‘मानव दूध बैंक’ तैयार करना चाहता है बांग्लादेश, इस्लामिक विद्वानों ने भेजा कानूनी नोटिस
ढाका
वैसे बच्चे जिनकी मां का देहांत उनके जन्म के बाद हो जाता है या मां के दूध से वंचित रहते हैं उन्हें मानव दूध मुहैया कराने के लिए बांग्लादेश ने पहला मानव दूध बैंक तैयार करने की योजना बनाई थी, लेकिन अब धार्मिक विवाद को देखते हुए फिलहाल इस पर रोक लगा दी गई है। इस्लामिक विद्वानों के एक तबके ने इस योजना का यह कहते हुए विरोध किया कि इससे एक ही महिला का दूध पीने वाले लड़के-लड़कियों के बीच शादी को लेकर खतरा पैदा होता है जो कि इस्लाम में 'हराम' है।
बीडी न्यूज की खबर के मुताबिक बांग्लादेश का सरकारी इंस्टीट्यूट ऑफ चाइल्ड एंड मदर हेल्थ (आईसीएमएच) इस बैंक की शुरुआत करने वाला था। लेकिन जब यह योजना सार्वजनिक की गई तो इस्लामिक विद्वानों के एक तबके ने इसका विरोध किया और इसे कानूनी नोटिस भेज दिया।
इन विद्वानों का दावा है कि इससे कानूनी और धार्मिक उलझनें पैदा होगी। आईसीएमएच ने इस योजना पर फिलहाल रोक लगा दी है। परियोजना समन्वयक डॉक्टर मुज्बीर रहमान को यह कहते हुए समाचार में उद्धृत किया गया, ''हमने अभी के लिए इस योजना पर रोक लगा दी है।"
इस्लाम आंदोलन बांग्लादेश के संयुक्त महासचिव और नेशनल उलेमा मशाइक आइम्मा काउंसिल के महासचिव गाजी अतुर रहमान ने कहा कि आईसीएमएच को इस 'संवेदनशील परियोजना को शुरू करने से पहले इस्लामिक नेताओं से संपर्क करना चाहिए था। उन्होंने कहा कि इस्लामिक विद्वान इसका तबतक विरोध करते रहेंगे जब तक कि यह तय नहीं हो जाता कि इसकी पूरी प्रक्रिया क्या है।
हालांकि ढाका शिशु हॉस्पिटल के प्रोफेसर महबूबुल हक ने कहा कि मानव दूध वंचित नवजात बच्चों के लिए बहुत जरूरी है क्योंकि नवजात फॉर्मूला में अलग तरह की दिक्कतें होती हैं। डॉक्टरों को संदेह है कि नवजात फॉर्मूला से जुड़ा कारोबार करने वाले भी इस विरोध में शामिल हो सकते हैं।