बैकुण्ठपुर विधायक सिंहदेव ने की महाविद्यालय के रंग-रोगन एवं मरम्मत तथा स्नातकोत्तर पाठ्यक्रम प्रारंभ करने की घोषणा
कोरिया
बैकुण्ठपुर क्षेत्र की विधायक श्रीमती अंबिका सिंहदेव एवं मनेन्द्रगढ क्षेत्र के विधायक डॉ. विनय जायसवाल के विषिश्ट आतिथ्य और नगर पालिका परिशद बैकुण्ठपुर के अध्यक्ष श्री अषोक जायसवाल की अध्यक्षता में आयोजित प्रतिमा अनावरण कार्यक्रम में श्री राघवेन्द्र प्रताप सिंह के मुख्य आतिथ्य में आज यहां जिला मुख्यालय बैकुण्ठपुर स्थित षासकीय रामानुज प्रताप सिंह देव स्नातकोत्तर महाविद्यालय में रामानुज प्रताप सिंह देव की प्रतिमा का अनावरण किया गया। कार्यक्रम में षासकीय रामानुज प्रताप सिंह देव स्नातकोत्तर महाविद्यालय के प्राचार्य श्री ए.सी.गुप्ता, जिला जनसंपर्क अधिकारी श्री लक्ष्मीकांत कोसरिया सहित गणमान्य नागरिक, प्राध्यापक, सहायक प्राध्यापक, मीडिया के प्रतिनिधिगण एवं बडी संख्या में छात्र-छात्राएं उपस्थित थीं।
मुख्य अतिथि श्री राघवेन्द्र प्रताप सिंह ने प्रतिमा अनावरण कार्यक्रम को संबोधित करते हुए उन्होंने रामानुज प्रताप सिंह देव के व्यतित्व पर संक्षिप्त प्रकाष डाला। मनेन्द्रगढ विधायक डॉ. जायसवाल ने कार्यक्रम को संबोधित करते हुए उत्कृश्ट प्रदर्षन करने वाले सर्वश्रेश्ठ छात्र को गोल्ड मेडल एवं 11 हजार रूपये देने की घोशणा की। इसी तरह बैकुण्ठपुर विधायक श्रीमती सिंहदेव ने रामानुज प्रताप सिंह देव के अनछुए पहुलुओं से उपस्थितों को अवगत कराते हुए महाविद्यालयीन छात्र-छात्राओं को अपना एवं जिले का नाम रोषन करने की बात कही। तत्पष्चात उन्होंने महाविद्यालय के रंग-रोगन एवं मरम्मत तथा स्नातकोत्तर पाठ्यक्रम प्रारंभ करने की घोशणा की। कार्यक्रम को नगर पालिका परिशद बैकुण्ठपुर के अध्यक्ष श्री जायसवाल, सहित अन्य जनप्रतिनिधियों ने भी कार्यक्रम को संबोधित किया और उनके आदर्षों पर चलने हेतु छात्र-छात्राओं को प्रेरित किया। नवभारत के ब्यूरो चीफ श्री उत्तम कष्यप ने रामानुज प्रताप सिंह देव के जीवनी पर विस्तार से प्रकाष डाला।
कार्यक्रम में एनएसएस के स्वयं सेवकों ने मनमोहक प्रस्तुतियां देकर सबका मन मोह लिया। इस दौरान महाविद्यालय में विगत दिवस आयोजित निबंध एवं प्रष्नोत्तरी प्रतियोगिता में प्रथम, द्वितीय एवं तृतीय स्थान प्राप्त करने वाले छात्र-छात्राओं को पुरस्कार भी प्रदान कर सम्मानित किया गया। कार्यक्रम का संचालन महाविद्यालय के सहायक प्राध्यापक प्रो. श्री एम.सी.हिमधर ने किया।