ख्वाजा मुईनुद्दीन चिश्ती उर्दू अरबी फारसी विश्वविद्यालय का नाम बदलेगा!

0
khwaja_moinuddin_chishti_university_1574380211.jpg

 लखनऊ 
ख्वाजा मुईनुद्दीन चिश्ती उर्दू अरबी फारसी विश्वविद्यालय के चौथे दीक्षांत समारोह में राज्यपाल (कुलाधिपति) आनन्दीबेन पटेल ने विश्वविद्यालय के नाम में बदलाव करने की वकालत की है। 

राज्यपाल ने कहा है कि विश्वविद्यालय के वर्तमान नाम से लगता है कि यहां पर केवल उर्दू-अरबी-फारसी विषय की ही पढ़ाई होती है, जबकि सांइस, टेक्नोलॉजी, कम्प्यूटर और कला विषयों की भी पढ़ाई होती है। उन्होंने उपमुख्यमंत्री डॉ. दिनेश शर्मा से कहा कि अगर आपको ठीक लगता है, तो विश्वविद्यालय का नाम ख्वाजा मुईनुद्दीन चिश्ती विश्वविद्यालय कर दिया जाए।

राज्यपाल आनन्दीबेन पटेल ने कहा कि वर्तमान में शिक्षा में काफी बदलाव आया है, क्योंकि आज पूरे विश्व के सामने खुद को प्रस्तुत करना है। तकनीक का युग है। इसके बिना विकास संभव नहीं है। लिहाजा ज्ञान का होना जरुरी है। उन्होंने कहा कि हमें केवल सेलबेस तक सीमित करने के बजाए अन्य विषयों की किताबों को भी पढ़ना होगा। साथ ही सीख दी कि हम अपना फर्ज पूरा करेंगे तो अधिकार स्वयं मिलेंगे। उन्होंने फिट इंडिया कार्यक्रम का जिक्र करते हुए कहा कि बेटियां कुपोषित हैं। अगर बेटियों का घर पर ही ध्यान दिया जाए, तो बेटियों के साथ ही उनसे जन्म लेने वाले बच्चे भी स्वस्थ होंगे और भारत कुपोषण से मुक्त हो जाएगा।

उन्होंने कुलपति प्रो. माहरूख मिर्जा से हर माह बेटियों का स्वास्थ्य परीक्षण कराने को कहा। उन्होंने महाभारत में अभिमन्यु के चक्रव्यू तोड़ने का जिक्र करते हुए विश्वविद्यालय में गर्भ संस्कार की शिक्षा देने की वकालत की। प्राथमिक शिक्षा और उच्च शिक्षा के अन्तर को दूर करने के लिए विश्वविद्यालयों को पांच-पांच गांव गोद लेने की सलाह दी। इसके अलावा देश को टीबी मुक्त करने के लिए प्रत्येक अधिकारी को इस बीमारी से ग्रस्त एक-एक बच्चे को गोद लेने को कहा।

उपमुख्यमंत्री डां. दिनेश शर्मा ने कहा कि विवि केवल उर्दू अरबी फारसी विषय की पढ़ाई के लिए बना था, लेकिन आज सभी आधुनिक विषयों की पढ़ाई हो रही है। यहां पर विभिन्न  निर्माण के  लिए 10 करोड़ रुपए दिए हैं। दीक्षांत का अर्थ शिक्षा का अंत नहीं है, बल्कि समाज को कुछ देने की यात्रा का आरम्भ है। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार की इच्छा है कि इस विश्वविद्यालय की पहचान उत्कृष्ट विश्वविद्यालय में हो।

विशिष्ट अतिथि अम्मार रिजवी ने कहा कि अन्तरराष्ट्रीय उर्दू सम्मेलन के बाद विश्वविद्यालय की सारी दुनिया में पहचान बन गई है। उन्होंने विद्यार्थियो को देश व समाज को रौशनी देने की सीख दी।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

You may have missed