इस नदी में बहता है शुद्ध सोना, अमीर बनने की चाहत में आते है लोग
प्रसिद्ध लेखक राहुल सांकृत्यायन ने कहा था कि मेरी समझ में दुनिया की सर्वश्रेष्ठ वस्तु है घुमक्कड़ी। नई-नई जगहों के बारे में जानना और घूमना हमेशा ही एक अच्छा शौक माना गया है। कुछ लोगों के इसी शौक के कारण से हमें ऐसी जगहों की सूचना भी मिल जाती है, जहां हर व्यक्ति का जाना संभव नहीं है। तो आइए हम आपको घुमा लाते हैं कनाडा की डॉसन सिटी।
कनाडा की डॉसन सिटी उन्हीं जगहों में से एक है जो लगभग 100 सालों से घुमक्कड़ों को अपनी ओर खींच रही है। शायद इसलिए भी कि यहां अमीर होने का मौका मिल जाता है।
बता दें कि डॉसन सिटी कनाडा में दूरदराज का एक शहर है। इसकी आबादी बहुत कम है और ये क्लोनडाइक नदी के किनारे बसा है। कहा जाता है कि इस नदी की तलहटी में सोना बिछा पड़ा है। 1896 में जॉर्ज कार्मेक, डॉसन सिटी चार्ली और स्कूकम जिम मेसन ने सबसे पहले इस नदी में सोना होने की बात बताई थी।
जैसे ही नदी में सोने की खबर आग की तरह फैली इस शहर में लोगों का, खासतौर से सोना खोजने वालों का रेला लग गया। 1898 में इस शहर की आबादी सिर्फ 1500 थी जो कि रातों रात बढ़ कर तीस हजार हो गई। आज यहां की आबादी में खान में काम करने वाले हैं, कुछ कलाकार हैं, और कुछ वो लोग हैं जो खुद को इस शहर का मूल नागरिक बताते हैं।
बता दें कि इस शहर की हमेशा से ही एक अलग पहचान रही है। यहां तरह तरह के लोग रहते हैं जो इस इलाके की खूबसूरती में चार चांद लगाते हैं। इसे कनाडा के दीगर शहरों से हटकर एक अलग पहचान दिलाते हैं। डॉसन सिटी, ओगिल्वी पहाड़ों से घिरा हुआ है जो करीब दो हजार किलोमीटर तक फैला हुआ है। ये पहाड़ इस इलाके को खूंखार जंगली जानवरों से बचाता है। यदि आप क्लॉडिंग हाई-वे से जाना चाहते हैं तो व्हाइटहॉर्स से यहां तक पहुंचने में करीब सात घंटे का समय लगेगा। हाईवे की लंबाई करीब 533 किलोमीटर है।
यूकॉन इलाका कनाडा का सबसे कम आबादी वाला इलाका है। इस इलाके की ज्यादातर आबादी वाइटहॉर्स में बसी है। वाइटहॉर्स अलास्का, ब्रिटिश कोलंबिया और नॉर्थ वेस्ट के इलाकों से सटा हुआ है। डॉसन सिटी तक पहुंचने में आपको बहुत तरह के खूबसूरत कुदरती नजारे देखने को मिल सकते हैं। हर साल बड़ी तादाद में लोग डॉसन सिटी घूमने आते हैं। कुछ यहां कुदरत के खूबसूरत और दिलकश नजारे देखने आते हैं, तो कुछ यहां अमीर बनने की चाह में आते हैं। सोने की खोज करने वाले ये लोग मेहनत भी खूब करते हैं। सोने की खोज करने वाले ये लोग कई दशकों से इसी काम में लगे हैं।
सोने की इस नदी के पास जमी रेत को बालटियों में इकट्ठा करते हैं, फिर उसे कई कई बार छानते हैं। नदी के पानी को छोटे-छोटे बर्तनों में रखकर जमाया जाता है। फिर इस बर्फ से सोने के टुकड़ों को अलग किया जाता है। सोने के ये टुकड़े कई शक्ल में होते हैं। ये मोतीनुमा भी हो सकते हैं, पतले छिलके के रूप में भी हो सकते हैं या फिर गुच्छे के आकार के भी हो सकते हैं। ये जरूरी नहीं कि सोने के ये टुकड़े हर बार ही मिल जाएं।
