November 22, 2024

गणेश परिक्रमा तक सिमटा प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड

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जोगी एक्सप्रेस 

शहडोल,अखिलेश मिश्रा । पौराणिक कथाओं में भगवान गणेश ने पृथ्वी और आकाश के बदले माता-पिता की परिक्रमा कर अपनी बुद्धिमत्ता साबित की थी, सूत्रों की मानें तो पीसीबी में भी कोई गणेश जी हैं जिनकी बुद्धिमत्ता का लाभ हर छोटे-बड़े अधिकारी-कर्मचारी को मिल रहा है। विभाग से जुड़े सूत्रों का तो यहां तक दावा है कि जिले का हर बड़ा छोटा उद्योग गणेश परिक्रमा की जद में है और उन्हीं का मैनेजमेंट पूरे अमले की खुशी का आधार बना हुआ है।
मध्यप्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के संभाग मुख्यालय स्थित कार्यालय में पदस्थ अमले ने कुछ बड़े उद्योगों की ओर नजरें टिकाकर अन्य उद्योगों को खुला छोड़ रखा है। जिले भर में बड़े पैमाने पर शहर से लेकर गांव तक छोटे उद्योगों का जाल फैला हुआ है, जो रहवासी क्षेत्रों में खुले आम वायु एवं ध्वनि प्रदूषण फैला कर लोगों की जिंदगी के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं लेकिन निहित स्वार्थवश उन्हें खुली छूट दे रखी गई है।

जीना हुआ दूभर

प्रदूषण नियंत्रण मंडल के अधिकारी, कर्मचारी जिले में न तो बड़े उद्योगों द्वारा फैलाए जा रहे प्रदूषण पर रोक लगा पा रहे हैं और नहीं छोटे उद्योगों की गतिविधियां रोक पा रहे यही वजह है कि जिले में प्रदूषण का स्तर दिनों-दिन खतरनाक रूप लेता जा रहा है। शहडोल जिला मुख्यालय की सीमा के भीतर ही कई ऐसे उद्योग हैं जिन्होंने जिन्होंने लोगों का जीना दूभर कर रखा है। शहर के अलावा समीपवर्ती गांव में ही नहीं दूरदराज के गांवों और वन भूमि की सीमा से लगे स्थानों पर भी कई खतरनाक उद्योग लोगों एवं जीव-जंतुओं के जीवन को बुरी तरह से प्रभावित कर रहे हैं कहीं ईंट उद्योग तो कहीं स्टोन क्रेशर के कारण लोगों को भारी कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है।

खुद ही थपथपा रहे पीठ

जिला मुख्यालय सहित जिले के कई गांवों में बड़े पैमाने पर ईंट उद्योग स्टोन क्रेशर एवं गौण खनिजों की खदानें संचालित हैं जो न सिर्फ ग्रामीण रहवासियों बल्कि मवेशियों तथा जंगली जीवो के मौत का कारण बन रही हैं। बावजूद इसके प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अधिकारी कर्मचारियों का इन से कोई लेना देना नहीं है। विभागीय अमला सिर्फ ओपीएम, रिलायंस जैसे बड़े उद्योगों में प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड एवं एनजीटी के कुछ निर्देशों का पालन करवा कर अपनी पीठ थपथपाने में लगा रहता है इसके अलावा शहर व जिले में इनकी गतिविधियां शून्य हैं।

ग्रामीणों की जान खतरे में

संभाग मुख्यालय से लगे कई गांवों में आलम यह है कि बीच आबादी में उद्योग संचालित हैं ग्रामीणों द्वारा इन पर रोक लगाने एवं प्रदूषण मुक्त वातावरण बनाने के लिए कई बार स्थानीय ही नहीं जिला व संभाग स्तर पर भी अधिकारियों का ध्यान आकृष्ट कराया गया लेकिन उनकी कोई भी सुनने को तैयार नहीं है। ग्राम बरुका एवं छतवईं में ही अगर प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अधिकारी कर्मचारी नजर डालें तो ऐसे उद्योगों को खोजने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी। यह सिर्फ नमूना मात्र है जिले में ऐसे सैकड़ों गांव हैं जहां आबादी क्षेत्र के भीतर या आबादी से लगे हुए क्षेत्र में उद्योग संचालित कर तथाकथित धन्नासेठों द्वारा जनजीवन के साथ खुलेआम खिलवाड़ किया जा रहा है।

रिपोर्ट :अखिलेश मिश्रा 

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