरान ने अमेरिकी ठिकानों पर दागीं मिसाइलें, 80 को मारने का दावा
वॉशिंगटन
आधी रात का करीब-करीब वही वक्त। जगह ईरान। रात के घुप अंधेरे में अचानक आसमान रोशनी से चौंधिया जाता है। एक-एक कर ईरान की 22 मिसाइलें लक्ष्य की ओर बढ़ती हैं और इराक में अमेरिका के दो सैन्य ठिकानों के पास जाकर फटती हैं। ईरान की यह कार्रवाई तकरीबन ठीक उसी समय हुई जब अमेरिका ने ईरान के जनरल कासिम सुलेमानी को इराक में बगदाद एयरपोर्ट के पास मारा था। इस हमले के बाद ईरान ने दावा किया कि उसने 80 लोगों को मारा है। हालांकि अमेरिका ने इसकी पुष्टि नहीं की है।
उसी वक्त पर ईरान ने दिया जवाब
अमेरिका ने शुक्रवार की रात 1.30 बजे ईरान के दूसरे सबसे ताकतवर शख्स को अपने MQ-9 रीपर ड्रोन से मिसाइल दागकर मार दिया था। अब ईरान ने जवाबी कार्रवाई में मंगलवार की रात ठीक 1.30 बजे ही मिसाइलें दागीं। ईरान का दावा है कि इस हमले में 80 लोग मारे गए और अमेरिकी हेलिकॉप्टर और सैन्य साजो-सामान नष्ट हो गए। हालांकि, अमेरिका ने ईरानी हमले में किसी प्रकार के नुकसान की अब तक पुष्टि नहीं की है।
सहयोगी देशों की रक्षा करेंगे: अमेरिकी
अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप ने अपने ट्वीट में 'ऑल इज वेल' लिखकर सब ठीक-ठाक होने का दावा किया तो उनके रक्षा विभाग पेंटागन ने कहा कि स्थिति का मूल्यांकन होते ही प्रतिक्रिया दी जाएगी। पेंटागन के प्रवक्ता जोनाथन हॉफमैन ने कहा, 'हम स्थिति और अपनी प्रतिक्रिया का मूल्यांकन कर रहे हैं। हम क्षेत्र में तैनात अमेरिकी सैन्यबलों, मित्र एवं सहयोगी देशों की रक्षा के लिए सभी जरूरी कदम उठाएंगे।'
उधर, जर्मनी, डेनमार्क और नॉर्वे ने कहा कि इराक में मौजूद उनका एक भी सैनिक ईरानी मिसाइल हमले में हताहत नहीं हुआ है। इराक ने भी कहा कि उसकी सेना को भी कोई नुकसान नहीं पहुंचा है। अभी इराक में अमेरिका और गठबंधन सहयोगियों के 5 हजार से अधिक सैनिक मौजूद हैं। ये सैनिक सीरियाई आतंकवादी संगठन इस्लामिक स्टेट से मुकाबले के लिए इराकी सुरक्षा बलों को ट्रेनिंग और अन्य मदद के लिए यहां हैं।
ईरान की अमेरिका और उसके साथियों को धमकी
इधर, ईरान को अब अमेरिका से प्रतिक्रिया मिलने की आशंका है, इसलिए उसने सीधे-सीधे धमकी दी कि अगर अमेरिका ने हमला किया तो ईरान अगली बार संयुक्त अरब अमीरात (UAE) के शहर दुबई और इजरायल के शहर हफीजा को निशाना बनाएगा। यूएई और इजरायल, अमेरिकी के मित्र देश हैं। ईरान के रिवॉल्यूशनरी फोर्स गार्ड कॉर्प्स (IRGC) ने अमेरिका को चेतावनी दी कि वह अगर और मौतें नहीं चाहता है तो क्षेत्र से अपने सैनिकों को बाहर निकाल ले। ईरान ने इजरायल समेत अमेरिका के तमाम सहयोगी देशों को भी कड़ी चेतावनी देते हुए कहा कि वो अमेरिका को अपनी धरती से ईरान पर हमला करने की इजाजत नहीं दे।
सबसे कमजोर तरीके से दिया जवाब, आगे और बड़ा कदम: ईरान
ईरानी टेलिविजन ने सुप्रीम लीडर अयातुल्ला अल खामनेई के दफ्तर के एक अधिकारी का बयान प्रसारित किया जिसमें कहा गया है कि अमेरिका को जवाब देने के कई तरीकों में अभी मिसाइल हमले का सबसे 'कमजोर' तरीका चुना गया। ईरानी टीवी ने दूसरे सूत्रों के हवाले से कहा कि अमेरिका ने मिसाइल हमले की प्रतिक्रिया दी तो उसके अन्य 100 संभावित ठिकानों की पहचान की जा चुकी है जिन्हें ध्वस्त कर दिया जाएगा।
ईरान ने हमला नहीं, बचाव किया: ईरानी विदेश मंत्री
हालांकि, ईरान के विदेश मंत्री मोहम्मद जवाद जरीफ ने कहा कि ईरान अमेरिका से युद्ध नहीं चाहता है। उन्होंने कहा कि ईरान को आत्मरक्षा का अधिकार है और इराक में अमेरिकी ठिकानों पर मिसाइलें दागकर इसी अधिकार का संरक्षण किया गया है। उन्होंने कहा, 'ईरान ने यूएन चार्टर के आर्टिकल 51 से मिले आत्मरक्षा के अधिकार के तहत यह कदम उठाया।' उन्होंने कहा, 'हम इसे आगे नहीं बढ़ाना चाहते हैं और न ही हमारी युद्ध की इच्छा है। हालांकि, हम किसी भी आक्रमण का मुकाबला करेंगे।'
अमेरिकी रक्षा मंत्री ने जताई थी आशंका
दिलचस्प बात यह है कि मंगलवार को ही ईरानी मिसाइल हमले से पहले अमेरिका रक्षा मंत्री मार्क एस्पर ने ईरान की प्रतिक्रिया की आशंका जताई थी। उन्होंने पेंटागन में मीडिया से बात करते हुए कहा था, 'मुझे लगता है कि वह (ईरानी रिवॉल्युशनरी गार्ड्स का कुद्स फोर्स) किसी न किसी तरीके से जवाबी कार्रवाई जरूर करेगा।