दिहाड़ी मजदूरों की खुदकुशी के मामले 60% बढ़े
नई दिल्ली
साल 2016 में देशभर में रिकॉर्ड 25164 दिहाड़ी मजदूरों ने खुदकुशी की। यह आंकड़ा 2014 से 60 फीसदी ज्यादा है, जब दिहाड़ी मजदूरों की आत्महत्या के कुल 15735 मामले दर्ज किए गए थे। राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) की हालिया रिपोर्ट से यह खुलासा हुआ है।
एनसीआरबी के मुताबिक 2016 में किसानों के मुकाबले दिहाड़ी मजदूरों की आत्महत्या के दोगुने मामले सामने आए। 11379 किसानों की तुलना में 25164 दिहाड़ी मजदूरों ने खुदकुशी जैसा कठोर कदम उठाया। हालांकि, किसान आत्महत्या का 2016 का आंकड़ा 2014 के 12360 मामलों से काफी कम है। दो साल की देरी से जारी ‘एक्सिडेंटल डेथ्स एंड सुसाइड्स इन इंडिया’ रिपोर्ट में यह भी देखा गया कि 2016 में गृहिणियों की खुदकुशी के मामले 2014 के 20148 से बढ़कर 21563 हो गए। हालांकि, भारत में गृहिणियां सर्वाधिक खुदकुशी करने वाला वर्ग नहीं रहीं। 2015 के बाद 2016 में लगातार दूसरी बार गृहिणियों के मुकाबले दिहाड़ी मजदूरों की आत्महत्या की अधिक घटनाएं रिकॉर्ड की गईं।
तीन कारण
1.लगातार दो वर्ष सूखा
-जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) के असंगठित क्षेत्र और श्रम अध्ययन विभाग में सहायक प्रोफेसर अनमित्रा रॉय चौधरी दिहाड़ी मजदूरों की दुर्दशा के लिए गैर-कृषि क्षेत्र पर कृषि क्षेत्र की निर्भरता को जिम्मेदार ठहराते हैं। उनके मुताबिक, ‘2014 और 2015 में लगातार दो साल सूखा पड़ने से गैर-कृषि क्षेत्र में श्रमिकों की आपूर्ति बढ़ गई। इसका सीधा असर न सिर्फ मजदूरी, बल्कि काम की उपलब्धता पर भी पड़ा।’
2.मजदूरी वृद्धि दर में कमी
-रॉय चौधरी यह भी कहते हैं कि 2019 में जारी ‘सामयिक श्रम बल सर्वे रिपोर्ट’ में साल 2004 से 2011 और 2011 से 2017 के बीच भारत में दिहाड़ी मजदूरी की वृद्धि दर आधी होने का दावा किया गया है। यह भी दिहाड़ी मजदूरों की बढ़ती आत्महत्याओं के लिए जिम्मेदार हो सकता है।
3.किसान को दिहाड़ी मजदूर दिखाना
-किसान खुदकुशी से राजनीतिक नुकसान की आशंका के चलते राज्यों का किसान आत्महत्या को दिहाड़ी मजदूरों की खुदकुशी के तौर पर दिखाना भी एक कारण हो सकता है। 2016 में पश्चिम बंगाल, बिहार, हरियाणा सहित नौ राज्यों ने किसान आत्महत्या का एक भी मामला नहीं दर्शाया।
भारत में खुदकुशी
-दिहाड़ी मजदूर : 19.2%
-गृहिणी : 16.5%
-किसान : 8.7%
(नोट : आंकड़े 2016 के)
यहां सबसे ज्यादा
-4888 सर्वाधिक दिहाड़ी मजदूरों ने खुदकुशी की तमिलनाडु में
-3168 दिहाड़ी मजदूरों की आत्महत्या के मामले आए महाराष्ट्र में
62% भारतीय दिहाड़ी मजदूरी कर रहे
-47 करोड़ कुल श्रमिक भारत में, 8 करोड़ संगठित तो 39 करोड़ असंगठित क्षेत्र के
-12.1 करोड़ यानी कुल कार्यबल का 62% हिस्सा दिहाड़ी मजदूरी करने को मजबूर था 2011-12 में
-272 रुपये प्रतिदिन औसतन मजदूरी मिली भारत में दिहाड़ी मजदूरों को साल 2014 में
दिल्ली-एनसीआर में वायु प्रदूषण ने हजारों की रोजी-रोटी छीनी
-दिल्ली-एनसीआर में वायु प्रदूषण की गंभीर स्थिति को देखते हुए निर्माण कार्यों पर पाबंदी लगी हुई है। हॉट मिक्स प्लांट, स्टोन क्रशर और कोयला आधारित उद्यमों का संचालन भी फिलहाल प्रतिबंधित है। इससे दिल्ली, गाजियाबाद, नोएडा, ग्रेटर नोएडा, सोनीपत, पानीपत, गुरुग्राम, फरीदाबाद, बहादुरगढ़ और भिवाड़ी जैसे शहरों में बड़ी संख्या में दिहाड़ी मजदूर प्रभावित हुए हैं। उन्हें लेबर चौराहों पर काम के इंतजार में घंटों भटकते देखा जा सकता है। गुरुग्राम में अनुमानित पांच हजार और नोएडा में चार हजार दिहाड़ी मजदूर काम न मिलने से परेशान हैं। गाजियाबाद में बड़ी संख्या में मजदूर घर लौटने लगे हैं। रमते राम रोड और नारिसुपर फाटक पर अब पहले से आधे यानी 400 से 500 मजदूर ही दिखाई देते हैं।