एक पंथ दो काज साबित हो रहा सुपोषण अभियान, सुपोषित के साथ आत्मनिर्भर बनती महिलायें
दंतेवाड़ा, 01दिसम्बर 2019/ छत्तीसगढ़ के वनांचल दंतेवाड़ा के गाँवो में राज्य शासन द्वारा चलाया जा
रहा सुपोषण अभियान वरदान साबित हो रहा है इससे बच्चे और महिलायें ना सिर्फ सुपोषित हो रहें है बल्कि स्व सहायता समूहों के माध्यम से वो आत्मनिर्भर भी हो रहीं हैं.
छत्तीसगढ़ राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन ‘बिहान’ अंतर्गत ‘सुपोषित कार्यक्रम दंतेवाड़ा’ हेतू मावली माता स्व सहायता समूह सुपोषण केंद्र बारसापारा चितालंका एवं मां दुर्गा स्व सहायता समूह सुपोषण केंद्र पटेल पारा गंजेनार द्वारा केंद्र संचालित है और अब तक ये सुपोषण केंद्र संचालन से 135000रु तथा 186000रु की राशि प्राप्त कर चुकी है जिसे क्रमश: 14 और 10 महिलाये संचालित कर रहीं है. मावलीमाता स्व सहायता समूह द्वारा अब तक 19 शिशुवती महिलाये 3 बालिका और 0-3 वर्ष के 44 बच्चे लाभ ले चुके है और समूह सदस्यों ने अब तक 46760रु की बचत कर चुकी है. वही माँ दुर्गा स्व सहायता समूह द्वारा 27 शिशुवती, 24किशोरी और 0-3 वर्ष के 35 बच्चों को लाभ प्राप्त हुआ है साथ ही समूह की महिलाओ द्वारा 40560रु की बचत की जा चुकी है. दोनों समूहों की महिलाये सप्ताह में एक दिन बैठक कर सभी के कार्यों का विवरण लेती है और आय व्यय की चर्चा करती है. चितालंका के समूह की महिलाये सुपोषण केंद्र के साथ किराना दुकान तथा सब्जी बेचने का भी काम करती है जिससे उन्हें अच्छी आमदनी हो जाती है वही गंजेनार के समूह की महिलाये कड़कनाथ मुर्गी पालन व्यवसाय भी करती है.
समूह मीनू के हिसाब से बच्चों, एवं महिलाओं को भोजन प्रदान करती है जिसमे चावल, रोटी, दाल, सब्जी, अंकुरित अनाज, गुड़ और मूंगफली से निर्मित लड्डू तथा अंडा शामिल है. जिसके नियमित सेवन से गांव की शिशुवती माता, बच्चे एवं किशोरी बालिकाएं सुपोषित हो रहीं है. सुपोषण अभियान से समूहों के आय में वृद्धि हुई है साथ ही महिलाओ में जागरूकता आयी है और वे सशक्त हुई है . इससे वे अपने परिवार के लिए सुदृढ़ आर्थिक स्रोत की व्यवस्था कर रही हैं, बच्चों के अच्छे अध्ययन हेतु पर्याप्त धनराशि उन्होंने एकत्र किया है, साथ ही बुढ़ापे के लिए अच्छी धनराशि भी वो एकत्र कर रहीं है जिससे वो अपना एक अच्छा मकान बना सके और स्वयं को एकांत से बाहर निकाल कर समाज में प्रतिष्ठित जीवन जी सकें. अतःअब वो चाहती है की सुपोषण अभियान आगे भी चालू रहे ताकि महिलाएं बच्चे किशोरी बालिकाए स्वस्थ एवं सुपोषित रह सके और समूह की महिलाओं को भी इसका लाभ मिल सके.