थिअटर कमांड सुनिश्चित करता है कि जल, जमीन और हवा में सामंजस्य बनाकर युद्ध अभियानों का संचालन हो
नई दिल्ली
देश के पहले चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (CDS) की तैनाती के साथ ही युद्धकाल में दुश्मन के लिए 'चक्रव्यूह' रचने का काम शुरू हो गया है। जनरल बिपिन रावत ने पद संभालने के साथ ही इसके संकेत दिए। उन्होंने आने वाले दिनों में थिअटर कमांड्स बनाने की बात कही। 'थिअटर कमांड्स' दरअसल युद्धकाल में दुश्मन पर अचूक वार के लिए सेनाओं के सभी अंगों के बीच बेहतरीन तालमेल का सिस्टम है। युद्ध की रणनीतियों में वैश्विक स्तर पर आ रहे बदलावों के मद्देनजर भारत के लिए भी जरूरी हो गया है। यही वजह है कि आर्मी, नेवी और एयरफोर्स को एकीकृकत कर थिअटर कमांड बनाने की बात हो रही है। आइए समझते हैं क्या है थिअटर कमांड और यह कैसे करता है काम…
थिअटर कमांड्स के बारे में सबकुछ
आखिर थिअटर कमांड्स में क्या-क्या शामिल होता है?
सेना के तीनों अंगों आर्मी, नेवी और एयरफोर्स के साथ-साथ अन्य सैन्य बलों को एक भौगोलिक क्षेत्र में एक ही ऑपरेशनल कमांडर के नीचे लाकर थिअटर कमांड बनाया जाता है।
सेना के थिअटर कमांड्स काम कैसे करते हैं?
इंटिग्रेटिड थिअटर कमांड्स का निर्माण भौगोलिक आधार पर किया जाता है या फिर इसका मकसद समान भूगोल वाले युद्ध क्षेत्र को हैंडल करना होता है। कई बार थिअटर कमांड्स इन दोनों का मिश्रण होता है। ऐसे कमांड सुनिश्चित करते हैं कि जल, जमीन और हवा में सामंजस्य बनाकर युद्ध अभियानों का संचालन हो।
थिअटर कमांड्स बनाने का फायदा क्या है?
इस तरह का कमांड बनाना किफायती होता है। इससे संसाधनों की बचत होती है और उसका बेहतर इस्तेमाल होता है।
क्या भारत में अभी कहीं थिअटर कमांड बना है?
देश में एक ही थिअटर कमांड है जिसकी स्थापना 2001 में हुई थी। इसे अंडमान और निकोबार कमांड के नाम से जाना जाता है
क्यों पड़ी जरूरत
इससे देश के करीब 15 लाख सशक्त सैन्य बल को फिर से संगठित किया जा सकेगा जिसे अभी आधुनिकीकरण के लिए फंड की कमी का सामना करना पड़ रहा है क्योंकि रक्षा बजट का बड़ा हिस्सा वेतन और भत्तों की बढ़ती जरूरतों पर ही खर्च हो जाता है।
भारत में अभी 17 सिंगल सर्विस कमांड्स हैं। इनमें सात आर्मी के सात एयरफोर्स के और बाकी तीन नेवी के हैं। बड़ी बात यह है कि देश में सिर्फ दो ही यूनिफाइड कमांड्स हैं।
स्ट्रैटिजिक फोर्सेज कमांड की स्थापना 2003 में की गई थी। इस पर परमाणु शस्त्रागार को संभालने की जिम्मेदारी है।
छह थिअटर कमांड्स बनाने का सुझाव
भारत में जिस तरह के थिअटर कमांड्स बनाने के विकल्प सुझाए जा रहे हैं, उनमें एक यह है कि छह इंटिग्रेटेड थिअटर कमांड्स बना दिए जाएं…
पहला, इंटिग्रेटिड वेस्टर्न थिअटर कमांड (4/3 स्टार): पाकिस्तान से सटे पंजाब के मैदानी इलाके से लेकर राजस्थान के थार मरुस्थल से लेकर गुजरात में कच्छ के रण तक। इस क्षेत्र की रक्षा की जिम्मेदारी मौजूदा पश्चिमी, दक्षिण-पश्चिमी और दक्षिणी कमांड्स पर है।
