November 23, 2024

मुशर्रफ को 5 मामलों में फांसी, सजा से पहले हुई मौत तो 3 दिन लटकेगी लाश

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इस्लामाबाद

पाकिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ को फांसी की सजा सुनाई गई है. वहीं अब इस मामले में नई जानकारी सामने आई है कि मुशर्रफ को 5 बार फांसी लगाई जा सकती है. यह बात स्पेशल कोर्ट ने आज अपने विस्तृत फैसले में बताई है. हालांकि मुशर्रफ ने भी फांसी की इस सजा पर आरोप लगाया है कि बदले की भावना के तहत उन पर कार्रवाई की गई है.

कोर्ट के विस्तृत फैसले के मुताबिक परवेज मुशर्रफ को 5 मामलों में दोषी पाया गया है और सभी मामलों में उनको मौत की सजा दी गई है. विशेष अदालत के फैसले में यह भी कहा गया है कि वे सभी जो वर्दी में थे और मुशर्रफ द्वारा लगाए गए आपातकाल का हिस्सा थे और उसके लिए जिम्मेदार थे, वे सब भी इस मामले में पक्षकार हैं, उन्हें भी जवाबदेह ठहराया जाना चाहिए.

फांसी से पहले मरे मुशर्रफ तो 3 दिन चौराहे पर लटकेगी लाश

विशेष अदालत के विस्तृत निर्णय में एक न्यायाधीश ने लिखा है, "अगर (मुशर्रफ) मृत पाए गए (अदालत के फैसले को लागू करने से पहले), तो उनकी लाश को डी-चौक, इस्लामबाद, पाकिस्तान ले जाया जाए और 03 दिनों के लिए फांसी पर लटका जाए".

पाकिस्तान के पहले 'गद्दार' बने मुशर्रफ

विशेष अदालत के फैसले के अनुसार, पूर्व सेना प्रमुख परवेज मुशर्रफ देश के पहले 'गद्दार' के रूप में सामने आए हैं. विशेष अदालत में यह मामला करीब 6 साल चला और करीब 125 सुनवाई हुईं, जिसमें से मुशर्रफ केवल एक में मौजूद थे.

इस वजह से दी गई फांसी की सजा

169 पन्नों के विस्तृत फैसले में मुशर्रफ को कम से कम पांच मामलों में दोषी पाया गया और उन्हें पांच में से प्रत्येक मामले में मौत की सजा सुनाई गई है. आपको बता दें कि मुशर्रफ को 2 नवंबर, 2007 को पाकिस्तान में इमरजेंसी लगाने के लिए मौत की सजा सुनाई गई थी, उनको पाकिस्तान के संविधान के अनुच्छेद 6 के अनुसार दोषी पाया गया था.

तीन जजों की पीठ ने दिया फैसला

विशेष अदालत की तीन सदस्यीय पीठ में पेशावर उच्च न्यायालय (पीएचसी) के न्यायमूर्ति वकार अहमद सेठ, लाहौर उच्च न्यायालय (एलएचसी) के न्यायमूर्ति शाहिद करीम और सिंध उच्च न्यायालय (एसएचसी) के न्यायमूर्ति नजर अकबर शामिल थे.

मुशर्रफ ने तोड़ी अपनी चुप्पी

देशद्रोह केस में मौत की सजा मिलने के बाद पाकिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ ने अपनी चुप्पी तोड़ दी. उन्होंने आरोप लगाया कि बदले की भावना के तहत कार्रवाई की गई है. मुशर्रफ ने कहा है कि ऐसे फैसले का कोई उदाहरण नहीं है, जिसमें न तो प्रतिवादी और न ही मेरे वकील को बचाव में कुछ कहने की अनुमति दी गई थी.

द न्यूज इंटरनेशनल की रिपोर्ट के मुताबिक मुशर्रफ ने बुधवार को कहा कि उन्होंने अपने खिलाफ दिए गए फैसले को टीवी पर सुना. उन्होंने कहा कि उनके पास ऐसे मामले का ऐसा कोई उदाहरण नहीं है जहां प्रतिवादी या उसके वकील को अपनी दलीलें पेश करने तक का मौका नहीं दिया गया हो. मुशर्रफ ने कहा कि उन्होंने अपना बयान एक विशेष आयोग को देने का प्रस्ताव दिया था, अगर वह दुबई आने पर राजी हो. उन्होंने कहा कि उनके आग्रह को हालांकि नजरंदाज कर दिया गया.

उन्होंने कहा, 'मैं इस फैसले को संदिग्ध कहूंगा क्योंकि मामले की सुनवाई में शुरुआत से अंत तक कानून का पालन नहीं किया गया.' मुशर्रफ ने कहा कि वे पाकिस्तान की न्यायपालिका और मुख्य न्यायाधीश आसिफ सईद खोसा का सम्मान करते हैं. उन्होंने कहा कि वे मानते हैं कि कानून के लिए सब समान हैं.

मुशर्रफ ने कहा, 'हालांकि मेरे विचार से मुख्य न्यायाधीश खोसा ने यह कहकर अपने इरादे और जनता के प्रति अपने संकल्प को दिखाया कि उन्होंने इस मामले में शीघ्र निर्णय सुनिश्चित किया. मेरे शासन में व्यक्तिगत लाभ पाने वाले न्यायाधीश मेरे खिलाफ फैसला कैसे दे सकते हैं?' मुशर्रफ ने कहा कि वे अपने कानूनी सलाहकारों से चर्चा करने के बाद इस संबंध में अपनी आगे की योजना बताएंगे.

सजा पर भड़की पाकिस्तानी सेना

विशेष अदालत द्वारा संगीन राजद्रोह के एक मामले में मुशर्रफ को मौत की सजा सुनाने पर पाकिस्तानी सेना देश की न्यायपालिका पर बरस पड़ी. पाकिस्तानी सेना के आधिकारिक मीडिया विंग इंटर सर्विसेज पब्लिक रिलेशंस (आईएसपीआर) ने एक बयान में अदालत के फैसले पर नाखुशी जाहिर करते हुए कहा कि समूची पाकिस्तानी सेना ने इस फैसले को लेकर पीड़ा महसूस की है.

पाकिस्तानी सेना ने कहा कि मुशर्रफ जिन्होंने सैन्य प्रमुख, ज्वाइंट चीफ ऑफ स्टाफ कमेटी के अध्यक्ष और पाकिस्तान के राष्ट्रपति के रूप में 40 से अधिक वर्षों तक सेवा की देश की रक्षा के लिए युद्ध लड़े, वे निश्चित रूप से कभी देशद्रोही नहीं हो सकते. पाकिस्तानी सेना ने कहा कि मुशर्रफ जिन्होंने सैन्य प्रमुख, ज्वाइंट चीफ ऑफ स्टाफ कमेटी के अध्यक्ष और पाकिस्तान के राष्ट्रपति के रूप में 40 से अधिक वर्षों तक सेवा की देश की रक्षा के लिए युद्ध लड़े, वे निश्चित रूप से कभी देशद्रोही नहीं हो सकते.

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