बहुत मेहनत के बाद कुछ टुकड़े ही हाथ लग पाते हैं। सोना तलाशने के लिए यहां कोई रोक टोक नहीं है। कोई भी खुदाई करके यहां सोना तलाशने का काम कर सकता है। लेकिन फिर भी कुछ लोग यहां जमीन के टुकड़े खरीद लेते हैं, ताकि उस जगह से निकलने वाले सोने पर उनका ही हक रहे और कोई दूसरा वहां आकर खुदाई का काम ना कर सके। वो इस इलाके में मशीने भी लगा सकते हैं। हालांकि पिछली एक सदी से सोने के दामों में अक्सर ही उतार चढ़ाव देखने को मिलता रहा है।
आज की तारीख में चाय के एक चम्मच के बराबर का सोना 1300 डॉलर के हिसाब से बिकता है। डॉने मिशेल, डॉसन सिटी में साल 1977 में आई थीं। वो सोना निकालने का काम करती हैं। उन्हें हमेशा से ही अलग-अलग जगहों के बारे में जानने की उत्सुकता रही है। वो नई नई जगहों के बारे में जानकारी हासिल करने को एक खास तरह का इल्म मानती हैं। जब मिशेल को उनकी किसी परिचित ने इस जगह के बारे में बताया तो वो खुद को रोक नहीं पाईं और पहुंच गईं सोना तलाशने। डॉने मिशेल आज यहां आने वाले सैलानियों को सोना निकालने का तरीका सिखाती हैं।
डॉने मिशेल यहां खदान मजदूरों के साथ केबिन में रहती हैं। पास के चश्मे के पानी से अपनी प्यास बुझाती हैं और उसी के पानी से खाना बनाती हैं। हालांकि डॉसन सिटी आने से पहले उन्हें सोना निकालने का कोई तजुर्बा नहीं था। लेकिन, यहां रहते हुए उन्होंने ये हुनर सीख लिया और अब दूसरों को भी सिखा रही हैं। मिशेल कहती हैं उनकी जिंदगी बहुत आराम से गुजर रही है। वो पास के शहर में हर रोज काम के लिए जाती हैं और छुट्टी के दिन मजे से सोना तलाशती हैं या फिर आस पास के पहाड़ों में क़ुदरती नजारों का लुत्फ उठाती हैं। हालांकि वो अपने दोस्तों और रिश्तोंदारों से मीलों दूर रहती हैं, लेकिन कभी भी अपने घर की कमी का अहसास नहीं होता।
मिशेल को लगता है ये इलाका ही उनका घर है। मिशेल के मुताबिक एक इलाके की खुदाई पर खदान मजदूरों को काम करने की इजाजत तभी मिल पाती है जब उस इलाके का मालिक या तो मर जाता है या फिर वो अपनी खुशी से कुछ को काम करने की इजाजत देता है। यहां खदान मजदूर एक समुदाय की तरह से काम करते हैं। मिशेल को साल 1981 में पहली बार सोने की खदान में काम करने का मौका मिला था और तभी से वो इस समुदाय का हिस्सा बन गईं। साल 1984 में डॉसन सिटी में वुमेन्स वर्ल्ड चैंपियनशिप ऑफ गोल्ड का आयोजन हुआ। इस प्रतियोगिता में मिशेल कामयाब हुईं।
कुछ सालों बाद यूकॉन ओपन गोल्ड पैनिंग का मुकाबला हुआ। इस मुकाबले में उनका सामना अपने ही साथियों लोगों से था। मिशेल उन सभी को खदान में काम करने के दिनों से जानती थीं। वो सभी अपने काम में माहिर थे। इस प्रतियोगिता में हिस्सा लेने वालों में मिशेल ही एक अकेली महिला थीं जिन्हें तमाम मर्दों से लोहा लेना था। दिलचस्प बात ये थी कि वो इस मुकाबले में भी कामयाब रहीं और यूकॉन ओपन का खिताब जीतने वाली पहली महिला बनीं।