नई ई-कॉमर्स नीति में देरी की आशंका
नई दिल्ली
सरकार के इसी वित्त वर्ष में देश के लिए नई ई-कॉमर्स नीति पेश करने के लक्ष्य में देरी संभव है। सूत्रों के मुताबिक इस वित्त वर्ष में नीति लाना टालना पड़ सकता है। इसके अगले वित्त वर्ष में आने की संभावना है। नॉन पर्सनल डाटा प्रोटेक्शन बिल के संसद में अटकने के चलते इसमें और देरी हो रही है। केंद्र सरकार नॉन पर्सनल डाटा को पॉलिसी का हिस्सा बनाना चाहती है।
पर्सनल डेटा प्रोटेक्शन बिल भी फिलहाल राज्य सभा मे अटका हुआ है। राज्यसभा की सेलेक्ट कमेटी की रिपोर्ट बजट सत्र के पहले हफ्ते में आने के आसार हैं। बजट सत्र में इस बिल के पास होने की संभावना भी कम ही जताई जा रही है। इसमें आईटी मंत्रालय की तरफ से देश में डाटा की सुरक्षा के लिए कानून बनाने की तैयारी है। इसमें बड़े पैमाने पर ई कॉमर्स से जुड़ा, मौसम के ट्रेंड, किसी खास राज्य में लोगों को खाने पीने के पैटर्न जैसे नॉन पर्सनल डाटा से जुड़े नियम तय करने हैं ताकि स्टार्टअप और दूसरी ई-कॉमर्स कंपनियां अपना कारोबार बेहतर तरीके से कर पाएं।
इस नीति को तैयार करने के दौरान अलग अलग हितधारकों के साथ हुई चर्चा के दौरान कारोबारियों ने सरकार से मांग की थी कि उन्हें नॉन पर्सनल डाटा इस्तेमाल का रास्ता दे दिया जाए ताकि वो एक राज्य से दूसरे राज्य में आसानी से ई कॉमर्स कारोबार शुरू कर पाएं। उस समय सरकार की तरफ से उन्हें साफ आश्वासन भी दिया गया था कि डाटा प्रोटेक्शन बिल में इस बात का ध्यान रखा जाएगा। उल्लेखनीय है कि देश के खुदरा कारोबारियों का संगठन लंबे समय से ई-कॉमर्स के नियमन की मांग कर रहे हैं।
ई-कॉमर्स पॉलिसी का ड्राफ्ट बिल तैयार होकर रायशुमारी के लिए पब्लिक डोमेन में है। नैस्कॉम और इंडस्ट्री चैम्बर सीआईआई पहले ही इस पर अपनी राय दे चुका है। सरकार के 3 मंत्रालय अलग इससे जुड़े नियम कानून बनाने की दिखा में अपने अपने विभाग की तरफ से तेजी से फिलहाल लगे हुए हैं। नई ई कॉमर्स पॉलिसी का नोडल मंत्रालय भले ही वाणिज्य मंत्रालय हो लेकिन दूसरे मंत्रालय भी ई कॉमर्स से जुड़े अपने अपने अलग कानून बना रहे हैं। आईटी मंत्रालय, उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय ने भी मुद्दे पर कानून बनाने से जुड़ा विचार विमर्श शुरू कर दिया है। संसद से नॉन पर्सनल डाटा प्रोटेक्शन कानून बन जाने के बाद ही इस पॉलिसी को अमलीजामा पहनाया जा सकेगा।