नारियों को घर व समाज में बराबरी का दर्जा देना होगा
रायपुर
जब तक महिलाओं-बेटियों को घर व समाज में बराबरी का दर्जा नहीं देंगे,तब तक आज जो लगातार घिनौनी घटनाएं घटित हो रही हैं उस प्रवृत्ति को रोक नहीं पायेंगे। सरकार, कोर्ट या पुलिस के जरिए इसे रोक पाना मुमिकन नहीं हैं। सबसे पहले हमें अपना घर व पारिवारिक संस्कार विकसित करना होगा।
नारी सुरक्षा और वर्तमान परिदृश्य पर रोटरी क्लब आॅफ रायपुर वेस्ट व रोटरी क्लब आॅफ रायपुर ईष्ट के संयुक्त तत्वाधान में आयोजित एक परिचर्चा में बोलते हुए वरिष्ठ पत्रकार सुनील कुमार ने कहा कि देश में आज लगातार बलात्कार की बढ़ती घटनाओं को लेकर हर कोई चिंतित है और नारी सुरक्षा पर सवाल उठा रहे हैं। सही कहना बड़ा मुश्किल होता है। सामाजिक परिवेश में देखें तो महिलाओं को पुरूष के बराबर दर्जा देना जहां बर्दाश्त नहीं करते, जहां महिलाओं के लिए टोनही और विधवा जैसे शब्दों का संबोधन किया जा रहा हो,वहां महिलाएं कहीं न कहीं टारगेट होती रहेंगी। जिस नारी को लक्ष्मी, काली, सरस्वती स्वरूपा के रूप में पूजे जाने की बात कही जाती है वहां आज नारियों को बलात्कार का सामान क्यों माना जा रहा है? यह तो हमारी संस्कृति व संस्कार नहीं हैं। न ही बलात्कार की मानसिकता रातों रात प्रगट हुई है। दरअसल घर में जब बच्चा यह देखता है कि बाप उसकी मां के साथ कैसा बर्ताव करता है, उसके दिमाग में वैसा ही माहौल तैयार होने लगता है। हर परिवार में लड़कों को यह सीखाना होगा कि महिला और पुरूष बराबर हैं उनमें कोई अंतर नहीं हैं।
हम यदि इन घटनाओं पर गौर करें तो आर्थिक और सामाजिक रूप से कमजोर वर्ग की नारियो के साथ ज्यादा घटित हो रही है। जिस समाज में बेटियों को भर पेट खाना देने में भी बेटों की तुलना में भेदभाव हो रहा हो वहां सबसे पहला कदम उन्हें बराबरी का दर्जा दिलाना होगा। परिवार में संस्कार विकसित करने होंगे। सबसे बड़ी जवाबदेही हमारी है, वरना कोई भी सरकार, पुलिस, कानून के सहारे नारी की सुरक्षा या बलात्कार की घटनाएं रोकी नहीं जा सकती। बच्चों की सोच बराबर करनी होगी,पहले हम अपने घरों को सुरक्षित कर लें,तो नारी भी सुरक्षित हो जायेगी।
वरिष्ठ अधिवक्ता फैजल रिजवी ने इस विषय पर कानूनी पहलूओं को रखते हुए कहा कि आज 5 साल, 8 साल की बच्चियों से बलात्कार की घटनाएं हो रही हैं, चिंता लाजमी हैं। कानून अपराधियों को सजा दिलाने का काम करती है, लेकिन इससे घटनाएं रूक नहीं सकती है वैचारिक सोंच बदलने होंगे। समाज सेविका कृतिका जैन ने कहा कि नारियों को अब अपनी सुरक्षा के लिए स्वंय से ही अलर्ट रहना होगा। उन्हे छोटी चाकू जैसे हथियार भी अपने पर्स में रखने चाहिए। एनएच गोयल स्कूल की छात्रा गरिमा अग्रवाल ने भी अपनी बात रखी। विषय पर प्रस्तावना रखते हुए समाजसेवी मनमोहन अग्रवाल ने भ्रुण हत्या की बढ़ती घटनाओं पर चिंता जताते हुए सबसे पहले इसे रोकने की बात कही। रोटरी वेस्ट के अध्यक्ष कैलाश अग्रवाल, रोटरी क्लब आफ रायपुर ईष्ट के अध्यक्ष राजेश अग्रवाल, रो.नीरज अग्रवाल, रो. आलोक अग्रवाल, डा. पिल्लई सहित रोटेरियंश उपस्थित थे।