अलीगढ़ की यमुना ने श्रीकृष्ण की प्रतिमा से रचाई शादी, सात फेरे लेकर माना पति
अलीगढ़
जाके सर मोर मुकुट, मेरो तो पति सोई। तात, मात, भ्रात, बंधु, आपनों न कोई, मेरे तो गिरधर गोपाल, दूसरो न कोई। इन पंक्तियों को चरितार्थ किया है, श्रीकृष्ण की भक्ति में लीन होकर मीरा बनी सचिन उर्फ यमुना ने। यमुना ने 19 नवंबर को श्रीकृष्ण की प्रतिमा के साथ हिंदू रीति-रिवाज के साथ सात फेरे लेकर अपना जीवन श्रीकृष्ण को समर्पित कर दिया है।
भगवान श्रीकृष्ण की प्रेम दीवानी मीरा भले ही श्रीकृष्ण को अपना पति नहीं बना सकी। लेकिन, कलयुग की यमुना ने कान्हा की प्रतिमा से विवाह कर जीवन श्रीकृष्ण की भक्ति को समर्पित कर दिया। यमुना ने अग्नि को साक्षी मानकर भगवान कृष्ण की प्रतिमा के साथ सात फेरे लेने के साथ ही अन्य परिणय संस्कार विधि-विधान के साथ संपन्न कराए। सचिन उर्फ मीरा पुत्री छत्तरपाल सिंह निवासी विकास लोक कॉलोनी थाना गांधी पार्क ने बताया कि बचपन से वह भगवान श्रीकृष्ण की भक्ति करती थीं। धीरे-धीरे बड़ी हुई तो श्रीकृष्ण को जीवन समर्पित करने का निर्णय लिया। इस संबंध में परिजनों से बात की तो उन्होंने भी इस निर्णय का स्वागत किया। 19 नवंबर को श्रीकृष्ण की प्रतिमा से हिंदू रीतिरिवाज के साथ विवाह किया। इसके लिए बकायदा कार्ड छपवाए गए। शादी का पहला आमंत्रण वृंदावन स्थित बांके बिहारी मंदिर में श्रीकृष्ण के नाम भेजा गया।
किराए के मकान में संपन्न हुई श्रीकृष्ण के परिणय संस्कार
यमुना ने बताया कि हिंदू रीतिरिवाज से विवाह के सभी संस्कार पूरे किए गए। पंडित से विवाह के लिए शुभ मुर्हूत निकलवाया गया। इसके बाद कार्ड छपवाए गए। श्रीकृष्ण के लिए किराए पर मकान लिया गया है। वहां लग्न-सगाई, हल्दी, भात सहित अन्य संस्कार संपन्न हुए। इसके बाद आसपास के लोग बैंड-बाजे के साथ बारात लेकर यमुना के घर पहुंचे। यहां बकायदा मंडप में अग्नि को साक्षी मानकर यमुना ने श्रीकृष्ण के साथ सात फेरे लिए।
अब जीवन में नहीं चाहिए ओर कुछ
यमुना ग्रेडर नोएडा में एक प्राइवेट कंपनी में जॉब करती है। परिवार में मां लज्जावती, बहन चेतन शर्मा, पिंकी शर्मा, नीतू शर्मा की शादी हो चुकी है। वह घर में सबसे छोटी है। यमुना ने कहा कि मुझे अब जीवन में ओर कुछ नहीं चाहिए। मैंने अपना जीवन श्रीकृष्ण को समर्पित कर दिया है। जीवनभर अब इन्हीं की सेवा करुंगी।