November 24, 2024

मिडिल क्लास को हेल्थ कवर, सरकार की तैयारी?

0

नई दिल्ली
सरकारी थिंक टैंक नीति आयोग ने स्वास्थ्य सेवा उपलब्ध कराने वालों को स्वास्थ्य पर होने वाले खर्च को कम करने को कहा है। ताकि इसकी पहुंच को और बढ़ाया जा सके। भारत के लिए 21वीं सदी का हेल्थ सिस्टम तैयार करने संबंधी एक रिपोर्ट में नीति आयोग ने हेल्थ सेक्टर में बदलाव के लिए सेवाओं की 'रणनीतिक खरीदारी' और हेल्थ रिकॉर्ड के डिजिटाइजेशन का सुझाव दिया है। रिपोर्ट में आयोग ने मिडिल क्लास के लिए हेल्थ केयर सिस्टम बनाने की वकालत की है।

सोमवार को नीति आयोग के चेयरमैन राजीव कुमार ने माइक्रोसॉफ्ट के को-फाउंडर बिल गेट्स की मौजूदगी में यह रिपोर्ट रिलीज की। रिपोर्ट में हेल्थ सिस्टम के चार क्षेत्र चिह्नित किए गए हैं: अधूरे सार्वजनिक स्वास्थ्य एजेंडे तक पहुंच, नागरिकों को स्वास्थ्य सेवाओं का बेहतर खरीदार बनाना, जेब खर्च को कम करने के लिए स्वास्थ्य सेवाओं का एकीकरण और हेल्थकेयर का डिजिटाइजेशन।

हेल्थ सिस्टम फॉर न्यू इंडिया नाम की इस रिपोर्ट में कहा गया है, 'हर साल करीब एक बिलियन के लेनदेन की कल्पना कीजिए, जहां मरीज लाखों स्वास्थ्य सेवा देने वाले प्रोवाइडर से इलाज कराते हैं। इनमें ज्यादातर प्राइवेट प्रोवाइडर हैं, जो खुद अपनी कीमत तय करते हैं।'

आयोग ने ऐसे मिडिल क्लास के लिए हेल्थकेयर सिस्टम तैयार करने की वकालत की है, जो किसी भी पब्लिक हेल्थकेयर सिस्टम के दायरे में नहीं आते हैं।

नीति आयोग ने सुझाव दिया है कि हेल्थ सिस्टम का फाइनैंस सिस्टम ऐसे बदलाव होने चाहिए कि बेवजह के खर्च में कटौती आए और बड़े रिस्क वाले केस के लिए ज्यादा धन उपलब्ध हो। भारत में स्वास्थ्य पर खर्च (केंद्र और राज्य सरकार मिलाकर) कुल जीडीपी का करीब 1.4 प्रतिशत है। वहीं दूसरी तरफ भारत में करीब 20 प्रतिशत आबादी ही हेल्थ इंश्योरेंस के दायरे में आती है। हालांकि आयुष्मान भारत योजना इस दायरे को बढ़ाने की कोशिश कर रहा है, जिसमें कुछ समय लग सकता है।

रिपोर्ट कहती है कि भारत में हेल्थ सिस्टम में एक सफल बदलाव के लिए एक साथ धनराशि कम करने और विखंडन का प्रावधान करना होगा।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *