अमेज? फ्लिपकार्ट के खिलाफ आंदोलन, 10 को दिल्ली में बैठक
रायपुर। ई कामर्स कंपनियों के साथ किसी भी तरह की सहभागिता को कैट ने अस्वीकार किया हैं। इसके लिए बड़ा आंदोलन किया जायेगा संदर्भ में 10 नवंबर को राष्ट्रीय स्तर की बैठक रखी गई है जिसमें छत्तीसगढ़ से भी प्रतिनिधि शामिल होंगे।
कॉन्फेडरेशन आॅफ आॅल इंडि?ा ट्रेड़र्स (कैट) के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष अमर परवानी, प्रदेश कार्यकारी अध्यक्ष मगेलाल मालू, प्रदेश कार्यकारी अध्यक्ष विक्रम सिंहदेव, प्रदेश महामंत्री जितेंद्र दोशी, प्रदेश कार्यकारी महामंत्री परमानंद जैन, प्रदेश कोषाध्यक्ष अजय अग्रवाल, एवं प्रदेश प्रवक्ता राजकुमार राठी ने कहा है कि अपने व्यापार की वृद्धि में आॅफलाइन व्यापार को हिस्सा बनायें जाने के प्रस्ताव को कन्फेडरेशन आॅफ आॅल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) ने एक सिरे से खारिज कर दिया और कहा कि ऐसी किसी भी कम्पनी जो सरकार की नीति का पालन नहीं करती है के साथ व्यापारियों का हाथ मिलाने का कोई सवाल ही नहीं है ।
कैट ने पहले ही इन ई-कॉमर्स कंपनियों के खिलाफ एक राष्ट्रव्यापी आंदोलन की घोषणा की हुई है और जिसके लिए कैट ने 10 नवम्बर को दिल्ली में देश के सभी राज्यों के प्रमुख व्यापारी नेताओं की एक आपात राष्ट्रीय बैठक बुलाई है जिसमें आगामी 13 नवम्बर से देश भर में अमेज? एवं फ्लिपकार्ट सहित अन्य ई कामर्स कंपनियों के खिलाफ एक आंदोलन शुरू करने की रणनीति को अंतिम रूप दिया जाएगा। बैठक में देश के विभिन्न राज्यों के प्रमुख नेता बैठक में भाग लेंगे। कैट ने ट्रांसपोर्ट , लघु उद्योग,हॉकर्स किसानों, उपभोक्ताओं, स्व-नियोजित समूहों और महिला उद्यमियों के राष्ट्रीय संगठनों के नेताओं के साथ स्वदेशी जागरण मंच को भी बैठक में आमंत्रित किया है।
कैट के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष श्री अमर पारवानी ने कहा कि अभी तक हमें सरकार की ओर से ऐसा कोई सन्देश नहीं मिला है और न ही किसी ई-कॉमर्स इकाई के साथ हाथ मिलाने के लिए कोई बातचीत हुई है। ई-कॉमर्स कंपनियों की मनमानी और सरकार की एफडीआई नीति का उल्लंघन करने के कारण हाल ही में दिवाली के त्योहारी सीजन में आॅफलाइन कारोबार को लगभग 50 प्रतिशत के व्यापार का नुकसान झेलना पड़ा है। इन ई कामर्स कंपनियों ने लागत से भी कम मूल्य पर माल बेचना, भारी डिस्काउंट देना ,हानि वित्तपोषण बिकने वाले माल पर नियंत्रण तथा अपने पोर्टल पर कुछ विशेष विक्रेताओं को प्रमुखता देने जैसी व्यापार पद्दति अपनाई जा रही है जो सरकार की एफडीआई नीति का सरासर उल्लंघन हैं। एक अनुमान के अनुसार दिवाली के त्योहारी सीजन में देश भर में लगभग 6 लाख करोड़ का व्यापार होता है जबकि इस साल देश के व्यापारियों ने लगभग 3 लाख करोड़ का व्यापार ही किया है।