रिव्यू पिटिशन दाखिल नहीं करेगा सुन्नी बोर्ड
लखनऊ
यूपी सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड ने अयोध्या पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले का स्वागत किया। राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद विवाद के पक्षकार रहे यूपी सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड ने कहा कि वह इस फैसले पर पुनर्विचार याचिका दाखिल नहीं करेगा। बोर्ड के अध्यक्ष जुफर फ़ारूक़ी ने कहा कि वह न्यायालय के निर्णय का स्वागत करते हैं और बोर्ड का इस फैसले को चुनौती देने का कोई विचार नहीं है।
फ़ारूक़ी ने कहा कि 5 एकड़ जमीन लेने को लेकर बोर्ड के मेंबर के साथ बातचीत के बाद फैसला लिया जाएगा। उन्होंने साफ कहा, 'हमें सुप्रीम कोर्ट का फैसला मान्य है। फैसले से पहले सभी का कहना था कि कोर्ट का फैसला मान्य होगा। इसलिए अब अगर कोई रिव्यु पेटिशन की बात करता है तो यह गलत होगा।'
शाही इमाम ने भी पुनर्विचार याचिका का किया विरोध
दिल्ली में जामा मस्जिद के शाही इमाम सैयद अहमद बुखारी ने कहा, 'हम हमेशा से कहते रहे हैं कि हम सुप्रीम कोर्ट के फैसले को स्वीकार करेंगे। मुझे विश्वास है कि देश अब विकास की ओर बढ़ेगा। जहां तक रिव्यू पिटिशन दाखिल करने की बात है तो मैं इससे सहमत नहीं हूं।
शिया मौलाना ने भी किया फैसले का स्वागत
शिया धर्मगुरु मौलाना कल्बे जवाद ने भी सुप्रीम कोर्ट के फैसले का स्वागत किया है। उन्होंने कहा, 'हम विनम्रतापूर्वक सुप्रीम कोर्ट के फैसले को स्वीकार करते हैं, मैं भगवान का शुक्रगुजार हूं कि मुसलमानों ने और बड़े लोगों ने इस फैसले को स्वीकार किया और विवाद अब समाप्त हो गया है। हालांकि फैसले पर रिव्यु पेटिशन उनका (मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड) अधिकार है, मुझे लगता है कि मामला अब खत्म होना चाहिए।'
कोर्ट ने सुनाया ऐतिहासिक फैसला
आपको बता दें कि राजनीतिक रूप से संवेदनशील राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद विवाद पर सुप्रीम कोर्ट के पांच जजों की पीठ ने सर्वसम्मति यानी 5-0 से ऐतिहासिक फैसला सुनाया। निर्मोही अखाड़े के दावे को खारिज करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने रामलला विराजमान और सुन्नी वक्फ बोर्ड को ही पक्षकार माना। टॉप कोर्ट ने इलाहाबाद हाई कोर्ट द्वारा विवादित जमीन को तीन पक्षों में बांटने के फैसले को अतार्किक करार दिया। आखिर में सुप्रीम कोर्ट ने रामलला विराजमान के पक्ष में फैसला सुनाया।
सुन्नी वक्फ बोर्ड को 5 एकड़ जमीन दे सरकार: कोर्ट
कोर्ट ने साथ में यह भी आदेश दिया कि सुन्नी वक्फ बोर्ड को अयोध्या में ही कहीं और 5 एकड़ जमीन दी जाए। कोर्ट ने केंद्र सरकार को आदेश दिया है कि वह मंदिर निर्माण के लिए 3 महीने में ट्रस्ट बनाए। इस ट्रस्ट में निर्मोही अखाड़े को भी प्रतिनिधित्व देने को कहा है।