जस्टिस भानुमति को मिली जगह, 13 साल बाद कॉलेजियम में महिला जज
नई दिल्ली
जस्टिस आर भानुमति 13 साल से भी अधिक समय के बाद सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम में शामिल होने वाली पहली महिला जज बन गई हैं। हाल ही में वह पी चिदंबरम की जमानत याचिका की सुनवाई को लेकर सुर्खियों में थीं। वह पूर्व चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की जगह लेंगी। उनसे पहले कॉलेजियम में शामिल होने वाली आखिरी महिला जज रूमा पाल थीं। जस्टिस एस ए बोबडे ने सोमवार को देश के अगले मुख्य न्यायाधीश के रूप में शपथ ली। जस्टिस भानुमति को भी सोमवार को ही कॉलेजियम में जगह दी गई। इसके सदस्य के तौर पर शीर्ष अदालत में होने वाली सभी नियुक्तियों में उनकी अहम भूमिका होगी। आजादी के बाद से अभी तक सिर्फ 8 महिला जजों की ही सुप्रीम कोर्ट में नियुक्ति हुई है।
भानुमति तमिलनाडु से आने वाली पहली महिला जज हैं और वह झारखंड हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस रह चुकी हैं। मद्रास हाई कोर्ट में जज रहते हुए उन्होंने राज्य के पारंपरिक खेल जल्लीकट्टू पर रोक लगा दी थी। पशु अधिकार कार्यकर्ताओं ने इस खेल को 'क्रूर' बताते हुए कोर्ट में चुनौती दी थी। बाद में सुप्रीम कोर्ट में इस मामले की सुनवाई के दौरान उन्होंने खुद को इससे अलग कर लिया था। मद्रास हाई कोर्ट में उन्होंने कथित धर्मगुरु प्रेमानंद के केस को भी सुना था और उसे अपने आश्रम में महिलाओं के बलात्कार और हत्या करने के आरोप में दोहरे आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी।
सुप्रीम कोर्ट में चिदंबरम की जमानत याचिका की सुनवाई करते हुए उन्होंने सरकारी पक्ष की यह दलील खारिज की थी कि पूर्व वित्त मंत्री देश छोड़कर जा सकते हैं। उन्होंने चिदंबरम को INX मीडिया मामले में कथित तौर पर घूस लेने के सीबीआई से जुड़े केस में जमानत दे दी। हालांकि चिदंबरम इसी मामले में ईडी से जुड़े एक केस में अभी भी न्यायिक हिरासत में हैं।
भानुमति उन कुछ चुनिंदा जजों में से हैं, जिन्होंने अपनी संपत्ति का खुलासा किया है। वह उन 9 जजों की बेंच में भी शामिल थीं, जिसने कॉलेजियम सिस्टम को स्थापित करने और उसे संस्थागत बनाने के शीर्ष अदालत के दोहरे फैसलों की समीक्षा करने से इनकार कर दिया था।
जस्टिस भानुमति को आपराधिक मामलों से कुशलता से निपटने के लिए जाना जाता है। वह फॉर्मर चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा की अगुवाई वाली उस बेंच का भी हिस्सा थीं, जिसने निर्भया गैंग-रेप के आरोपियों की पुनर्विचार याचिका को खारिज कर दिया था और 2017 की मौत की सजा की फिर से पुष्टि की। हाल ही में उन्होंने बीजेपी नेता स्वामी चिन्मयानंद से जुड़े एक और राजनीतिक रूप से संवेदनशील मामले को देखा है। स्वामी चिन्मयानंद पर शाहजहांपुर की एक लॉ स्टूडेंट ने रेप का आरोप लगाया है।