बजट में कमी: रेल की रफ्तार बढ़ाने में अभी लगेंगे और 17 साल
नई दिल्ली
रेलवे बोर्ड 2024 तक देश के प्रमुख रेलमार्गों पर सरकारी प्रीमियम ट्रेन व निजी ट्रेन की रफ्तार बढ़ाकर 160 किलोमीटर प्रतिघंटा करना चाहता है। इसके लिए हाई स्पीड कॉरिडोर का मास्टर प्लान भी तैयार है, लेकिन बजट का संकट ट्रेन की रफ्तार बढ़ाने में सबसे बड़ी बाधा बन गया है।रेलवे के खुद के दस्तावेज कहते हैं कि सभी मार्गों पर रफ्तार बढ़ाने के मास्टर प्लान को पूरा होने में 17 साल का वक्त लगेगा।
रेलवे बोर्ड के मास्टर प्लान में स्वर्णिम चतुर्भुज दिल्ली-कोलकाता, कोलकाता-चेन्नई, चेन्नई-मुंबई, मुंबई-दिल्ली सहित मुंबई-कोलकाता व दिल्ली-चेन्नई के रेलमार्गों को हाई स्पीड कॉरिडोर बनाने का खाका तैयार किया है। रेल मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि दिल्ली-कोलकाता व दिल्ली-मुंबई को हाई स्पीड बनाने का काम दिसंबर 2019 में शुरू करने की योजना है, लेकिन शेष कॉरिडोर को हाई स्पीड बनाने के लिए रेलवे के पास पर्याप्त बजट नहीं है।
उपरोक्त प्रमुख रेलमार्गों के सेक्शनों पर रेल लाइनों के दोहरीकरण, तिहारीकरण, चौथी लाइन, नई रेल लाइन, आमान परिवर्तन आदि का काम भी चल रहा है। जिससे रेलमार्गों पर कंजेशन की समस्या से निपटा जा सके। रेलवे दस्तावेजों के अनुसार, बुनियादी ढांचे के लिए हर साल लगभग 30 हजार करोड़ रुपये बजट मिलता है। जबकि ऐसी बुनियादी ढांचे संबंधी परियोजनाओं की संख्या 498 है।
दस्तावेजों में इस बात का स्पष्ट उल्लेख है कि 298 बुनियादी ढांचे की परियोजनाओं को पूरा करने के लिए पांच लाख 22 हजार करोड़ रुपये की जरूरत है, लेकिन रेलवे को उक्त मद में प्रति वर्ष 30 हजार करोड़ रुपये मिलते हैं। इस प्रकार धन की कमी के कारण सभी परियोजनाओं के पूरा होने में 17 साल का समय लगेगा। इससे रेलवे की प्रीमियम ट्रेन राजधानी एक्सप्रेस, शताब्दी एक्सप्रेस, वंदे भारत एक्सप्रेस (ट्रेन-18) सहित प्रस्तावित 150 निजी ट्रेन को 160 किलोमीटर प्रतिघंटा की रफ्तार पर चलाने की योजना पर पानी फिर जाएगा।
परियोजनाओं को दो श्रेणियों में बांटा
रेलवे बोर्ड के अध्यक्ष विनोद कुमार यादव ने बताया कि सीमित संसधान व बजट की कमी को देखते हुए नई रेल लाइन, रेल लाइन का दोहरीकरण, तिहरीकरण, आमान परिवर्तन आदि परियोजनाओं को सुपर क्रिटिकल व क्रिटिकल दो श्रेणियों में विभाजित किया है। सुपर क्रिटिकल में 58 परियोजनाएं व क्रिटिकल में 68 परियोजनाओं को शामिल किया गया है। इसमें दोहरीकरण, तीसरी लाइन परियोजनाओं को दिसंबर 2021 में पूरा करने का लक्ष्य है। जबकि क्रिटिकल में एक अमान परिवर्तन, 67 दोहरीकण-तिहारीकरण, चौथी लाइन आदि को मार्च 2024 में पूरा किया जाएगा। इससे रेलमार्गों की क्षमता बढ़ने से ट्रेन की रफ्तार बढ़ेगी।