सूबे में उपद्रवियों की पहचान को लगा रहे पोस्टर
लखनऊ
नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) के विरोध में प्रदर्शनों में हिंसा के दौरान सार्वजनिक और निजी संपत्तियों को पहुंचाए गए नुकसान का आकलन कराया जाएगा। कई जिलों में उपद्रवियों की पहचान के लिए उनके पोस्टर सार्वजनिक स्थानों पर लगाए गए हैं।
अपर मुख्य सचिव गृह अवनीश कुमार अवस्थी ने बताया कि इसके लिए सभी जिलाधिकारियों को उच्च न्यायालय के आदेशानुसार कमेटी गठित करने का निर्देश दिया गया है। उन्होंने कहा हैं कि जिलों में सक्षम अधिकारियों से क्षति का आकलन कराने के बाद उसकी वसूली की प्रक्रिया शुरू की जाएगी। प्रदर्शन के दौरान जिन-जिन जिलों में उपद्रव करके तोड़फोड़ व आगजनी की गई है, उसमें पुलिस कार्यालयों व दुकानों के अलावा बड़ी संख्या में दो पहिया व चार पहिया वाहनों को निशाना बनाया गया। इसमें रोडवेज की बसें भी शामिल हैं।
लखनऊ के जिलाधिकारी अभिषेक प्रकाश ने रविवार को ही चार सदस्यीय पैनल का गठन कर दिया। इसमें एडीएम पूर्व, एडीएम पश्चिम, एडीएम ट्रांस-गोमती और एडीएम प्रशासन को शामिल किया गया है। इलाहाबाद हाईकोर्ट के वर्ष 2010 के आदेश के आधार पर प्रदेश सरकार ने वर्ष 2011 में इस संबंध में शासनादेश भी जारी किया था। इसके आधार पर हिंसा के लिए जिम्मेदार लोगों की पहचान विभिन्न क्षेत्रों से प्राप्त सीसीटीवी फुटेज और वीडियो रिकॉर्डिंग से की जाएगी।
जिलों में चिह्नित उपद्रवियों के पोस्टर लगे
लखनऊ समेत कई जिलों में उपद्रवियों की पहचान करने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। पुलिस ने चिह्नित हो चुके उपद्रवियों को वांछित घोषित करके उनकी तस्वीरों वाले पोस्टर भी शहरों में लगवाए हैं। शहरों में चिह्नित उपद्रवियों के पोस्टर लगाए जाने के बाद हड़कंप मचा हुआ है, क्योंकि माना जा रहा है कि इन्हीं से क्षति की भरपाई की जाएगी। साथ ही आपराधिक मुकदमों में सजा अलग से मिलेगी। गोरखपुर में विभिन्न चौराहों पर 'वांछित' संदेश के साथ लगभग 50 उपद्रवियों की तस्वीरें लगाई गई हैं।