November 23, 2024

सूर्य की रोशनी का भी हैं वास्तु में महत्वपूर्ण स्थान

0

सृष्टि का आधार ही सूर्य है, सूर्य की ऊर्जा से ही पृथ्वी पर जीवन संभव है। पूर्व दिशा का स्वामी सूर्य ग्रह होता है, सूर्य धन-संपत्ति,ऐश्वर्य, स्वास्थ्य और तेजस्व प्रदान करने वाला ग्रह है। वास्तु  की पूर्व दिशा यदि स्वस्थ्य और दोषमुक्त रहे तो उस भवन का स्वामी और उसमें रहे वाले सदस्य महत्वकांक्षी,सत्वगुणों से युक्त और उनके चेहरे पर तेज होता है।

ऐसे भवन स्वामी को खूब मान-सम्मान मिलता है इसका कारण है सूर्य अपार शक्ति और तेज के देवता हैं। सुबह के समय पूर्व दिशा से मिलने वाली किरणें अनंत गुणधर्म वाली ऊर्जा से युक्त होती हैं यही कारण है कि वास्तुविज्ञान में पूर्व व उत्तर की दिशाओं को अत्याधिक महत्व दिया जाता है,क्योंकि सूर्य से मिलने वाली सकारात्मक ऊर्जा का मुख्य द्वार पूर्व दिशा ही है। वहीं उत्तर एवं ईशान से ब्रह्मांडीय ऊर्जा भी भवन में प्रवेश करती है। ये दोनों ऊर्जाएं मिलकर भवन के अंदर एक विशेष ऊर्जामंडल बनाती हैं जो भवन के निवासियों को सकारात्मक परिणाम देती हैं।

 

 सूर्य के अनुसार कब क्या करें

  •     वास्तु शास्त्र के अनुसार मध्य रात्रि से तड़के 3 बजे तक सूर्य पृथ्वी के उत्तरी भाग में होता है। यह समय अत्यंत गोपनीय होता है। यह दिशा व समय कीमती वस्तुओं या जेवरात आदि को संभाल कर गुप्त स्थान पर रखने के लिए उत्तम है।
  •     सूर्योदय से पहले रात्रि 3 से सुबह 6 बजे का समय ब्रह्म मुहूर्त होता है। इस समय सूर्य पृथ्वी के उत्तर-पूर्वी भाग में होता है। यह समय चिंतन-मनन व अध्ययन के लिए बेहतर होता है।
  •     सुबह 6 से 9 बजे तक सूर्य पृथ्वी के पूर्वी हिस्से में रहता है, इसीलिए घर ऐसा बनाएं कि इस समय सूर्य की पर्याप्त रोशनी घर में आ सके।
  •     सुबह 9 से दोपहर 12 बजे तक सूर्य पृथ्वी के दक्षिण-पूर्व में होता है। यह समय भोजन पकाने के लिए उत्तम है। रसोईघर व स्नानघर (बाथरूम) गीले होते हैं। ये ऐसी जगह होने चाहिए, जहां सूर्य की पर्याप्त रोशनी आ सके, तभी ये स्थान सूखे और स्वास्थ्यकर हो सकते हैं।
  •     दोपहर 12 से 3 बजे तक आराम का समय होता है। सूर्य अब दक्षिण में होता है, अत: आराम कक्ष इसी दिशा में बनाना चाहिए।
  •     दोपहर 3 से शाम 6 बजे तक अध्ययन और कार्य का समय होता है और सूर्य दक्षिण-पश्चिम भाग में होता है। अत: यह दिशा अध्ययन कक्ष या पुस्तकालय के लिए उत्तम है।
  •     शाम 6 से रात 9 तक का समय खाने, बैठने और पढऩे का होता है। इसलिए घर का पश्चिमी कोना भोजन या बैठक कक्ष के लिए शुभ होता है।
  •     शाम 9 से मध्य रात्रि के समय सूर्य घर के उत्तर-पश्चिम में होता है। यह स्थान शयन कक्ष,पालतू जानवरों को रखने के लिए भी उपयोगी है।
  •  

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *