November 25, 2024

1200 रुपए प्रति क्विंटल का बोझ राज्य पर, केंद्र की धान पर ना से

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रायपुर
प्रदेश सरकार के रणनीतिकारों ने मोटे तौर पर यह मान लिया है कि केंद्र सरकार यहां का चावल नहीं खरीदने वाली है, और इस हिसाब से तैयारी शुरू कर दी गई है। प्रदेश सरकार को पूरा 85 लाख टन धान अपने स्तर पर खरीदकर बेचने के लिए हर क्विंटल पर करीब 1200 रुपए मिलाने होंगे। यही राशि पूरे धान के लिए 10 हजार करोड़ रुपए से अधिक होगी, जो इसी प्रक्रिया में दूसरे खर्च को मिलाकर लगभग 16000 करोड़ रुपए तक पहुंचेगी। इसीलिए राज्य सरकार ने अलग-अलग स्त्रोतों से 21 हजार करोड़ रुपए का कर्ज लेने की प्रक्रिया भी शुरू कर दी है, ताकि 1 दिसंबर से धान खरीदी शुरू करने के बाद किसानों को भुगतान करने में दिक्कत न अाए।

केंद्र सरकार से अब तक संकेत नहीं मिले हैं कि अगर राज्य सरकार धान पर बोनस देने के लिए अड़ी रही तो वह यहां का चावल खरीदेगी या नहीं। भूपेश सरकार के रणनीतिकार मानकर चल रहे हैं कि केंद्र से पहल का इंतजार करने के बजाय सरकार को 1 दिसंबर से अपने स्तर पर ही धान खरीदी का इंतजाम कर लेना चाहिए। इसमें सरकार भिड़ भी गई है। जानकारों के मुताबिक प्रदेश में बोनस मिलाकर धान 2500 रुपए क्विंटल पर ही खरीदा जाएगा। अगर केंद्र ने चावल नहीं लिया तो यह 85 लाख टन धान बाजार में ले जाना होगा। वहां इसकी कीमत अधिकतम 1300 रुपए प्रति क्विंटल मिलने की उम्मीद है। अर्थात, हर क्विंटल पर राज्य को 1200 रुपए अपने खजाने से लगाने पड़ेंगे। इसके अलावा धान खरीदी का इंफ्रास्ट्रक्चर, कस्टम मिलिंग, बारदाना, हमाली, ट्रांसपोर्टिंग और मंडी व अन्य टैक्स मिलाकर भी पैसे खर्च होंगे। इसी की भरपाई के लिए 21 हजार करोड़ के कर्ज की व्यवस्था शुरू कर दी गई है। दरअसल केंद्र सरकार ने पिछले साल प्रदेश में भाजपा सरकार रहते हुए अतिरिक्त चावल लेने की छूट दी थी। कांग्रेस की सरकार बनने के बाद इस बार केंद्र ने अब तक यह फैसला नहीं लिया है कि पिछली सरकार को 1815 रुपए समर्थन मूल्य पर धान खरीदी में चावल लेने की जो छूट दी गई थी, वह अभी दी जाएगी या नहीं।

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