दूसरा, इंटिग्रेटिड नॉर्दर्न थिअटर कमांड (4/3 स्टार): जम्मू-कश्मीर और लद्दाख के पर्वतीय क्षेत्रों में पाकिस्तान और चीन पर नजर रखने वाला कमांड। इसके अंतर्गत मौजूदा नॉर्दर्न कमांड का एरिया आता है।
तीसरा, इंटिग्रेटिड ईस्टर्न थिअटर कमांड (4/3 स्टार): उत्तर-पूर्व में चीन के साथ सटे इलाके की निगरानी करने वाला कमांड। यह एरिया अभी आर्मी और एयरफोर्स की ईस्टर्न कमांड के तहत आता है।
चौथा, इंटिग्रेटिड साउदर्न थिअटर कमांड (4/3 स्टार): पश्चिमी, पूर्वी और दक्षिणी समुद्री तटों की रक्षा के लिए समुद्री बेड़े और हवाई सैन्य ताकतें मौजूद हैं। अंडमान और निकोबार कमांड भी इसी में आएगा।
पांचवां, इंटिग्रेटिड एयरोस्पेस कमांड (4/3 स्टार): इस कमांड पर बलिस्टिक मिसाइल डिफेंस और स्ट्रैटिजिक एयर ऑफेंसिव समेत देश के वायु क्षेत्र की रक्षा करने की जिम्मेदारी है।
छठा, इंटिग्रेटिड लॉजिस्टिक्स कमांड (4/3 स्टार): देश में एक से दूसरे थिअटर तक सैन्य बलों एवं साजोसामान को पहुंचाने की जिम्मेदारी है। साथ ही, जल, थल और वायु, तीनों परिवहन मार्गों का इस्तेमाल करते हुए विदेशी थिअटर ऑपरेशनों तक पहुंच सुनिश्चित करने की जिम्मेदारी भी है।
अमेरिका, चीन का उदाहरण
अमेरिका के पास 11 एकीकृत लड़ाकू कमांड है। इनमें छह 'भौगोलिक' कमांड को दुनिया के अलग-अलग हिस्सों को कवर करता है। इन्हीं में एक इंडो-पसिफिक कमांड है जो भारत समेत पूरे हिंद प्रशांत क्षेत्र में सैन्य गतिविधियों पर नजर रखता है। वहीं, पांच 'फंक्शनल' कमांड हैं जो परमाणु (न्यूक्लियर), शस्त्रागार (आर्सेनल), विशेष अभियानों (स्पेशल ऑपरेशंस), अंतरिक्ष (स्पेस), साइबर स्पेस और परिवहन/आवाजाही (ट्रांसपोर्ट/मोबिलिटी) को समर्पित हैं।
चीन ने 2016 में अपनी पीपल्स लिब्रेशन आर्मी (पीएलए) के 23 लाख जवानों को पुनर्संगठित करते हुए पांच थिअटर कमांड बना दिया। वेस्टर्न थिअटर कमांड भारत के साथ लगे पूरे वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) को कवर करता है जो लद्दाख से अरुणाचल प्रदेश तक फैला है।
CDS को मिला कैबिनेट सेक्रटरी रैंक
पुराने सभी विभागों के प्रमुख सेक्रटरी रैंक के अधिकारी होते हैं जबकि नए रक्षा कार्य विभाग का मुखिया सीडीएस को बनाया गया है जिन्हें तीन सैन्य प्रमुखों की तर्ज पर कैबिनेट सेक्रटरी का रैंक दिया गया है। ये सभी सीधे रक्षा मंत्री को रिपोर्ट करेंगे। डिफेंस सेक्रटरी के दायरे से जिन चार तत्वों को निकाल दिया गया है, उनमें तीनों सशस्त्र सेवाएं, उनके संबंधित मुख्यालय, प्रादेशिक सेना (टेरिटोरियल आर्मी) और थल, जल एवं वायु सेना से संबंधित कार्य शामिल हैं। ये अब सीडीएस के अधीन वाले डीएमए के दायरे में आ गए हैं जिन पर आठ प्रमुख दायित्व सौंपे गए हैं।