आस्था :जांजगीर-चांपा बड़ी ऊंची है मां की अदालत
जोगी एक्सप्रेस
जांजगीर-चांपा। मजाल क्या कि कोई पेड़-पौधों की एक टहनी तोड़ ले। जिले के बलौदा ब्लाॅक का गांव पहरिया हर ओर हरियाली से शायद इसीलिए आच्छादित है। यहां के अन्नधरी मंदिर में आस्था की मजबूत जड़े हैं। उनमें विश्वास का जल है। लौ की अलौकिकता है। अटूट श्रद्धा है। अन्नधरी (कुल देवी) को यह मंजूर नहीं कि कोई पेड़ों पर कुल्हाड़ी चलाए। लोगो में यही मान्यता वर्षों से चली आ रही है। यहां चारों ओर का जंगल हरा-भरा रहता है। न आरियां चलती हैं न कटारियां। कहते हैं कि अगर पेड़ों को कोई क्षति पहुंची तो गांव में अनर्थ हो जाएगा।
बड़ी ऊंची है मां की अदालत
अन्नधरी देवी मंदिर, बलौदा ब्लाक के ग्राम पहरिया में स्थित है। यह मंदिर जिला मुख्यालय से 20 किमी दूर है। यहां बारहों महीने भक्तों का तांता लगा रहता है। नवरात्र में तो यहां श्रद्धालुओं की अपरंपार भीड़ रहती है। मां अन्नधरी पहरिया में पहाड़ के ऊपर विराजती हैं। सबसे ऊपर उनकी अदालत लगती है, जहां से काले बादल मंदिर के शिखर पर लटकते दिखाई देती हैं। यहां एक तरह से अलौकिक आनंद की अनुभूति, घनीभूत हो जाती है। मान्यता है कि मन की मुराद यहां पूरी हो जाती है। बशर्ते दिल में कोई खोट न हो।
अन्नधरी को पसंद है हरियाली
ऐसा कहा जाता है कि मां अन्नधरी को हरियाली से बहुत प्रेम है। शायद यही वजह है कि इसके आसपास जंगलों में पेड़-पौधों को क्षति पहुंचाने की किसी की हिम्मत नहीं होती। कभी भी कोई एक टहनी तक नहीं तोड़ता। जंगल में आंधी-तूफान में अगर कोई पेड़ गिर भी जाए तो वहीं सूख जाती है। दीमकों का ग्रास भले बन जाता हो पर कोई उसकी शाखों-जड़ों को काटता नहीं। न ही घर ले जाता है। यहां के लोग कहते हैं कि देवी की कृपा से ही जंगल की हरियाली कायम है।
ज्योति कलश की प्राचीन परंपरा
बहुत पहले यहां मंदिर में ज्योति कलश जलाने की परंपरा शुरू हुई। चूंकि अन्न्धरी देवी गांव की कुल देवी हैं। ऐसे में नवरात्रि पर्व पर हवन के लिए अग्नि प्रज्वलित करने में सूखी लकड़ी का प्रयोग होता है। चैत्र व क्वार नवरात्र में लोग दूर-दूर से यहां दर्शन करने आते हैं। यहां जवारा बोया जाता है तथा ज्योति कलश प्रज्जवलित की जाती है।मंदिर के बैगा (तांत्रिक) ने बताया कि यहां की प्रतिमा लगभग सौ वर्ष पुरानी है। माता की कृपा से धन-धान्य में वृद्धि होती है। इसी कारण इनका नाम अन्नधरी देवी पड़ा है। यहां प्रतिवर्ष नवरात्रि पर साल में दो बार ज्योति कलश प्रज्जवलित की जाती है। नौ दिनों तक विशेष पूजा-अर्चना की जाती है। यहां नवरात्र पर व्रत रखने वाले कई श्रद्धालु खाली पैर देवी दर्शन करने पैदल आते हैं।