आयुर्वेद में अनुसंधान को बढ़ावा देने की जरूरत,आयुर्वेद महासम्मेलन में मुख्यमंत्री का अभिनंद
रायपुर मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने कहा है कि राज्य में आयुर्वेदिक डॉक्टरों के रिक्त पदों के लिए भर्ती प्रक्रिया जल्द शुरू की जाएगी। उन्होंने कहा-आयुर्वेद भारत की ही नहीं, बल्कि दुनिया की सर्वाधिक पुरानी चिकित्सा प्रणाली है। यह भारत की देन है। इसमें अनुसंधान कार्यों को बढ़ावा देने के लिए छत्तीसगढ़ सरकार हर संभव मदद करेगी। मुख्यमंत्री आज यहां पंडित रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय के सभागार में आयुर्वेद महासम्मेलन को संबोधित कर रहे थे। सम्मेलन का आयोजन छत्तीसगढ़ आयुर्वेद चिकित्सक महासंघ द्वारा किया गया। मुख्य अतिथि की आसंदी से महासम्मेलन में मुख्यमंत्री ने कहा कि आयुर्वेद में हर बीमारी का इलाज संभव है। जरूरत इस बात की है कि आयुर्वेदिक चिकित्सा और औषधियों के क्षेत्र में भी आधुनिक तकनीकी का प्रयोग करके रिसर्च को बढ़ावा दिया जाए और दवाईयों की गुणवत्ता और विश्वसनीयता सुनिश्चित की जाए।
महासम्मेलन में लोकसभा सांसद डॉ. बंशीलाल महतो, राज्यसभा सांसद डॉ. भूषण लाल जांगड़े, पद्मश्री से सम्मानित डॉ. महादेव प्रसाद पाण्डेय, पंडित रविशंकर विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर डॉ. एस.के. पाण्डेय और छत्तीसगढ़ राजभाषा आयोग के सचिव पद्मश्री सम्मान से सम्मानित डॉ. सुरेन्द्र दुबे विशेष अतिथि के रूप में महासम्मेलन में उपस्थित थे। राज्य सरकार द्वारा आयुर्वेद चिकित्सकों को एलोपेथिक दवाईयां लिखने का अधिकार दिए जाने पर छत्तीसगढ़ आयुर्वेद चिकित्सक महासंघ के प्रांताध्यक्ष डॉ. शिव नारायण द्विवेदी के नेतृत्व में आयुर्वेद महाविद्यालय रायपुर शिक्षक संघ, छत्त्ीसगढ़ आयुर्वेद चिकित्सा संघ, आयुष मेडिकल एसोसिएशन, सरगुजा आयुर्वेदिक चिकित्सक संघ सहित आयुर्वेद से जुड़े अनेक संघों ने मुख्यमंत्री का अभिनंदन किया।
मुख्यमंत्री ने महासम्मेलन में कहा – मैं रायपुर आयुर्वेद महाविद्यालय का छात्र रहा हूं। आज मैं जो कुछ भी हूं इसी महाविद्यालय की शिक्षा और संस्कारों की वजह से ही हूं। मैं आपके बीच का ही हूं। मेरा सम्मान करने की जरूरत मुझे महसूस नहीं होती। उन्होंने कहा कि कवर्धा में आयुर्वेद चिकित्सक के रूप में काम करने से मेरी पहचान बनी। डॉ. सिंह ने बताया कि लोग मुझसे पूछते हैं कि गरीबों के कल्याण के लिए एक रूपए किलो चावल की योजना और लोगों को 30 हजार रूपए तक के निःशुल्क इलाज की सुविधा जैसी योजनाएं आप कैसे बना लेते हैं। डॉ. सिंह ने इस संबंध में बताया कि बीएएमएस की डिग्री लेने के बाद उन्होंने कवर्धा की देवार बस्ती में भारत माता चौरिटी अस्पताल प्रारंभ किया, जहां 70 प्रतिशत गरीब मरीज आते थे। जिनके पास