अब दर्शन एवं धर्म विभाग में असिस्टेंट प्रोफेसर के इंटरव्यू में गड़बड़ी का आरोप
वाराणसी
बीएचयू में संस्कृत विद्याधर्म विज्ञान संकाय में नियुक्ति का विवाद अभी थमा नहीं कि अब दर्शन एवं धर्म विभाग में असिस्टेंट प्रोफेसर पद पर चयन पर भी आरोप लगने लगे हैं। दर्शन एवं धर्म विभाग में बीते दिनों हुए साक्षात्कार पर एक प्रतिभागी ने भेदभावपूर्ण रवैया अपनाने का आरोप लगाते हुए इसे रद करने की मांग की है। प्रतिभागी रमेश कुमार विश्वकर्मा ने राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री व मानव संसाधन विकास मंत्रालय और बीएचयू के कुलपति को पत्र भेजा है।
आरोप है कि 23 नवम्बर को विभाग में सहायक प्राध्यापक पद हुए साक्षात्कार में चयन समिति ने अनियमितता एवं पक्षपातपूर्ण रवैया अपनाया। बताया कि साक्षात्कार के लिए कुलपति की अध्यक्षता में गठित समिति में एक विजिटर नामित, तीन बाह्य विषय विशेषज्ञ, संकाय प्रमुख, विभागाध्यक्ष, अनुसूचित जाति प्रतिनिधि एवं अन्य पिछड़ी जाति प्रतिनिधि शामिल थे। सबसे पहले अनारक्षित वर्ग, फिर आर्थिक कमजोर वर्ग, अनुसूचित जाति तथा अन्त में अन्य पिछड़े वर्ग का साक्षात्कार हुआ।
अनारक्षित वर्ग, आर्थिक कमजोर वर्ग एवं अनुसूचित जाति के साक्षात्कार के लिए चयन समिति के समस्त सदस्य होलकर भवन में उपस्थित रहे। पिछड़े वर्ग का साक्षात्कार कुलपति अध्यक्ष एवं एक बाह्य विषय विशेषज्ञ की अनुपस्थिति में किया गया। विशेषज्ञ प्रो. दिलीप कुमार मोहन्ता 20 उम्मीदवारों का साक्षात्कार शेष छोड़कर चले गए। उसने कहा कि होलकर भवन, एलडी गेस्ट हाउस तथा कुलपति आवास मार्ग पर लगे सीसी टीवी फुटेज से इसकी पुष्टि करायी जा सकती है। इसके बाद कुलपति 11 उम्मीदवारों का साक्षात्कार शेष रहते हुए निकल गए थे।
आरोप लगाया कि पांच उम्मीदवारों के साक्षात्कार में औपचारिकता निभायी गयी है। प्रक्रिया में 10 उम्मीदवार ऐसे थे जिन्हें सामान्य वर्ग, आर्थिक कमजोर वर्ग एवं अन्य पिछड़ा वर्ग में से किन्हीं दो वर्गों में साक्षात्कार देना था, किन्तु किसी भी अभ्यर्थी को दोबारा साक्षात्कार का मौका नहीं दिया गया। उधर, विवि के जनसम्पर्क अधिकारी डॉ. राजेश सिंह का कहना है कि आरोप बे-बुनियाद है। सेलेक्शन कमेटी में प्रक्रिया का पालन किया गया है।