जापान को आर्थिक मंदी से बचाने के लिए मोदी सरकार बुलेट ट्रेन प्रॉजेक्ट ला रही:शरद पवार
मुंबई : सोशल मीडिया पर बीजेपी सरकार की हो रही छीछालेदर से विपक्ष खेमे में नया जोश पैदा कर दिया है। अब उन्हें लगने लगा है कि मोदी सरकार को हटाया जा सकता है। मंगलवार को राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी की हुई बैठक में पार्टी अध्यक्ष शरद पवार ने पदाधिकारियों से कहा कि अब वे तैयार हो जाएं। जोरशोर से काम में लग जाएं। जनता के पास जाइए, उनके काम कीजिए और चुनाव की तैयारी में जुट जाइए। पवार ने कहा कि संभव है कि बीजेपी शासित राज्यों में लोकसभा और विधानसभा के चुनाव एक साथ हो।पार्टी पदाधिकारियों को संबोधित करने के बाद पवार ने पत्रकारों से बात करते हुए कहा कि देश मंदी, महंगाई और बेरोजगारी से जूझ रहा है। बढ़ती महंगाई से आम जनता त्रस्त है। देश में उद्योग धंधे तेजी से बंद हो रहे हैं। बड़ी-बड़ी कंपनियां अपने कर्मचारियों की छंटनी कर रही हैं। इससे सरकार के खिलाफ माहौल बनने लगा है। आगामी 5 नवंबर को पार्टी के स्थापना दिवस पर औरंगाबाद में पार्टी का अधिवेशन आयोजित किया गया है, जिसमें सरकार के खिलाफ आंदोलन की रणनीति तय की जाएगी। किसानों के कर्जमाफी पर पवार ने कहा कि यदि मुख्यमंत्री ने संपूर्ण कर्जमाफी की है, तो इसमें के लिए इतनी शर्तें क्यों लाद दी गईं हैं, कर्जमाफी के लिए किसानों से लंबे-चौड़े फॉर्म भरवाए गए हैं। कर्जमाफी के लिए ऑनलाइन आवेदन भरने के लिए किसानों से 300 से 500 रुपये लिए गए।
जापान को आर्थिक मंदी से बचाने के लिए बुलेट
शिवसेना और मनसे के बाद राकांपा ने भी बुलेट ट्रेन का विरोध किया है। पार्टी प्रमुख शरद पवार ने आरोप लगाया कि जापान को आर्थिक मंदी से बचाने के लिए मोदी सरकार बुलेट ट्रेन प्रॉजेक्ट ला रही है। उन्होंने कहा कि आम गरीब जनता जिससे सफर करती है, उस लोकल सेवा में सुधार के लिए कुछ नहीं किया जा रहा है, परंतु बुलेट ट्रेन जरूर चलाएंगे। पवार ने कहा कि इस समय जापान आर्थिक मंदी से जूझ रहा है। सबसे तेज दौड़ने वाली ट्रेन जापान में है और फास्ट ट्रेन के कारखाने भी हैं, लेकिन उसके लिए बाजार नहीं है। इसलिए जापान को आर्थिक मंदी से बचाने के लिए अहमदाबाद से मुंबई के बीच बुलेट ट्रेन प्रॉजेक्ट शुरू किया गया है। ध्यान देने की बात यह है कि महाराष्ट्र में बुलेट ट्रेन के सिर्फ तीन स्टेशन है और यह बुलेट ट्रेन केवल 35 मिनट ही महाराष्ट्र में दौड़ेगी, लेकिन इस होने वाला खर्च में हिस्सेदारी गुजरात और महाराष्ट्र को एक जैसा देना होगा। इससे तो महाराष्ट्र को नुकसान ही होने वाला है।
(साभार : नवभारत टाइम्स )