राम मंदिर के लिए खंभे और पत्थर तैयार, जानें ऐसी है तैयारी
अयोध्या
सुप्रीम कोर्ट का फैसला रामलला के हक आ चुका है और अब श्रीरामजन्मभूमि में भव्य राम मंदिर के निर्माण की बारी है। रामजन्मभूमि न्यास की ओर से पहले ही प्रस्तावित राम मंदिर के भूतल पूरा हिस्सा तैयार किया जा चुका है। पत्थर और खम्भे तराश कर रखे हुए हैं। इस बीच विराजमान रामलला के अभिन्न मित्र त्रिलोकीनाथ पांडेय के साथ विश्व हिन्दू परिषद के शीर्ष नेतृत्व ने फैसले के बाद मंत्रणा भी की है। रामजन्मभूमि न्यास को अब केंद्र सरकार के अगले कदम का इंतजार है।
रामजन्मभूमि न्यास के अध्यक्ष महंत नृत्य गोपाल दास ने एक बातचीत में बताया कि न्यास की ओर से राम मंदिर निर्माण की तैयारी पहले से ही काफी हद तक पूरी है। श्रीरामजन्मभूमि में जहां पर रामलला इस समय विराजमान हैं, उस हिस्से में भूतल के निर्माण की तैयारी पूरी हो चुकी है। इसके लिए पत्थर और खम्भे समेत अन्य हिस्से तराश कर कार्यशाला में रखे हुए हैं। प्रस्तावित राम मंदिर का डिजाइन भी तैयार है। भूतल का निर्माण इंटरलाकिंग के माध्यम से पूरा किया जाएगा। इसके बाद अन्य हिस्से का निर्माण कार्य शुरू होगा। उन्होंने कहा कि अब रामलला टेंट से निकल कर अपने महल में आएंगे। श्री दास ने कहा कि अभी तो केंद्र सरकार को तीन महीने में न्यास का गठन करना है। उन्होंने बताया कि केंद्र की ओर से गठित होने वाले न्यास में रामजन्मभूमि न्यास की भी भूमिका समाहित रहेगी।
उधर विश्व हिन्दू परिषद के प्रांतीय प्रवक्ता शरद शर्मा ने बताया कि फिलहाल तीन महीने इंतजार किया जाएगा। सरकार की ओर से ट्रस्ट का गठन किए जाने के बाद मंदिर का निर्माण कार्य शुरू होगा। उन्होंने बताया कि सुप्रीम कोर्ट का फैसला रामलला के पक्ष में आया है और विराजमान रामलला के अभिन्न मित्र त्रिलोकीनाथ पांडेय विश्व हिन्दू परिषद के वरिष्ठ नेताओं में से एक हैं। रामजन्मभूमि न्यास के साथ भी विहिप का बेहतर समन्वय है। ऐसे में अब नए सिरे से गठित होने वाले न्यास के माध्यम से आने वाले समय में भव्य राम मंदिर के निर्माण का सपना पूरा होगा।
प्रभु श्रीराम के मंदिर निर्माण के लिए रामजन्मभूमि न्यास और विश्व हिन्दू परिषद की ओर से पत्थरों को मंगाने और तराशने का कार्य सितम्बर वर्ष 1990 में शुरू किया गया। पत्थरों की खेप राजस्थान के भरतपुर से मंगाई गई।
वर्ष 1989 में राम शिलाओं के पूजन का अभियान विहिप की ओर से चलाया गया। देशभर में गांव-गांव से पूजित शिला और सवा रुपए एकत्र किए गए। इसके माध्यम से एकत्र किए गए आठ करोड़ रुपए से पत्थर मंगाने के साथ तराशी का काम शुरू हो सका। अयोध्या में पत्थरों की तराशी के लिए दो कार्यशालाएं स्थापित है। एक रामजन्मभूमि कार्यशाला और दूसरी रामसेवकपुरम कार्यशाला। फिलहाल पिछले चार माह से यहां कार्यशालाओं में पत्थर तराशने का काम रुका हुआ है।