इकॉनमी को राहत, S&P ने बरकरार रखी रेटिंग
नई दिल्ली
अर्थव्यस्था में सुस्ती के बीच कुछ रेटिंग एजेंसियों द्वारा रेटिंग घटाए जाने के बीच एसऐंडपी के रुख से सरकार को राहत मिली है। वैश्विक रेटिंग एजेंसी एसऐंडपी ने भारत की सॉवरेन रेटिंग को ‘स्थिर परिदृश्य’ के साथ 'बीबीबी' पर बरकरार रखा है। आर्थिक मामलों के सचिव अतनु चक्रवर्ती ने मंगलवार को यह जानकारी दी। एसऐंडपी की यह रेटिंग इस लिहाज से महत्वपूर्ण है कि कुछ सप्ताह पहले ही एक अन्य वैश्विक रेटिंग एजेंसी मूडीज इन्वेस्टर सर्विस ने भारत के रेटिंग परिदृश्य को ‘स्थिर’ से ‘नकारात्मक’ कर दिया था।
अर्थव्यवस्था दीर्घावधि वृद्धि हासिल करती रहेगी
चक्रवर्ती ने ट्वीट किया, ‘एसऐंडपी ने भारत की सॉवरेन रेटिंग को स्थिर परिदृश्य के साथ 'बीबीबी' पर कायम रखा है। एजेंसी का कहना है कि हालिया गिरावट के बावजूद भारतीय अर्थव्यवस्था निरंतर प्रभावशाली दीर्घावधि वृद्धि दर हासिल करती रहेगी। बीबीबी रेटिंग किसी इकाई की अपनी वित्तीय प्रतिबद्धताओं को पूरा करने की पर्याप्त क्षमता को दर्शाती है। हालांकि, प्रतिकूल आर्थिक परिस्थितियों या बदलती परिस्थितियों से उसकी वित्तीय प्रतिबद्धताओं को पूरा करने की क्षमता कमजोर पड़ सकती है।
साढ़े छह साल के निचले स्तर पर जीडीपी ग्रोथ रेट
एसऐंडपी की ताजा रेटिंग ऐसे समय आई है, जब विपक्ष अर्थव्यवस्था में आती गिरावट को लेकर लगातार सरकार पर हमलावर है और आरोप लगा रहा है कि सरकार आर्थिक वृद्धि दर में आती गिरावट को रोकने के लिए पर्याप्त प्रयास नहीं कर रही है। उल्लेखनीय है कि चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में आर्थिक वृद्धि दर घटकर 4.5 प्रतिशत रह गई है, जो इसका छह साल का निचला स्तर है।
इकॉनमी में सुस्ती चक्रीय
वित्त मंत्रालय ने एसऐंडपी द्वारा भारत पर जारी संक्षिप्त प्रकाशन का हवाला देते हुए कहा, ‘हालिया गिरावट के बावजूद भारतीय अर्थव्यवस्था दीर्घावधि में प्रभावशाली वृद्धि दर हासिल करती रहेगी। ऐसा समझा जाता है कि मौजूदा आर्थिक सुस्ती संरचनात्मक कारणों से होने के बजाय चक्रीय अधिक है।’
बेहतर प्रदर्शन का अनुमान
एसऐंडपी का अनुमान है कि भारतीय अर्थव्यवस्था अपनी समकक्ष अर्थव्यवस्थाओं की तुलना में बेहतर प्रदर्शन करेगी और अगले दो साल के दौरान वृद्धि दर मजबूत बनी रहेगी। एजेंसी ने भारत के मामले में स्थिर परिदृश्य इस आधार पर बनाए रखा है कि अगले दो साल के दौरान आर्थिक वृद्धि दर मजबूत बनी रहेगी और भारत की बाह्य स्थिति भी बेहतर रहेगी। इसके साथ ही राजकोषीय घाटा ऊंचा रहेगा, लेकिन मोटे तौर पर यह अनुमानों के दायरे में बना रहेगा।