दवाईयों के लिए पैसे नहीं होते थे, ऐसे बहुत से मरीजों को कुछ पैसे भी देने पड़ते थे। मुख्यमंत्री ने कहा कि इस दौरान मैने नजदीक से उनकी समस्याएं देखीं और मन में था कि जिन लोगों के पास खाने के लिए पैसे नहीं हैं, कैसे ये लोग अपना इलाज कराने में सक्षम बन सकेंगे। खाली पेट बीमारियों का इलाज नहीं किया जा सकता। मुख्यमंत्री बनने के बाद मुझे अवसर मिला गरीब तबके में शिशु मृत्यु दर, मातृ मृत्यु दर और कुपोषण की दर कम करने की चुनौती थी। लोगों को बेहतर खाद्य और पोषण सुरक्षा प्रदान करने के लिए मुख्यमंत्री खाद्यान्न सुरक्षा योजना प्रारंभ की गई। आज इस योजना में प्रदेश के लगभग 60 लाख परिवारों को एक रुपए किलो चावल वितरित किया जा रहा है। मुख्यमंत्री स्वास्थ्य सुरक्षा योजना के अंतर्गत स्मार्ट कार्ड के माध्यम से लोगों को चिहिन्त अस्पतालों में एक वर्ष में 30 हजार रूपए तक के निरूशुल्क इलाज की सुविधा प्रदान की जा रही है। जल्द ही निरूशुल्क इलाज की यह सीमा बढ़ाकर 50 हजार रूपए की जाएगी। मुख्यमंत्री ने कहा कि गरीबों के लिए ऐसी योजनाएं संचालित करके संतोष मिलता है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि आयुर्वेद का जन्म हिन्दुस्तान में हुआ है। हमारे पास आयुर्वेद के ज्ञान का भंडार भी है। आज जब जापान, कोरिया और चीन सहित अनेक देशों में आयुर्वेद चिकित्सा पद्धति तेजी के साथ लोकप्रिय हो रही है। आयुर्वेद दवाओं के वैश्विक बाजार में भारत का हिस्सा मात्र 8 से 9 प्रतिशत है। इस बाजार पर चाइना और दूसरे देशों का कब्जा है। यदि हम अपनी आयुर्वेदिक दवाईयों की विश्व मानकों के अनुसार गुणवत्ता सुनिश्चित कर लें तो भारतीय आयुर्वेद दवाओं के व्यापार में सौ गुनी वृद्धि हो सकती है। उन्होंने कहा कि इसकी छत्तीसगढ़ में व्यापक संभावनाएं हैं। छत्तीसगढ़ में 40 प्रतिशत भू-भाग वनों से आच्छादित है, जिनमें लगभग सभी प्रकार की दुर्लभ आयुर्वेद औषधियां पाई जाती हैं।
लोकसभा सांसद डॉ.बंशीलाल महतो ने कहा कि आयुर्वेद चिकित्सकों को एलोपैथिक दवाईयों के माध्यम से इलाज की अनुमति देने की वर्षांे पुरानी मांग मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह के नेतृत्व वाली राज्य सरकार ने पूरी कर दी है। लेकिन हम चिकित्सकों को इन दवाओं से इलाज की पूरी जानकारी होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि आयुर्वेद चिकित्सकों को रोज अध्ययन करना चाहिए। डॉ. सुरेन्द्र दुबे ने भी अपने विचार व्यक्त किए। स्वागत भाषण छत्तीसगढ़ आयुर्वेद चिकित्सक महासंघ के प्रांताध्यक्ष डॉ. शिव नारायण द्विवेदी ने दिया। कार्यक्रम का संचालन डॉ. संजय शुक्ला ने किया। इस अवसर पर बड़ी संख्या में आयुर्वेद चिकित्सक और आयुर्वेद महाविद्यालय के शिक्षक तथा विद्यार्थी बड़ी संख्या में उपस्थित थे।