हाट बाजार क्लीनिक से बीमारियों के चिन्हांकन में मिल रही सहायता
त्वरित इलाज आरंभ कर देने से बेहतर हो रहे स्वास्थ्य सूचकांक
एनीमिक मामलों के चिन्हांकन में हो रही आसानी
कुष्ठ, टीबी आदि मरीजों के चिन्हांकन में हो रही आसानी,
पहले चर्मरोग समझ कर इलाज करा रहे थे,
हाट बाजार क्लीनिक में पता चला कुष्ठ है
अब एमडीटी दवाओं का नियमित रूप से कर रहे हैं सेवन,
इलाज से हो रहा लाभ
दुर्ग/अमूमन लोग थोड़ी गंभीर अवस्था में ही इलाज के लिए अस्पताल जाने का निर्णय लेते हैं। इसके चलते कई बार सही समय पर तबियत ठीक करने की गुंजाइश कम हो जाती है अथवा लंबे ट्रीटमेंट की जरूरत पड़ती है। सहज रूप से अस्पताल ही चौखट पर उपलब्ध हो तो लोग बीपी, शुगर एवं खून की जांच जैसी सामान्य जांच उत्सुकता से करा लेते हैं और इससे आसानी से रोगों का चिन्हांकन हो जाता है। मुख्यमंत्री हाट बाजार क्लीनिक इस मामले में बेहद सफल हुए हैं। पाटन के अमलेश्वर गांव में अपना अनुभव साझा करते हुए हेल्थ टीम की अंजना शर्मा ने बताया कि लोग बाजार में सब्जी लेने आते हैं। वो लोग देखते हैं कि हम लोग खूब सारी दवाइयों और बीपी-शुगर मीटर के साथ बैठे हैं। वे आ जाते हैं और बताते हैं कि कुछ दिनों से उन्हें अच्छा नहीं लग रहा। हम लोग जांच कर लेते हैं और पाते हैं कि सामान्यतः ये मौसमी बदलाव की वजह से होता है लेकिन कई बार इसकी जड़ें शरीर की बुनियादी दिक्कतों से जुड़ी होती हैं जैसे बीपी, शुगर आदि। इसका चिन्हांकन हम लोग कर लेते हैं। उन्होंने बताया कि एक पेशेंट सुशीला देवांगन आई, उनकी चोट का जख्म कुछ दिनों से भर नहीं पा रहा था। हमने जांच की तो पाया कि उनका शुगर काफी हाई है। अब हमने उन्हें हेल्थ एवं वेलनेस सेंटर अमलेश्वर में भेजा है। वहां न केवल शुगर से संबंधित दवा शुरू की जाएगी अपितु योग एवं खानपान से संबंधित सावधानियों के विषय में भी बताया जाएगा। अंजना ने बताया कि महीने भर पूर्व भोथली से एक केस आया था। वो युवक सामान्य रूप से बाजार में खरीदारी करने आया और उसने चर्मरोग होने की बात कही थी। उसने निजी चिकित्सकों से परामर्श लिया था। यहां पर मालूम हुआ कि उसे कुष्ठ है। अब उसका ट्रीटमेंट आरंभ कर दिया गया है। उसे निःशुल्क एमडीटी की दवा दी गई है। अंजना ने बताया कि यह सही समय पर उपचार आरंभ होने के लाभ हैं। मोहरेंगा में इलाज के लिए आई श्रीमती मिटावन ने बताया कि हमें इलाज के लिए दारगांव या सीएचसी अहिवारा में जाना पड़ता है। अब ये दिक्कत दूर हो गई। हाटबाजार में तो आना होता ही है। अपना इलाज भी करा लेते हैं। अंजना शर्मा ने बताया कि एनीमिया के चिन्हांकन के लिए भी इन हाटबाजारों से काफी मदद मिल रही है। हम उन्हें दवाओं के साथ ही उचित पोषण की जानकारी भी देते हैं। साथ ही गर्भवती अथवा शिशुवती माता होने पर इनकी जानकारी बीएमओ सर को देते हैं जहां से यह जानकारी आंगनबाड़ी केंद्रों तक पहुंच जाती है ताकि इनके पोषण का पर्याप्त ध्यान रखा जा सके। अभी तक जिले में हाट बाजारों में मेडिकल टीम सौ से अधिक दौरे कर चुकी है और ढाई हजार से अधिक लोगों का उपचार कर चुकी है।